रांचीः झारखंड में लोकायुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष समेत अन्य संवैधानिक पदों पर नियुक्ति का मामला अधर में लटका हुआ है. इसकी वजह है नेता प्रतिपक्ष का ना होना. रिक्त संवैधानिक पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि विपक्ष का नेता नहीं चुने जाने की वजह से नियुक्ति प्रभावित हो रही है. अब मामले की अगली सुनवाई मार्च माह के अंतिम सप्ताह में होगी. अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हुआ है, इसलिए समय दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर भाजपा के वरीय नेताओं ने कहा था कि नेता प्रतिपक्ष के चयन की प्रक्रिया समय पर पूरी हो जाएगी. दो सप्ताह का डेडलाइन पार होने पर कहा गया कि बजट सत्र से पहले यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. लेकिन अबतक भाजपा नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है.
गौर करने वाली बात है कि पंचम झारखंड विधानसभा के दौरान भाजपा विधायक दल के नेता रहे बाबूलाल मरांडी पर दलबदल का मामला चलने की वजह से उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला था. इसकी वजह से करीब चार साल तक बिना नेता प्रतिपक्ष के सदन चला था. अंत में भाजपा ने अक्टूबर 2023 में अमर बाउरी को नेता प्रतिपक्ष मनोनीत किया था.
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