कोरबा: प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीति काफी चरम पर रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में यह गेम चेंजर की तरह रही. केंद्र और राज्य के बीच खींचतान भी हुई. छत्तीसगढ़ में जब भाजपा सरकार बनी तब मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही राज्य में 18 लाख पीएम आवास को स्वीकृति दी गई. लेकिन धरातल पर आज भी प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही परेशानियों से जूझ रहे हैं. जिनके आवास अधूरे हैं.
कोरबा के वनांचल गांवों में ठेके पर पीएम आवास: वनांचल क्षेत्र में पीएम आवास का ठेका लेने का प्रचलन है. हितग्राहियों के बैंक खातों में पैसे आने के बाद वह किसी दूसरे व्यक्ति को पैसे दे रहे हैं. जिन बिचौलियों ने पीएम आवास बनाने का ठेका लिया है, वह ग्रामीणों से पैसे लेने का बाद आवास अधूरे छोड़ देते हैं. जागरूकता नहीं होने व ठोस मॉनिटरिंग के अभाव में बड़ी तादाद में ग्रामीणों के पक्के मकान का सपना अधूरा है. हालांकि इस तरह के कुछ मामलों में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पैसों की रिकवरी भी की है.
5 साल पहले मिला था पीएम आवास, आज भी अधूरा : ETV भारत कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत देव्पहरी के आश्रित गांव कोरई पहुंचा. यहां विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा से आने वाले बुधवार सिंह कोरवा रहते हैं. उनसे बात करने पर पता चला कि उन्हें अब से लगभग 5 साल पहले पीएम आवास योजना के तहत घर मिला था. उस दौरान योजना के तहत पहली किस्त बैंक खाते में आई और उन्होंने इसे निकाल कर एक ठेकेदार को दे दिया. बुधवार बताते हैं कि गांव के 50 हितग्राहियों ने घर बनाने के लिए ठेकेदार को पैसे दिए थे. ठेकेदार ने पैसे तो लिए लेकिन काम पूरा नहीं किया.
ठेकेदार ने कहा ईंट,बालू लाकर घर का काम जल्द चालू करेंगे. काम शुरू भी हुआ, लेकिन बीच में उसने काम अधूरा छोड़ दिया. जिसके बाद अब लगभग 5 साल बीत चुके हैं. मेरा घर अधूरा है, मेरे पास जो मिट्टी का घर है. इसमें ही निवास कर रहा हूं. गांव में और भी कई लोगों के घर इसी तरह से अधूरे हैं: बुधवार सिंह कोरवा
ठेकेदार को कम देने के बाद निर्माण हुआ शुरू : गांव कोरई से ही कुछ दूरी पर बंशीराम दिखाई दिये, जिनके पक्के मकान का काम रुका हुआ है. बंशीराम ने बताया कि उनके पिता मान सिंह पहाड़ी कोरवा के नाम पर आवास स्वीकृत हुआ है. जिसे स्वीकृत हुए लगभग 6 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. घर बनाने के लिए एक ठेकेदार से बातचीत की थी, पहली राशि आई तब ठेकेदार को पैसे निकाल कर दे दिए थे. जिसे गांव में और भी कई लोगों के घर बनाने का ठेका दिया.
काम शुरू हो चुका है लेकिन बीच में कुछ दिनों तक काम बंद हो गया था. अब दूसरी किस्त भी आ गई है, इसे भी हमने ठेकेदार को दिया है. काम थोड़ा रुक-रुक कर धीमी गति से चल रहा है: बंशीराम, पहाड़ी कोरवा
पीएम आवास योजना में गड़बड़ी पर होगी कड़ी कार्रवाई : ग्रामीणों से पैसे लेने और ठेकेदारों के काम करने और पीएम आवास अधूरा रहने के प्रश्न पर कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने बताया कि इस तरह की कुछ शिकायतें मिली हैं. जिसकी जांच कर संबंधित ठेकेदारों से पैसों की रिकवरी भी की गई है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के पैसे सीधे हितग्राहियों के खातों में जाते हैं. इसे किसी भी अन्य व्यक्ति को नहीं देना चाहिए, यदि कोई व्यक्ति ग्रामीणों के साथ छल कर रहा है, या इस तरह की और भी कोई शिकायत मिलेगी, तो हम नियमानुसार ठोस कार्रवाई करेंगे: अजीत वसंत, कलेक्टर
चार किस्तों में मिलते हैं 1.20- 1.30 लाख रुपए: प्रधानमंत्री आवास योजना(PMAY) केंद्र सरकार की बेहद महत्वपूर्ण योजना है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों को कुल 1 लाख 20 हजार से 1 लाख 30 हजार की राशि चार किस्तों में दी जाती है. पहली किस्त के तौर पर ₹40000 जारी किए जाते हैं. जिससे ग्रामीण घर के नींव रखने के साथ ही निर्माण सामग्री और अन्य सामान खरीदते हैं. पहले चरण का निर्माण शुरू होने के बाद घर की फोटो खींचकर जियो टैगिंग के माध्यम से इस सरकार को भेजा जाता है. जैसे-जैसे निर्माण पूरा होता है, उसी अनुपात में दूसरी, तीसरी किस्त जाती है. पूरे पैसे एक साथ नहीं दिए जाते. हाल ही में हितग्राहियों को परेशानी ना हो इसके लिए आवास मित्रों की भी नियुक्ति की गई है.