पलवलः जिले के उपमंडल में एक निजी समारोह में हिस्सा लेने के लिए हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने यमुना में हरियाणा सरकार की ओर से जहर मिलाने के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ये कोई चुनावी मुद्दा नहीं था. बल्कि यह एक इंटरनेशनल फोर्सेज के स्क्रिप्ट का हिस्सा है. इसे जानबूझ कर इस समय उठाया गया, ताकि इस पर दिल्ली में आम लोगों का वोट मिल सके. लेकिन ये दांव उल्टा पड़ गया. उल्टा ऐसा पड़ गया कि सिमटा दिया गया.
कितनी घटिया और गंदी सोच हैः हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा पलवल के गांव कौंडल में पूर्व सरपंच संदीप सिंह तेवतिया के पिता राजबीर सिंह तेवतिया की पुण्यतिथि में शामिल होने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान अरविंद केजरीवाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि "कितनी गंदी सोच का आदमी हैं. कह रहे हैं कि हरियाणा वालों ने जहर डाल दिया. यह इस आदमी की सोच नहीं है, मेरी गारंटी है. अगर इसकी सोच है तो कितनी घटिया और गंदी सोच है."
इंटरनेशनल फोर्सेज के हाथों के खिलौने हैं केजरीवालः मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि "क्या हरियाणा के लोग देश की राजधानी दिल्ली में जो लोग बसे हैं, उसको मारना चाहते हैं? ये बहुत बड़ी स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे. मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि ये कोई न कोई इंटरनेशनल फोर्सेज के हाथों के खिलौने हैं, क्योंकि गाहे-बगाहे उस तरह की बात करते हैं, जिसका उस वक्त कोई अर्थ नहीं होता है. मैं पूछ रहा हूं कि भाई दिल्ली का चुनाव चल रहा है, अचानक से ये बात कहां से आई कि दिल्ली के लोगों को हरियाणा वाले मारना चाहते हैं."
एजेंडा मोदी जी छवि को डेंट लगाना थाः मंत्री महिपाल ढांडा आरोप लगाया कि ये कोई चुनावी एजेंडा नहीं था, ये कोई इंटरनेशनल एजेंडा था. ये उस स्क्रिप्ट पर काम करना था. ये मौका था कि चुनाव के वक्त बोल दो, लोगों को लगेगा कि ये कोई चुनावी मुद्दा है. जबकि उसके पीछे मंशा कुछ और है. मंशा क्या? भारत को बदनाम करना. मंशा क्या? मोदी जी छवि को डेंट लगाना.
भारत की साख को नुकसान पहुंचाते हैं केजरीवाल और राहुलः चाहे केजरीवाल हों या राहुल गांधी. ये लोग भारत की साख को नुकसान पहुंचाने के लिए बोलते हैं. ये कभी ऐसी बात नहीं करते हैं कि भारत की साख बढ़े. ये लोग भारत को कितनी नीचता तक गिरा सकते हैं, ये लोग इस पर काम करते हैं.
इंटरनेशनल फोर्सेज से चंदा चाहते थेः उन्होंने ये सोचा था कि सारी दिल्ली के लोग दिवाने हो जाएंगे. इंटरनेशनल फोर्सेज चंदा देंगे. यहां विदेशी एनजीओ और पढ़े लोग रहते हैं, वे सपोर्ट करेंगे. ये दांव उल्टा पड़ गया. उल्टा ऐसा पड़ गया कि सिमटा दिया गया.