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क्या महिलाएं कर सकती हैं पिंडदान? इस पिंडवेदी पर माता सीता ने बालू से किया था राजा दशरथ का पिंडदान - Pitrupaksha Mela In Gaya

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 11 hours ago

Women Can Perform Pinddaan: गया में पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है. पितृपक्ष मेले में लाखों की संख्या में तीर्थयात्री अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए गयाजी धाम पहुंच चुके हैं. पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के निमित तीर्थ यात्री पिंडदान का कर्मकांड करेंगे. पिंडदान त्रैपाक्षिक 17 दिनों, 8 दिन, 5 दिन, 3 दिनों या फिर एक दिनों का भी हो सकता है. यहां जानें कैसे स्त्रियां भी पतरों को दिलाएंगी मोक्ष.

PITRUPAKSHA MELA IN GAYA
गया में पिंडदान (ETV Bharat)
स्त्रियां कर सकती हैं पिंडदान (ETV Bharat)

गया: बिहार के गया जी धाम में पितृपक्ष मेला प्रारंभ हो गया है. अपने पितरों के निमित्त मोक्ष की कामना पितृपक्ष अवधि में विशेष रूप से पिंडदानी करते हैं. पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं पितर प्रसन्न होकर अपने वंश की पीढ़ी को उत्थान का आशीर्वाद देते हैं. वैसे स्त्रियां भी पिंडदान कर रही हैं. स्त्रियों के पिंडदान की परंपरा परिस्थिति के अनुसार रही है, जिसका जिक्र कई पुराणों में भी है. गरुड़ पुराण और ब्रह्म पुराण में भी स्त्रियों के पिंडदान करने के संबंध में कई बातें वर्णित है.

Women Can Perform Pinddaan
कई परिस्थिति में मिलाओं को धार्मिक अनुमति (ETV Bharat)

माता सीता ने किया था पिंडदान: अपनी सुविधा अनुसार तीर्थ यात्री पिंडदान करते हैं, लेकिन इस बीच अब स्त्रियां भी पिंडदान कर रही है. हालांकि स्त्रियों के पिंडदान की परिस्थिति को देखते हुए धार्मिक अनुमति प्रदान की जाती है. वैसे स्त्रियां पिंडदान कर सकती है, इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण माता सीता हैं. माता सीता ने गयाजी धाम में अपने ससुर राजा दशरथ का बालू के पिंड से पिंडदान किया था.

Pitrupaksha Mela In Gaya
गरुड़ पुराण और ब्रह्म पुराण में वर्णन (ETV Bharat)

किन परिस्थितियों में स्त्रियां कर सकती हैं पिंडदान: बता दें कि पिंडदान का प्रथम अधिकार पुरुषों को है. पिंडदान के कर्मकांड के दौरान महिलाएं पुरुषों को सिर्फ सहयोग करती हैं, पिंडदान का कर्मकांड नहीं करती. हालांकि स्त्रियां भी पिंडदान कर सकती है, लेकिन उसके लिए परिस्थितियों के बारे में जानना जरूरी है. पति नहीं हो और पत्नी जीवित है, तो पत्नी को अधिकार है कि वह दिवंगत पति के लिए पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड कर सकती है. लेकिन यह जरूरी है, कि उस वंश में पुत्र नहीं हो.

Pitrupaksha Mela In Gaya
गया में पिंडदान (ETV Bharat)

कई महिलाएं गया धाम में करती हैं पिंडदान: इस संबंध में शेखावाटी के तीर्थ पुरोहित गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं, कि ऐसी कई महिलाएं हैं, जो पिंडदान करती है. वहीं स्थिति के अनुसार ही उन्हें पिंडदान और श्राद्ध कर्मकांड करने का अधिकार है. पुराणों और शास्त्रों में भी यह वर्णित है. शास्त्रों में वर्णित है कि पति नहीं हो और वंश में पुत्र नहीं है, तो पत्नी को अधिकार है कि वह पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड कर सकती है. आज ऐसी कई महिलाएं हैं, जो स्थिति के अनुसार पिंडदान और श्राद्ध का कर्मकांड करती है.

Women Can Perform Pinddaan
एक दिन का भी हो सकता है पिंडदान (ETV Bharat)

सीता माता ने किया था राजा दशरथ का पिंडदान: माता सीता ने राजा दशरथ का बालू के पिंड से पिंडदान किया था. हालांकि तब ऐसी परिस्थिति थी, जब उन्हें पिंडदान करने का अधिकार था. शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान गया जी आए थे. गया जी में अपने पिता के पिंडदान के लिए भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लाने गए थे. इस बीच माता सीता ने एक आकाशवाणी सुनी, जो राजा दशरथ की थी. राजा दशरथ ने कहा मुहूर्त निकल रहा है, पिंडदान कर दें.

Women Can Perform Pinddaan
पुरानी है पिंडदान की परंपरा (ETV Bharat)

फल्गु नदी में किया माता सीता ने पिंडदान: माता सीता ने जब भगवान राम और लक्ष्मण के सामग्री लाने की बात बताई, तो राजा दशरथ ने कहा कि शुभ मुहूर्त के बाद पिंडदान नहीं होता, जल्दी से वह पिंडदान कर दें. इसके बाद माता सीता ने तुरंत फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और उसी से राजा दशरथ का पिंडदान किया. राजा दशरथ के हाथ स्वरूप ने खुद पिंड ग्रहण किया था, जिसकी मूर्ति आज भी सीता कुंड में है. यहां माता सीता ने जो पिंडदान किया, वह परिस्थिति के अनुसार उनके अधिकार के अनुसार था. इसी प्रकार महिलाओं को परिस्थिति के अनुसार पिंडदान का अधिकार दिया गया है.

आधुनिक नहीं पौराणिक है परंपरा: गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं, कि स्त्रियों के पिंडदान की परंपरा आधुनिक नहीं है, यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. शास्त्रों से इसका अधिकार वर्णित है, जिसमें परिस्थिति शब्द का उपयोग होता है. बेटी के वंश में होने और पुत्र के नहीं होने के बीच भी स्त्रियां पिंडदान कर सकती हैं. कुल मिलाकर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विशेष कुछ परिस्थितियों में स्त्रियां पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड कर सकती है.

Women Can Perform Pinddaan
महिलाएं दिलाएंगी पितरों को मोक्ष (ETV Bharat)

पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूरी है पिंडदान: पिंडदान पितर को प्रसन्न करने के लिए जरूरी होता है. श्राद्ध पक्ष का संबंध मृत्यु से है. ऐसे में पितृपक्ष में यदि पितरों को पिंडदान श्राद्ध नहीं मिलता है, तो वह कुपित हो जाते हैं और अपने वंश को श्राप देते हैं, जिससे वंश के लोगों की मुश्किलें बढ़ती चली जाती है. ऐसे में जिस घर में पिंडदान करने को बेटे न हों, तो स्थिति के अनुसार स्त्रियां पिंडदान कर सकती है. पिंडदान से पितर प्रसन्न होकर अपने वंश के लोगों को आशीर्वाद देते हैं.

"स्त्रियों को पिंडदान का अधिकार है. हालांकि, स्थिति के अनुसार ही उन्हें पिंडदान करने का अधिकार है. शास्त्रों में भी स्त्रियों के पिंडदान के संदर्भ में जिक्र है. माता सीता ने भी परिस्थिति के अनुसार राजा दशरथ का पिंडदान किया था. स्त्रियों के द्वारा पिंडदान की परंपरा आधुनिक नहीं, बल्कि पौराणिक है."- गजाधर लाल कटरियार, गयापाल पंडा

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स्त्रियां कर सकती हैं पिंडदान (ETV Bharat)

गया: बिहार के गया जी धाम में पितृपक्ष मेला प्रारंभ हो गया है. अपने पितरों के निमित्त मोक्ष की कामना पितृपक्ष अवधि में विशेष रूप से पिंडदानी करते हैं. पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं पितर प्रसन्न होकर अपने वंश की पीढ़ी को उत्थान का आशीर्वाद देते हैं. वैसे स्त्रियां भी पिंडदान कर रही हैं. स्त्रियों के पिंडदान की परंपरा परिस्थिति के अनुसार रही है, जिसका जिक्र कई पुराणों में भी है. गरुड़ पुराण और ब्रह्म पुराण में भी स्त्रियों के पिंडदान करने के संबंध में कई बातें वर्णित है.

Women Can Perform Pinddaan
कई परिस्थिति में मिलाओं को धार्मिक अनुमति (ETV Bharat)

माता सीता ने किया था पिंडदान: अपनी सुविधा अनुसार तीर्थ यात्री पिंडदान करते हैं, लेकिन इस बीच अब स्त्रियां भी पिंडदान कर रही है. हालांकि स्त्रियों के पिंडदान की परिस्थिति को देखते हुए धार्मिक अनुमति प्रदान की जाती है. वैसे स्त्रियां पिंडदान कर सकती है, इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण माता सीता हैं. माता सीता ने गयाजी धाम में अपने ससुर राजा दशरथ का बालू के पिंड से पिंडदान किया था.

Pitrupaksha Mela In Gaya
गरुड़ पुराण और ब्रह्म पुराण में वर्णन (ETV Bharat)

किन परिस्थितियों में स्त्रियां कर सकती हैं पिंडदान: बता दें कि पिंडदान का प्रथम अधिकार पुरुषों को है. पिंडदान के कर्मकांड के दौरान महिलाएं पुरुषों को सिर्फ सहयोग करती हैं, पिंडदान का कर्मकांड नहीं करती. हालांकि स्त्रियां भी पिंडदान कर सकती है, लेकिन उसके लिए परिस्थितियों के बारे में जानना जरूरी है. पति नहीं हो और पत्नी जीवित है, तो पत्नी को अधिकार है कि वह दिवंगत पति के लिए पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड कर सकती है. लेकिन यह जरूरी है, कि उस वंश में पुत्र नहीं हो.

Pitrupaksha Mela In Gaya
गया में पिंडदान (ETV Bharat)

कई महिलाएं गया धाम में करती हैं पिंडदान: इस संबंध में शेखावाटी के तीर्थ पुरोहित गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं, कि ऐसी कई महिलाएं हैं, जो पिंडदान करती है. वहीं स्थिति के अनुसार ही उन्हें पिंडदान और श्राद्ध कर्मकांड करने का अधिकार है. पुराणों और शास्त्रों में भी यह वर्णित है. शास्त्रों में वर्णित है कि पति नहीं हो और वंश में पुत्र नहीं है, तो पत्नी को अधिकार है कि वह पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड कर सकती है. आज ऐसी कई महिलाएं हैं, जो स्थिति के अनुसार पिंडदान और श्राद्ध का कर्मकांड करती है.

Women Can Perform Pinddaan
एक दिन का भी हो सकता है पिंडदान (ETV Bharat)

सीता माता ने किया था राजा दशरथ का पिंडदान: माता सीता ने राजा दशरथ का बालू के पिंड से पिंडदान किया था. हालांकि तब ऐसी परिस्थिति थी, जब उन्हें पिंडदान करने का अधिकार था. शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान गया जी आए थे. गया जी में अपने पिता के पिंडदान के लिए भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लाने गए थे. इस बीच माता सीता ने एक आकाशवाणी सुनी, जो राजा दशरथ की थी. राजा दशरथ ने कहा मुहूर्त निकल रहा है, पिंडदान कर दें.

Women Can Perform Pinddaan
पुरानी है पिंडदान की परंपरा (ETV Bharat)

फल्गु नदी में किया माता सीता ने पिंडदान: माता सीता ने जब भगवान राम और लक्ष्मण के सामग्री लाने की बात बताई, तो राजा दशरथ ने कहा कि शुभ मुहूर्त के बाद पिंडदान नहीं होता, जल्दी से वह पिंडदान कर दें. इसके बाद माता सीता ने तुरंत फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और उसी से राजा दशरथ का पिंडदान किया. राजा दशरथ के हाथ स्वरूप ने खुद पिंड ग्रहण किया था, जिसकी मूर्ति आज भी सीता कुंड में है. यहां माता सीता ने जो पिंडदान किया, वह परिस्थिति के अनुसार उनके अधिकार के अनुसार था. इसी प्रकार महिलाओं को परिस्थिति के अनुसार पिंडदान का अधिकार दिया गया है.

आधुनिक नहीं पौराणिक है परंपरा: गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं, कि स्त्रियों के पिंडदान की परंपरा आधुनिक नहीं है, यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. शास्त्रों से इसका अधिकार वर्णित है, जिसमें परिस्थिति शब्द का उपयोग होता है. बेटी के वंश में होने और पुत्र के नहीं होने के बीच भी स्त्रियां पिंडदान कर सकती हैं. कुल मिलाकर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विशेष कुछ परिस्थितियों में स्त्रियां पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड कर सकती है.

Women Can Perform Pinddaan
महिलाएं दिलाएंगी पितरों को मोक्ष (ETV Bharat)

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"स्त्रियों को पिंडदान का अधिकार है. हालांकि, स्थिति के अनुसार ही उन्हें पिंडदान करने का अधिकार है. शास्त्रों में भी स्त्रियों के पिंडदान के संदर्भ में जिक्र है. माता सीता ने भी परिस्थिति के अनुसार राजा दशरथ का पिंडदान किया था. स्त्रियों के द्वारा पिंडदान की परंपरा आधुनिक नहीं, बल्कि पौराणिक है."- गजाधर लाल कटरियार, गयापाल पंडा

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