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पितरों की मृत्यु तिथि याद नहीं तो आज करें उनके श्राद्ध कर्म, अकाल मृत्यु वालों को भी मिलती है मुक्ति - Pitru Paksha 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Last day of Shraadh Paksha : देव पितृ अमावस्या अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों की आत्म शांति और मुक्ति के लिए सर्वोत्तम है. श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं

Last day of Shraadh Paksha
देव पितृ अमावस्या (ETV Bharat AJmer)

अजमेर : अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों की आत्म शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध पक्ष की पितृ अमावस्या सर्वोत्तम मानी गई है. साथ ही जिन लोगों को पितृ दोष है, ऐसे लोगों को पितृ अमावस्या पर निमित्त तीर्थ में जाकर पितरों को जल तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करके दान पुण्य करना चाहिए. पितृ अमावस्या पर समस्त पितृ अपने घर और अपनों को देखने आते हैं और उन्हें यह उम्मीद होती है कि उनका कोई वंशज उनके निमित्त श्राद्ध कर्म करके दान पुण्य करेगा. तीर्थ राज पुष्कर में पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है. श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं.

कूर्माचल घाट पर तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष में 16 दिन पितृ धरती पर रहते हैं. श्राद्ध पक्ष में दिवंगत आत्माओं की शांति और उनकी तृप्ति के लिए शास्त्रों में श्रद्धा कर्म बताए गए हैं. श्राद्ध कर्म तीर्थ स्थान पर मौजूद जलाशय पर किया जाना चाहिए. यदि तीर्थ स्थान तक नहीं जा सकते हैं तो अपने शहर गांव के समीप देवालय के पास बने जलाशय पर भी जल तर्पण किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या आती है. पितृ अमावस्या पर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से पितृ खुश होकर वापस लौटते हैं और जाते वक्त आशीर्वाद देकर जाते हैं. पितरों के आशीर्वाद से घर में खुशहाली और सुख शांति आती है. श्रद्धा कर्म करने के बाद गाय को चारा, श्वान और कौवे को रोटी, पक्षियों को दाना, ब्राह्मण और अतिथि को भोजन करवाएं. आपका किया गया दान पूर्वजों को मिलता है और वह इससे ग्रहण करते हैं.

तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा (ETV Bharat AJmer)

पढ़ें. Pitra Paksha 2024: कौवे के बिना अधूरा होता है श्राद्ध, जाने कारण और मान्यता - Pitra Paksha 2024

श्राद्ध कर्म करने के लिए पितृ अमावस्या है श्रेष्ठ : पुष्कर में ज्योतिषविद पंडित श्री कैलाश नाथ दाधीच बताते हैं कि श्राद्ध करने से पितरों की मोक्ष गति होती है. बुधवार को देव पितृ कार्य अमावस्या है. जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है, ऐसे व्यक्ति भी अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष गति के लिए श्राद्ध कर्म कर सकता है. श्राद्ध कर्म जनमानस को अवश्य करना चाहिए. इस दिन पुष्कर में तर्पण, पिंडदान, नारायण बलि, त्रिपिंडिय श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा करने वाले लोगों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितरों को मोक्ष मिलता है.

श्राद्ध पक्ष अपने दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए होते हैं. श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है. सभी तीर्थ के गुरु पुष्कराज में पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करना विशेष फलदायक है. पितृ अमावस्या पर भूले बिसरे पितरों की शांति के साथ-साथ अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वज की मुक्ति और शांति के लिए यहां श्राद्ध कर्म करना सर्वोत्तम माना गया है.

अजमेर : अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों की आत्म शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध पक्ष की पितृ अमावस्या सर्वोत्तम मानी गई है. साथ ही जिन लोगों को पितृ दोष है, ऐसे लोगों को पितृ अमावस्या पर निमित्त तीर्थ में जाकर पितरों को जल तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करके दान पुण्य करना चाहिए. पितृ अमावस्या पर समस्त पितृ अपने घर और अपनों को देखने आते हैं और उन्हें यह उम्मीद होती है कि उनका कोई वंशज उनके निमित्त श्राद्ध कर्म करके दान पुण्य करेगा. तीर्थ राज पुष्कर में पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है. श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं.

कूर्माचल घाट पर तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष में 16 दिन पितृ धरती पर रहते हैं. श्राद्ध पक्ष में दिवंगत आत्माओं की शांति और उनकी तृप्ति के लिए शास्त्रों में श्रद्धा कर्म बताए गए हैं. श्राद्ध कर्म तीर्थ स्थान पर मौजूद जलाशय पर किया जाना चाहिए. यदि तीर्थ स्थान तक नहीं जा सकते हैं तो अपने शहर गांव के समीप देवालय के पास बने जलाशय पर भी जल तर्पण किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या आती है. पितृ अमावस्या पर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से पितृ खुश होकर वापस लौटते हैं और जाते वक्त आशीर्वाद देकर जाते हैं. पितरों के आशीर्वाद से घर में खुशहाली और सुख शांति आती है. श्रद्धा कर्म करने के बाद गाय को चारा, श्वान और कौवे को रोटी, पक्षियों को दाना, ब्राह्मण और अतिथि को भोजन करवाएं. आपका किया गया दान पूर्वजों को मिलता है और वह इससे ग्रहण करते हैं.

तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा (ETV Bharat AJmer)

पढ़ें. Pitra Paksha 2024: कौवे के बिना अधूरा होता है श्राद्ध, जाने कारण और मान्यता - Pitra Paksha 2024

श्राद्ध कर्म करने के लिए पितृ अमावस्या है श्रेष्ठ : पुष्कर में ज्योतिषविद पंडित श्री कैलाश नाथ दाधीच बताते हैं कि श्राद्ध करने से पितरों की मोक्ष गति होती है. बुधवार को देव पितृ कार्य अमावस्या है. जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है, ऐसे व्यक्ति भी अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष गति के लिए श्राद्ध कर्म कर सकता है. श्राद्ध कर्म जनमानस को अवश्य करना चाहिए. इस दिन पुष्कर में तर्पण, पिंडदान, नारायण बलि, त्रिपिंडिय श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा करने वाले लोगों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितरों को मोक्ष मिलता है.

श्राद्ध पक्ष अपने दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए होते हैं. श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है. सभी तीर्थ के गुरु पुष्कराज में पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करना विशेष फलदायक है. पितृ अमावस्या पर भूले बिसरे पितरों की शांति के साथ-साथ अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वज की मुक्ति और शांति के लिए यहां श्राद्ध कर्म करना सर्वोत्तम माना गया है.

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