कुरुक्षेत्रः पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से 'मन की बात' कार्यक्रम के 117वें एपिसोड में मलेरिया रोकथाम और नियंत्रण में कुरुक्षेत्र मॉडल की तारीफ के बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी काफी प्रसन्न हैं. चारों तरफ चर्चा हो रही है कि आखिर मलेरिया उन्मूलन का कुरुक्षेत्र मॉडल क्या है. इस मॉडल के कारण 2021 से 2024 तक कुरुक्षेत्र में मलेरिया के मामलों की संख्या शून्य हो गई है. मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण में सफलता के बाद अब कुरुक्षेत्र का स्वास्थ्य विभाग डेंगू पर नियंत्रण करने के लिए रणनीति पर काम कर रहा है. आइए जानते हैं कि क्या है मलेरिया उन्मूलन का कुरुक्षेत्र मॉडल.
पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा कुरुक्षेत्र मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण मॉडल की तारीफ स्वास्थ्य विभाग की बड़ी उपलब्धि है. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मलेरिया उन्मूलन के लिए जारी गाइडलाइन के आधार पर नियमित रूप से आम लोगों को जागरूक करने के लिए घरों, मोहल्लों, स्कूल-कॉलेजों में अभियान चलाया गया. मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू रोकथाम के लिए घरों में आम लोग सरकारी आदेशों का पालन कर रहे हैं कि नहीं इसके लिए नियमित रूप से जांच अभियान भी चलाया जाता है. नियमों का पालन नहीं करने वालों से जुर्माना वसूला जाता है. -डॉ सुखबीर सिंह, सीएमओ, कुरुक्षेत्र
माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी आपके मार्गदर्शन में कुरुक्षेत्र ज़िले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा Model पेश किया।
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) December 29, 2024
यहां मलेरिया की Monitoring के लिए जनभागीदारी काफ़ी सफल रही है।
हम सभी को 'मन की बात' से बहुत कुछ सीखने को मिलता है और प्रेरणा भी मिलती… pic.twitter.com/eXbmDHZH6k
सभी विभागों के साथ बेहतर समन्वयः कुरुक्षेत्र के सीएमओ डॉ. सुखबीर सिंह ने बताया कि 2018 से वे कुरुक्षेत्र में सिविल सर्जन के तौर पर तैनात हैं. उनके आने से पहले भी मलेरिया उन्मूलन की दिशा में काम किया जा रहा था. उसी काम को उन्होंने भी जारी रखा. उसे और बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया. हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया डे मनाया जाता है. मलेरिया डे का आयोजन उपायुक्त महोदय के नेतृत्व में किया जाता है. इस दौरान बैठक में सभी विभागों के अधिकारों के साथ समन्वय कर आवश्यक कदम उठाये जाते हैं. समय-समय पर मच्छरों पर काबू पाने के लिए फॉगिंग संबंधित विभागों की ओर से चलाया जाता है ताकि मच्छरों को पनपने से रोका जाए.
जागरुकता, निगरानी और जुर्मानाः सीएमओ डॉ सुखबीर सिंह ने बताया कि मई का जो महीना होता है, उसे हम मलेरिया माह के रूप में मनाते हैं. इसके लिए अप्रैल से हमारी पूरी टीम सक्रिय हो जाती है. जिले में कुल 125 टीमें हैं. हर टीम में 4-5 लोग होते हैं. वे घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करते हैं. इसके बाद घर-घर जाकर मलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुपालन के बारे में समय-समय पर जांच भी करते हैं. अगर किसी के घर में मलेरिया का लार्वा पाया जाता है तो संबंधित परिसर के मालिक को स्वास्थ विभाग, पंचायत/नगर निकाय सहित अन्य विभागों की ओर से नोटिस जारी किया जाता है. साथ ही नियमपूर्वक जुर्माना भी वसूला जाता है.
बच्चों को बनाया गया स्वच्छता दूतः बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में प्रार्थना के समय बच्चों को मलेरिया और डेंगू के बारे में जागरुक किया जाता है. इसका फायदा ये होता है कि बच्चे स्वयं साफ-सफाई पर ध्यान देते हैं और अपने माता-पिता को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं. इस काम में शिक्षकों का भी सहयोग लिया जाता है.
2025 का लक्ष्य डेंगू का मामला जीरो होः सीएमओ डॉ. सुखबीर सिंह ने बताया कि मलेरिया उन्मूलन के कुरुक्षेत्र मॉडल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तारीफ और अन्य जिलों को इससे प्रेरणा लेने के लिए कहा जाना बड़ी बात है. अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है. सबसे बड़ी चुनौती 2025 ही नहीं आगे भी मलेरिया के मामले को शून्य रखना है. मलेरिया के बाद हमारा लक्ष्य डेंगू के मामलों को शून्य करना है.
नुक्कड़ नाटक है जागरुकता का माध्यमः मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू सहित अन्य बीमारियों पर काबू पाने के लिए आमजनों को जागरुक करने का काम किया जाता है. इसमें सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से नुक्कड़ नाटक और रेडियो संदेश के माध्यम से लोगों को मलेरिया या अन्य मच्छर के बारे में जागरूक किया जाता है.