गैरसैंण: मूल निवास, भू-कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने दिवालीखाल में रोक दिया. इसके बाद संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी और कुमाऊं संयोजक राकेश बिष्ट सहित अन्य आंदोलनकारी दिवालीखाल में ही धरने पर बैठ गए. उन्होंने जमकर नारेबाजी की. सरकार को चेतावनी दी कि इस सत्र में इन मुद्दों के प्रस्ताव पारित न होने पर बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा.
मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा सरकार विधानसभा सत्र में मूल निवास 1950, भू-कानून और स्थायी राजधानी गैरसैण का प्रस्ताव पारित करे. सरकार पहाड़ के अस्तित्व से जुड़े इन मुद्दों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है. आज पहाड़ की पहचान और अस्मिता खतरे में है. नौकरियों से लेकर हमारी जमीनें बाहर के लोग कब्जा जमा रहे हैं. ठेकेदार भी बाहर से आकर यहां काम कर रहे हैं. लगातार बाहर से आने वाले लोगों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है. उससे यहां के पहाड़ी अल्पसंख्यक होने के कगार पर पहुंच गए हैं. मूल निवास और मजबूत भू-कानून पहाड़ को बचाने के लिए बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा सरकार ने इन मुद्दों पर कानून नहीं बनाए तो उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन शुरू होगा.
संघर्ष समिति के कुमाऊं संयोजक राकेश बिष्ट और स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा स्थायी राजधानी के लिए हमारा संघर्ष आगे भी जारी रहेगा. उत्तराखंड की स्थायी राजधानी पहाड़ की आत्मा गैरसैंण में ही होनी चाहिए. राज्य निर्माण की अवधारणा तभी साकार होगी, जब राजधानी गैरसैंण बनेगी. आंदोलनकारियों को दिवालीखाल बैरियर पर पुलिस ने रोक दिया. इस दौरान आंदोलनकारियों ने एडीएम रुद्रप्रयाग के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम मांगों को लेकर ज्ञापन प्रेषित किया.