रांची: चंपाई सोरेन सरकार ने भले ही जेपीएससी और जेएसएससी को नियुक्ति प्रक्रिया तेज करने का निर्देश दिया है मगर इसका असर होता नहीं दिख रहा है. नियुक्ति परीक्षा आयोजित करने वाले दोनों आयोग में एक दर्जन से अधिक परीक्षाएं लंबित हैं. ऐसे में छात्र आए दिन आंदोलन करते रहते हैं. लोकसभा चुनाव आचार संहिता खत्म होते ही एक बार फिर छात्रों का आंदोलन तेज हो गया है.
राजभवन के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे ये अभ्यर्थी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा आयोजित पीजीटी शिक्षक भर्ती परीक्षा के हैं, जिनका डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन होने के बाद अंतिम रिजल्ट पिछले तीन महीने से लटका हुआ है. आंदोलन कर रहे इन अभ्यर्थियों ने सरकार से शेष बचे सात विषयों के रिजल्ट घोषित करने की मांग कर रहे हैं.
सात विषयों के रिजल्ट अधर में, जेएसएससी ने साध रखी है चुप्पी
3120 पीजीटी की नियुक्ति के लिए राज्य में 2022 में पहली बार विज्ञापन निकाला गया था उसके बाद 2023 में इसे नये सिरे से विज्ञापन को प्रकाशित किया. पिछले वर्ष सितंबर में सीबीटी मोड में परीक्षा आयोजित होने के बाद रिजल्ट प्रकाशन में देर होने लगी. छात्रों के आंदोलन को देखते हुए आयोग ने चार विषयों के रिजल्ट घोषित कर उन्हें नियुक्ति पत्र भी सौंप दिया. मगर शेष सात विषय के अभ्यर्थियों का रिजल्ट यूंही लटका रहा.
एक बार फिर अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, हिन्दी, गणित, इतिहास, वाणिज्य और संस्कृत विषय के हजारों विद्यार्थी आंदोलन पर बैठ गए. छात्रों का आंदोलन तेज होता देख जेएसएससी ने इन विषयों में सफल हुए छात्रों को डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के लिए मार्च में बुलाया इसके पश्चात आचार संहिता लागू होने की वजह से रिजल्ट एक बार फिर लटक गया. आचार संहिता खत्म होते ही अभ्यर्थियों को रिजल्ट की आस एक बार फिर से जगी है मगर जेएसएससी से कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलने से ये अंधेरे में हैं और आंदोलन की राह पर एक बार फिर चल पड़े हैं.
राजभवन के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे अभ्यर्थी तनवीर आलम ने सरकार से 20 जून तक रिजल्ट घोषित करने का अल्टीमेटम देते हुए उग्र आंदोलन की धमकी दी है. धरना पर बैठी पीजीटी हिन्दी की छात्रा कुसुम वर्णवाल का मानना है कि डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद भी रिजल्ट घोषित करने में आयोग इतनी देर कर रही है वह समझ से पड़े है. छात्रों की नाराजगी के बीच मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के द्वारा दिए गए निर्देश से इन अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि आयोग जरूर पहल करेगा मगर जेएसएससी ने जिस तरह से चुप्पी साध रखी है उससे इनकी चिंता बढ गई है.
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