नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड की वन टाइम सेटलमोंट योजना के कार्यान्वयन में कथित बाधाओं से संबंध में दिल्ली पुलिस की ओर से जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि कोई सत्ताधारी पार्टी प्रदर्शन की इजाजत कैसे मांग सकती है जब किसान प्रदर्शन की वजह से निरोधात्मक आदेश लागू किए गए हों.
सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी की ओर से पेश वकील रजत भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 17 फरवरी को दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर संबंधित डीसीपी को पत्र लिखकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए इजाजत देने की मांग की थी. पत्र में कहा गया था कि जंतर-मंतर पर होने वाले विरोध प्रदर्शन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्रीगण और आम आदमी पार्टी के विधायकों के अलावा लगभग आठ सौ लोग जुटेंगे.
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आम आदमी पार्टी के पत्र के जवाब में दिल्ली पुलिस ने 23 फरवरी को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के याचिकाकर्ता के आग्रह को गलत और मनमाने तरीके से अस्वीकार कर दिया. याचिका में कहा गया था कि जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(बी) के तहत मौलिक अधिकार है. ये लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा है.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील से कहा कि वह इस संबंध में निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 26 फरवरी के लिए लिस्ट कर रही थी. तब आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया कि एक घंटे के अंदर निर्देश लेकर आने को कहा जाए। लेकिन उसके बाद आम आदमी पार्टी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दी.
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