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व्यास जी के तहखाना की मरम्मत करने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल, कहा-जर्जर होने से पुजारियों को खतरा - काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने के पास पत्थर (Kashi Vishwanath Trust in Varanasi) से बनी दीवारें और छत बेहद पुरानी और जर्जर हैं. जिसमें से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है. काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने तहखाने की मरम्मत और पुजारियों की सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 5, 2024, 3:19 PM IST

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाना को लेकर एक नई याचिका काशी विश्वनाथ न्यास की तरफ से कोर्ट में दाखिल की गई है. काशी विश्वनाथ न्यास के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल करते हुए व्यास जी के तहखाना की छत की मरम्मत करने की मांग की है. कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए 19 मार्च की तारीख तय की है.

19 मार्च को ही सुनवाई की तारीख निर्धारित : इसके पहले भी व्यास जी के तहखाना में मरम्मत करवाने और ऊपर छत पर लोगों के आने जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन प्रोफेसर रामप्रसाद की तरफ से कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है. अदालत ने उसे भी स्वीकार करके 19 मार्च को ही सुनवाई की तारीख निर्धारित की थी. अब यह याचिका भी 19 तारीख को ही सुनी जाएगी. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा की तरफ से दिए गए हलफनामे में कोर्ट को व्यास जी के तहखाना की वर्तमान स्थिति के बारे में बात कर उसमें फोटोग्राफ भी अटैच की गई है. बताया गया है कि पूजा स्थल के पास पत्थर से बनी दीवारें और छत बेहद पुरानी और जर्जर हैं. जिसमें से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है. छत पर लगे एक पत्थर की बीम में दरारें आ गई हैं और इसे तत्काल बनाया जाना आवश्यक है. 31 जनवरी की रात को व्यास जी के तहखाना में पूजा पाठ शुरू होने के बाद अचानक से हर जुम्मे पर नमाजियों की भीड़ भी यहां बढ़ रही है. जिसकी वजह से छत पर दबाव बढ़ता जा रहा है. 15 फरवरी को नमाज के समय एकत्र भीड़ के दबाव से छत में कंपन हुआ था और विग्रह चबूतरे के ठीक बगल में एक पत्थर टूट कर भी नीचे गिरा था. ऐसी स्थिति में पुजारी का अंदर पूजा पाठ करना भी सुरक्षित नहीं है और गंभीर चोट लगने की भी आशंका है.

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बीम में पड़ी दरार भी न्यास के लिए चिंता का विषय : मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि पूजा स्थल के छत के अंदर की मरम्मत अति आवश्यक है. साथ ही छत की जर्जर स्थिति के दृष्टिगत बहुत संख्या में लोगों के वहां एकत्र होने पर नियंत्रण की आवश्यकता है. वहीं, एक पत्थर की बीम में पड़ी दरार भी न्यास के लिए चिंता का विषय है. व्यास जी के तहखाना की छत की मरम्मत के संदर्भ में रिसीवर नियुक्त किए गए. जिला अधिकारी को इस संबंध में अवगत भी कराया गया है. लेकिन, कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है. कोर्ट ने फिलहाल इस मामले में सुनवाई के लिए नई तिथि निर्धारित की है.

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वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाना को लेकर एक नई याचिका काशी विश्वनाथ न्यास की तरफ से कोर्ट में दाखिल की गई है. काशी विश्वनाथ न्यास के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल करते हुए व्यास जी के तहखाना की छत की मरम्मत करने की मांग की है. कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए 19 मार्च की तारीख तय की है.

19 मार्च को ही सुनवाई की तारीख निर्धारित : इसके पहले भी व्यास जी के तहखाना में मरम्मत करवाने और ऊपर छत पर लोगों के आने जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन प्रोफेसर रामप्रसाद की तरफ से कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है. अदालत ने उसे भी स्वीकार करके 19 मार्च को ही सुनवाई की तारीख निर्धारित की थी. अब यह याचिका भी 19 तारीख को ही सुनी जाएगी. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा की तरफ से दिए गए हलफनामे में कोर्ट को व्यास जी के तहखाना की वर्तमान स्थिति के बारे में बात कर उसमें फोटोग्राफ भी अटैच की गई है. बताया गया है कि पूजा स्थल के पास पत्थर से बनी दीवारें और छत बेहद पुरानी और जर्जर हैं. जिसमें से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है. छत पर लगे एक पत्थर की बीम में दरारें आ गई हैं और इसे तत्काल बनाया जाना आवश्यक है. 31 जनवरी की रात को व्यास जी के तहखाना में पूजा पाठ शुरू होने के बाद अचानक से हर जुम्मे पर नमाजियों की भीड़ भी यहां बढ़ रही है. जिसकी वजह से छत पर दबाव बढ़ता जा रहा है. 15 फरवरी को नमाज के समय एकत्र भीड़ के दबाव से छत में कंपन हुआ था और विग्रह चबूतरे के ठीक बगल में एक पत्थर टूट कर भी नीचे गिरा था. ऐसी स्थिति में पुजारी का अंदर पूजा पाठ करना भी सुरक्षित नहीं है और गंभीर चोट लगने की भी आशंका है.

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