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लावारिस लाशों के 'वारिस' बन करते श्राद्ध और पिण्डदान, 25 सालों से जुटे इस काम में - Pitru Paksha 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 12:28 PM IST

अलीगढ़ में लावारिस लाशों के लिए एक संस्था मसीहा बनी हुई है. यह संस्था शवों की अस्थियों का विसर्जन कर श्राद्ध और पिंडदान करने काम करेंगी. साथ में मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र नदी के किनारे प्रार्थना करेंगी.

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लावारिस शवों के वारिस (photo credit- Etv Bharat)


अलीगढ़: पितृपक्ष में आम लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कार्यक्रम करते हैं. जिससे कि उनके पितृ तृप्त हो सके. वहीं, अलीगढ़ में मानव उपकार संस्था 198 लावारिस शवों को गंगा में अस्थि विसर्जन करेगी. अलीगढ़ जिले में और रेलवे किनारे मिलने वाले अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार सर्व धर्म सभाव के तहत मानव उपकार संस्था कई वर्षों से कर रही है.

लावारिस लाशों के 'वारिस' बन करते है श्राद्ध और पिण्डदान (video credit-Etv Bharat)


25 सालों से कर रही है काम: पिछले 25 सालों में करीब छह हजार लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इसमें मुस्लिम लावारिस शवों को भी दफनाया गया है. मुस्लिम शवों की आत्मा की शांति के लिए मुस्लिम धर्म अनुसार संस्था द्वारा हर वर्ष कुरान ख्वानी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. वहीं, संस्था हिंदू धर्म के अनुसार लावारिस शवों की पहचान तक सुरक्षित रखी जाती है. अस्थियों को सम्मान के साथ पितृपक्ष में उनकी आत्मा की शांति के लिए पवित्र नदी में विसर्जन कर पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध का कर्म करती है .


पवित्र नदियों में करते हैं अस्थि विसर्जन: मानव उपकार संस्था के संस्थापक विष्णु कुमार बंटी ने बताया, कि इस कलयुग के दौर में जहां एक तरफ कुछ लोग जीते जी अपने माता-पिता की सेवा करने से मुंह मोड़ लेते हैं और अपने परिजनों का पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म भी नहीं करते हैं. वहीं दूसरी तरफ उन अभागे और पराए अज्ञात शवों को मानव उपकार संस्था अपनाकर उनका अंतिम संस्कार करती है. वहीं, धर्म के अनुसार उनकी आत्मा की शांति हेतु कार्य करती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार मृतक के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में या किसी पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है. पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कार्य नहीं किया जाता है, तब तक मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती है.

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बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर मोक्ष प्राप्ति हेतु होगी प्रार्थना: विष्णु कुमार बंटी ने जानकारी देते हुए बताया, कि इस साल हिंदू धर्म के अज्ञात लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के बाद सुरक्षित रखी हुई अस्थियों को मोक्ष प्रदान करायेंगे. पितृपक्ष में मानव उपकार संस्था के 193 मानव सेवक ट्रेन से 18 सितंबर को अलीगढ़ स्टेशन से सुल्तानगंज के लिए प्रस्थान करेंगे. जहां 198 शवों की अस्थियों का विसर्जन करने के बाद देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रार्थना की जाएगी. साथ ही गया में पिंडदान करेंगे. मानव उपकार संस्था अभी तक हरिद्वार, प्रयाग, अयोध्या, उज्जैन, चित्रकूट, बनारस, सोरों द्वारका, सोमनाथ, रामेश्वरम, कन्याकुमारी, पुरी, नेपाल, गंगासागर सहित कई तीर्थ स्थलों पर विसर्जन का कार्य कर चुकी है.

महिलाएं भी सीता कुंड में पिंडदान कर रचेंगी इतिहास: संस्था के अध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया, कि बैद्यनाथ धाम से पूर्व अलीगढ़ महानगर में आम लोगों को अंतिम दर्शन करने और उनको श्रद्धांजलि प्रदान करने के लिए मंगलवार को मुक्तिधाम में एक अंतिम दर्शन अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी, जो कि महानगर के प्रमुख स्थानों पर भ्रमण करते हुए मुक्तिधाम पर ही संपन्न होगी. महिला इकाई की अध्यक्ष कृष्ण गुप्ता ने बताया, कि अस्थि विसर्जन के लिए 193 मानव सेवकों के साथ 98 महिलाएं भी इस अस्थि विसर्जन यात्रा में साथ जा रही हैं, जो कि गया में सीता माता की तरह सीता कुंड पर पिंडदान कार्यक्रम में शामिल होकर इतिहास रचेंगी.

यह भी पढ़े-बनारस में मोक्ष के घाट को मिल रही है तारीख पर तारीख, मुक्ति देने वाले कर रहे हैं इंतजार


अलीगढ़: पितृपक्ष में आम लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कार्यक्रम करते हैं. जिससे कि उनके पितृ तृप्त हो सके. वहीं, अलीगढ़ में मानव उपकार संस्था 198 लावारिस शवों को गंगा में अस्थि विसर्जन करेगी. अलीगढ़ जिले में और रेलवे किनारे मिलने वाले अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार सर्व धर्म सभाव के तहत मानव उपकार संस्था कई वर्षों से कर रही है.

लावारिस लाशों के 'वारिस' बन करते है श्राद्ध और पिण्डदान (video credit-Etv Bharat)


25 सालों से कर रही है काम: पिछले 25 सालों में करीब छह हजार लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इसमें मुस्लिम लावारिस शवों को भी दफनाया गया है. मुस्लिम शवों की आत्मा की शांति के लिए मुस्लिम धर्म अनुसार संस्था द्वारा हर वर्ष कुरान ख्वानी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. वहीं, संस्था हिंदू धर्म के अनुसार लावारिस शवों की पहचान तक सुरक्षित रखी जाती है. अस्थियों को सम्मान के साथ पितृपक्ष में उनकी आत्मा की शांति के लिए पवित्र नदी में विसर्जन कर पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध का कर्म करती है .


पवित्र नदियों में करते हैं अस्थि विसर्जन: मानव उपकार संस्था के संस्थापक विष्णु कुमार बंटी ने बताया, कि इस कलयुग के दौर में जहां एक तरफ कुछ लोग जीते जी अपने माता-पिता की सेवा करने से मुंह मोड़ लेते हैं और अपने परिजनों का पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म भी नहीं करते हैं. वहीं दूसरी तरफ उन अभागे और पराए अज्ञात शवों को मानव उपकार संस्था अपनाकर उनका अंतिम संस्कार करती है. वहीं, धर्म के अनुसार उनकी आत्मा की शांति हेतु कार्य करती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार मृतक के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में या किसी पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है. पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कार्य नहीं किया जाता है, तब तक मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती है.

इसे भी पढ़े-जरा सी सतर्कता से लावारिस से वारिस हो सकते हैं शव, जानिए क्या है प्रक्रिया


बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर मोक्ष प्राप्ति हेतु होगी प्रार्थना: विष्णु कुमार बंटी ने जानकारी देते हुए बताया, कि इस साल हिंदू धर्म के अज्ञात लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के बाद सुरक्षित रखी हुई अस्थियों को मोक्ष प्रदान करायेंगे. पितृपक्ष में मानव उपकार संस्था के 193 मानव सेवक ट्रेन से 18 सितंबर को अलीगढ़ स्टेशन से सुल्तानगंज के लिए प्रस्थान करेंगे. जहां 198 शवों की अस्थियों का विसर्जन करने के बाद देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रार्थना की जाएगी. साथ ही गया में पिंडदान करेंगे. मानव उपकार संस्था अभी तक हरिद्वार, प्रयाग, अयोध्या, उज्जैन, चित्रकूट, बनारस, सोरों द्वारका, सोमनाथ, रामेश्वरम, कन्याकुमारी, पुरी, नेपाल, गंगासागर सहित कई तीर्थ स्थलों पर विसर्जन का कार्य कर चुकी है.

महिलाएं भी सीता कुंड में पिंडदान कर रचेंगी इतिहास: संस्था के अध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया, कि बैद्यनाथ धाम से पूर्व अलीगढ़ महानगर में आम लोगों को अंतिम दर्शन करने और उनको श्रद्धांजलि प्रदान करने के लिए मंगलवार को मुक्तिधाम में एक अंतिम दर्शन अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी, जो कि महानगर के प्रमुख स्थानों पर भ्रमण करते हुए मुक्तिधाम पर ही संपन्न होगी. महिला इकाई की अध्यक्ष कृष्ण गुप्ता ने बताया, कि अस्थि विसर्जन के लिए 193 मानव सेवकों के साथ 98 महिलाएं भी इस अस्थि विसर्जन यात्रा में साथ जा रही हैं, जो कि गया में सीता माता की तरह सीता कुंड पर पिंडदान कार्यक्रम में शामिल होकर इतिहास रचेंगी.

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