जबलपुर। मध्यप्रदेश के कॉलेजों में कार्यरत अतिथि विद्वानों के लिए पीएचडी की अनिवार्यता की शर्त को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बता दें कि मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वान अपनी मांगों को लेकर कई बार लंबा आंदोलन कर चुके हैं.
पहले से कार्यरत अतिथि विद्वानों पर नई शर्त क्यों
जबलपुर निवासी प्रियंका उपाध्याय व पुष्पा चतुर्वेदी सहित 13 अन्य अतिथि विद्वानों की तरफ से दायर याचिका में नियुक्ति के संबंध में 6 अक्टूबर 2023 के नियम 10 (4) को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि उक्त नियम हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत है. ये भी बताया गया कि वे पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से विभिन्न महाविद्यालय में अतिथि विद्वान के रूप में कार्य कर रहे हैं. निर्धारित शैक्षणिक योग्यता होने पर ही उन्हें अतिथि विद्वान के रूप में नियुक्त किया गया था.
पिछले साल आदेश जारी कर पीएचडी आवश्यक की
वर्ष 2023 में यूजीसी द्वारा अतिथि विद्वानों के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य कर दी गई है. जिसके आधार पर नए नियम बनाए गए हैं. इसमें उल्लेख है कि जो अतिथि विद्वान पीएचडी नहीं हैं, उन्हें अन्य अतिथि विद्वानों के तहत दिए जाने वाले लाभ प्राप्त नहीं होंगे. याचिका में तर्क दिया गया है कि वे लोग पूर्व से कार्य कर रहे हैं. इसलिए यूजीसी के नये नियम पूर्व से कार्यरत अतिथि विद्वानों पर लागू नहीं होंगे. नये नियमों के कारण कुछ फालेन आउट अतिथि विद्वानों को पुनः नियुक्ति नहीं दी जा रही है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की.