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चिकित्सा परिषद उत्तराखंड बोर्ड को लेकर उठे सवाल, हाईकोर्ट के कटघरे में पहुंची बोर्ड की वैधता - Chikitsa Parishad Uttarakhand - CHIKITSA PARISHAD UTTARAKHAND

Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार की ओर से गठित भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड को लेकर आयुष प्रैक्टिशनर (आयुष डॉक्टर) अखिलेश भटनागर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने नियमों के विरुद्ध अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करने की बात कही है.

Indian Medical Council Uttarakhand
निदेशालय आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 5, 2024, 7:10 PM IST

Updated : Sep 5, 2024, 7:46 PM IST

चिकित्सा परिषद उत्तराखंड बोर्ड को लेकर उठे सवाल (video-ETV Bharat)

देहरादून: आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं से जुड़ा भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड एक बार फिर चर्चाओं में है. दरअसल, राज्य सरकार की ओर से गठित भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड में नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है, जिसको लेकर आयुष प्रैक्टिशनर डॉ. अखिलेश भटनागर ने हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की है. दायर की गई याचिका के अनुसार राज्य सरकार की ओर से गठित परिषद बोर्ड में 'संयुक्त प्रांत (आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति) अधिनियम, 1939' में की गई व्यवस्थाओं को ताक पर रखकर अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त किया गया है. फिलहाल ये मामला नैनीताल हाईकोर्ट में है.

Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand
आयुष प्रैक्टिशनर अखिलेश भटनागर ने सीएम और मुख्य सचिव को लिखा पत्र (photo- ETV Bharat)

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड पर उठे सवाल: याचिकाकर्ता डॉ. अखिलेश भटनागर ने कहा कि 'संयुक्त प्रांत (आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति) अधिनियम, 1939' की धारा 5(1) और 6(1) एवं 6(2) में ये प्रावधान किया गया है कि परिषद का बोर्ड गठन करने के लिए अध्यक्ष के साथ ही पांच सदस्यों को भी नामित किया जाना चाहिए, लेकिन अधिनियम में की गई व्यवस्थाओं के विपरीत, सरकार ने बोर्ड सदस्यों को नामित किए बिना ही बोर्ड के अध्यक्ष पद पर डॉ. जेएन नौटियाल को नियुक्ति कर दिया और करीब 9 महीने के बाद सरकार ने बोर्ड के सदस्य के रूप में पांच सदस्यों को नामित किया. यानी करीब 9 महीने तक बिना सदस्यों के ही सिर्फ अध्यक्ष ने बोर्ड की सारी प्रक्रियाओं का संचालन किया.

Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand
आयुष प्रैक्टिशनर अखिलेश भटनागर ने आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं के निदेशक को लिखा पत्र (photo- ETV Bharat)

डॉ. अखिलेश भटनागर ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका: डॉ. अखिलेश भटनागर ने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 8 जनवरी 2022 को तत्कालीन आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव, चंद्रेश कुमार ने तत्कालीन सरकार के निर्देश पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड का गठन करने के लिए अध्यक्ष और पांच सदस्यों को नामित करने का आदेश जारी किया था, लेकिन आदेश जारी होने के बाद उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नोटिफिकेशन जारी हो गया था. साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी, जिसके बाद ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand
हाईकोर्ट के कटघरे में पहुंची बोर्ड की वैधता (photo- ETV Bharat)

हालांकि, चुनाव संपन्न होने और 23 मार्च 2022 को सरकार के गठन के साथ ही तत्कालीन आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव, चंद्रेश कुमार की ओर से बोर्ड गठन को लेकर संशोधित आदेश जारी किया गया, जिसमें बोर्ड के पांच सदस्यों को छोड़ सिर्फ अध्यक्ष पद पर डॉ. जेएन नौटियाल को नियुक्त कर दिया गया. इस आदेश में पांच सदस्यों को नामित करने के लिए कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया. बोर्ड के अध्यक्ष पद पर चयनित डॉ. जेएन नौटियाल बिना सदस्यों के ही बोर्ड के बतौर अध्यक्ष कार्यभार भी ग्रहण कर लेते हैं.

2023 को पांच सदस्यों को नामित करने का आदेश हुआ था जारी: इसके करीब 9 महीने के बाद यानी 3 जनवरी 2023 को शासन ने भारतीय चिकित्सा परिषद बोर्ड, उत्तराखंड के लिए पांच सदस्यों को नामित करने से संबंधित आदेश को जारी कर दिया गया, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि सरकार ने जिस तारीख को इन पांचों सदस्यों को नामित किया, उस तारीख तक इन पांचों सदस्यों का पंजीकरण परिषद में रिन्यू नहीं हुआ था और ना ही इन पांचों सदस्यों के रजिस्ट्रेशन रिन्यू की कोई प्रक्रिया परिषद में गतिमान थी, क्योंकि, 3 जनवरी 2023 को पांच सदस्यों की नियुक्ति की गई, जिसमें से चार सदस्य दिनेश जोशी, सुनील कुमार रतूड़ी, धीरज आर्य और अजीत तिवारी का परिषद में रजिस्ट्रेशन रिन्यू, नियुक्ति आदेश के एक दिन बाद यानी 4 जनवरी 2023 को किया गया, जबकि एक सदस्य पंकज कुमार बच्चस का परिषद में रजिस्ट्रेशन रिन्यू नियुक्ति आदेश के सात दिन बाद यानी 10 जनवरी 2023 को किया गया था.

वहीं, जब इस पूरे मामले पर अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे से बातचीत की गई तो उन्होंने बस इतना कहा कि ये मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में उनका अभी इसपर टिप्पणी करना उचित नहीं है.

मामले में नैनीताल हाईकोर्ट करेगा फैसला: वर्तमान समय में भारतीय चिकित्सा परिषद बोर्ड उत्तराखंड की वैधता नैनीताल हाईकोर्ट के कटघरे में है. इस मामले पर सुनवाई कर नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड शासन, आयुष निदेशालय और रजिस्ट्रार, भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.

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चिकित्सा परिषद उत्तराखंड बोर्ड को लेकर उठे सवाल (video-ETV Bharat)

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Bhartiya Chikitsa Parishad Uttarakhand
आयुष प्रैक्टिशनर अखिलेश भटनागर ने सीएम और मुख्य सचिव को लिखा पत्र (photo- ETV Bharat)

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड पर उठे सवाल: याचिकाकर्ता डॉ. अखिलेश भटनागर ने कहा कि 'संयुक्त प्रांत (आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति) अधिनियम, 1939' की धारा 5(1) और 6(1) एवं 6(2) में ये प्रावधान किया गया है कि परिषद का बोर्ड गठन करने के लिए अध्यक्ष के साथ ही पांच सदस्यों को भी नामित किया जाना चाहिए, लेकिन अधिनियम में की गई व्यवस्थाओं के विपरीत, सरकार ने बोर्ड सदस्यों को नामित किए बिना ही बोर्ड के अध्यक्ष पद पर डॉ. जेएन नौटियाल को नियुक्ति कर दिया और करीब 9 महीने के बाद सरकार ने बोर्ड के सदस्य के रूप में पांच सदस्यों को नामित किया. यानी करीब 9 महीने तक बिना सदस्यों के ही सिर्फ अध्यक्ष ने बोर्ड की सारी प्रक्रियाओं का संचालन किया.

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आयुष प्रैक्टिशनर अखिलेश भटनागर ने आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं के निदेशक को लिखा पत्र (photo- ETV Bharat)

डॉ. अखिलेश भटनागर ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका: डॉ. अखिलेश भटनागर ने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 8 जनवरी 2022 को तत्कालीन आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव, चंद्रेश कुमार ने तत्कालीन सरकार के निर्देश पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड का गठन करने के लिए अध्यक्ष और पांच सदस्यों को नामित करने का आदेश जारी किया था, लेकिन आदेश जारी होने के बाद उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नोटिफिकेशन जारी हो गया था. साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी, जिसके बाद ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

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हाईकोर्ट के कटघरे में पहुंची बोर्ड की वैधता (photo- ETV Bharat)

हालांकि, चुनाव संपन्न होने और 23 मार्च 2022 को सरकार के गठन के साथ ही तत्कालीन आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव, चंद्रेश कुमार की ओर से बोर्ड गठन को लेकर संशोधित आदेश जारी किया गया, जिसमें बोर्ड के पांच सदस्यों को छोड़ सिर्फ अध्यक्ष पद पर डॉ. जेएन नौटियाल को नियुक्त कर दिया गया. इस आदेश में पांच सदस्यों को नामित करने के लिए कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया. बोर्ड के अध्यक्ष पद पर चयनित डॉ. जेएन नौटियाल बिना सदस्यों के ही बोर्ड के बतौर अध्यक्ष कार्यभार भी ग्रहण कर लेते हैं.

2023 को पांच सदस्यों को नामित करने का आदेश हुआ था जारी: इसके करीब 9 महीने के बाद यानी 3 जनवरी 2023 को शासन ने भारतीय चिकित्सा परिषद बोर्ड, उत्तराखंड के लिए पांच सदस्यों को नामित करने से संबंधित आदेश को जारी कर दिया गया, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि सरकार ने जिस तारीख को इन पांचों सदस्यों को नामित किया, उस तारीख तक इन पांचों सदस्यों का पंजीकरण परिषद में रिन्यू नहीं हुआ था और ना ही इन पांचों सदस्यों के रजिस्ट्रेशन रिन्यू की कोई प्रक्रिया परिषद में गतिमान थी, क्योंकि, 3 जनवरी 2023 को पांच सदस्यों की नियुक्ति की गई, जिसमें से चार सदस्य दिनेश जोशी, सुनील कुमार रतूड़ी, धीरज आर्य और अजीत तिवारी का परिषद में रजिस्ट्रेशन रिन्यू, नियुक्ति आदेश के एक दिन बाद यानी 4 जनवरी 2023 को किया गया, जबकि एक सदस्य पंकज कुमार बच्चस का परिषद में रजिस्ट्रेशन रिन्यू नियुक्ति आदेश के सात दिन बाद यानी 10 जनवरी 2023 को किया गया था.

वहीं, जब इस पूरे मामले पर अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे से बातचीत की गई तो उन्होंने बस इतना कहा कि ये मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में उनका अभी इसपर टिप्पणी करना उचित नहीं है.

मामले में नैनीताल हाईकोर्ट करेगा फैसला: वर्तमान समय में भारतीय चिकित्सा परिषद बोर्ड उत्तराखंड की वैधता नैनीताल हाईकोर्ट के कटघरे में है. इस मामले पर सुनवाई कर नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड शासन, आयुष निदेशालय और रजिस्ट्रार, भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.

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Last Updated : Sep 5, 2024, 7:46 PM IST
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