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कीटनाशक दवा नहीं जहर है! लापरवाही न बन जाए मौत का सबब, फसलों में छिड़काव करते वक्त सावधान रहें किसान - pesticide spray safety tips

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 13, 2024, 11:38 AM IST

आगर आप किसान हैं और फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करते हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि कई बार कीटनाशक छिड़काव के दौरान लापरवाही मौत का कारण बन सकती है. जानिये कीटनाशक का छिड़काव करते वक्त किसानों को क्या-क्या सावधानियां बरतना चाहिए.

Farmers should spray carefully
किसान सावधानी से करें छिड़काव (Etv Bharat)

Harmful Chemical Pesticides: जब भी कोई किसान खेत में फसल उगाता है, तो अपनी फसल की सुरक्षा करना उसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है. इसलिए फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान कीटनाशक का छिड़काव करता है. लेकिन खेतों में कीटनाशक और खरपतवार नाशक छिड़काव के दौरान जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. छिंदवाड़ा जिले में ऐसे ही लापरवाही बरतने पर दो किसानों की मौत हो गई है. खेतों में दवा छिड़काव के दौरान छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर बड़े खतरे से बचा जा सकता है.

खेतों में दवा छिड़काव के दौरान बरतें ये सावधानियां
फसलों को बीमारियों से बचाने और खरपतवार को खत्म करने के लिए कई जहरीली दवाइयां का उपयोग किसान खेतों में छिड़काव के लिए करते हैं. लेकिन जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो जाती है. दवा छिड़काव के दौरान किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि उन्हें किसी परेशानी से न जूझना पड़े. कृषि वैज्ञानिक डॉ. विजय पराड़कर ने बताया कि ''कीटनाशक और खरपतवार नाशक शरीर के लिए घातक साबित होते हैं, अगर यह किसी भी तरीके से आपके शरीर के अंदर जाते हैं तो जानलेवा भी हो सकते हैं.''

मास्क और ग्लव्स पहनकर करें छिड़काव
खेतों में दवा छिड़काव के दौरान आपको मुंह में मास्क और हाथ में ग्लव्स लगाकर ही छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही हवा के विपरीत दिशा में कभी भी दवा का छिड़काव न करें, नहीं तो ऐसे में दवाइयां आपके शरीर में आती है और शरीर में रिएक्शन भी कर सकती हैं. दवा छिड़काव के दौरान साबुन से हाथ धोने के बाद ही कोई भी चीज खाना चाहिए. अधिकतर देखा जाता है कि किसान खेतों में दवा छिड़काव के दौरान ही बीड़ी सिगरेट या गुटखा का सेवन कर लेते हैं जो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अगर शरीर में कोई भी चोट के निशान हो तो उसे पूरी तरीके से ढंककर ही दवा का छिड़काव करें. अन्यथा घाव वाले निशान में दवा संपर्क में आएगी तो खतरनाक हो सकता है.

दवा के डिब्बे में बने निशान बताएंगे कितना खतरनाक जहर

  1. कीटनाशक या खरपतवार नाशक के डिब्बे या पैकेट में एक गोल खतरे का निशान बना होता है. लेकिन किस दवाई में कितना जहर है ये निशान कलर के हिसाब से पहचान किए जाते हैं.
  2. अगर किसी दवा या जहर के पैकेट में लाल रंग से बना हुआ खतरे का निशान है तो समझ जाना चाहिए कि यह सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाला जहर है और जानलेवा साबित होता है.
  3. पीले रंग का निशान पैकेट में बना हो तो यह भी घातक जहर है. लेकिन लाल रंग से थोड़ा कम खतरनाक होता है. दवाइयों के डिब्बे या पैकेट में बने निर्देशानुसार ही खेतों में इसका छिड़काव करना चाहिए.
  4. दवा के डिब्बे या पैकेट में नीले रंग का निशान है तो यह लाल और पीले रंग के जहर से कम खतरनाक होता है. लेकिन जानवर या मानव जीवन को खतरा पहुंचाने के लिए काफी होता है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक होता है.
  5. सबसे कम खतरनाक जहर का निशान हरे रंग का होता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह मानव जीवन को खतरा नहीं पहुंचाएगा. जहर की मात्रा इसमें कम जरूर होती है लेकिन यह धीरे-धीरे शरीर में नुकसान पहुंचता है. इसमें जहर शरीर में धीरे-धीरे फैलता है इसलिए तेज असर नहीं दिखाई देता है.

छिड़काव के दौरान जहर के संपर्क में आने पर कराएं इलाज
खेतों में दवा छिड़काव के दौरान अगर चक्कर आना, उल्टी होना, जी मिचलाना या फिर अचानक तेज बुखार आ जाना कोई साधारण सिम्टम्स नहीं होते हैं. दवाई कहीं ना कहीं आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है, इसलिए इसे लापरवाही में ना लें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इसके साथ ही डॉक्टर को जहरीली दवा के डिब्बे या पैकेट में बने निशान के बारे में जरूर बताएं ताकि डॉक्टर उस हिसाब से इलाज कर सके.

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छिंदवाड़ा जिले में छिड़काव के दौरान दो किसान की मौत
चौरई विकासखंड के चंदनवाड़ा गांव के रहने वाले कारू धुर्वे खेतों में दवा का छिड़काव कर रहे थे. लेकिन उन्होंने सावधानी के तौर पर न तो मास्क लगाया था और न ही ग्लव्स पहने थे. इसी के चलते जहरीली दवा उनके शरीर में प्रवेश कर गई और इलाज के लिए उन्हें अस्पताल लाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई. वहीं, दूसरा मामला अमरवाड़ा विकासखंड के सजा गांव का है. जहां पर एक 16 साल का युवक खेत में दवा का छिड़काव कर रहा था. लेकिन हवा विपरीत होने की वजह से इसकी नाक और मुंह में जहर चला गया, इसकी वजह से उसकी भी मौत हो गई.

Harmful Chemical Pesticides: जब भी कोई किसान खेत में फसल उगाता है, तो अपनी फसल की सुरक्षा करना उसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है. इसलिए फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान कीटनाशक का छिड़काव करता है. लेकिन खेतों में कीटनाशक और खरपतवार नाशक छिड़काव के दौरान जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. छिंदवाड़ा जिले में ऐसे ही लापरवाही बरतने पर दो किसानों की मौत हो गई है. खेतों में दवा छिड़काव के दौरान छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर बड़े खतरे से बचा जा सकता है.

खेतों में दवा छिड़काव के दौरान बरतें ये सावधानियां
फसलों को बीमारियों से बचाने और खरपतवार को खत्म करने के लिए कई जहरीली दवाइयां का उपयोग किसान खेतों में छिड़काव के लिए करते हैं. लेकिन जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो जाती है. दवा छिड़काव के दौरान किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि उन्हें किसी परेशानी से न जूझना पड़े. कृषि वैज्ञानिक डॉ. विजय पराड़कर ने बताया कि ''कीटनाशक और खरपतवार नाशक शरीर के लिए घातक साबित होते हैं, अगर यह किसी भी तरीके से आपके शरीर के अंदर जाते हैं तो जानलेवा भी हो सकते हैं.''

मास्क और ग्लव्स पहनकर करें छिड़काव
खेतों में दवा छिड़काव के दौरान आपको मुंह में मास्क और हाथ में ग्लव्स लगाकर ही छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही हवा के विपरीत दिशा में कभी भी दवा का छिड़काव न करें, नहीं तो ऐसे में दवाइयां आपके शरीर में आती है और शरीर में रिएक्शन भी कर सकती हैं. दवा छिड़काव के दौरान साबुन से हाथ धोने के बाद ही कोई भी चीज खाना चाहिए. अधिकतर देखा जाता है कि किसान खेतों में दवा छिड़काव के दौरान ही बीड़ी सिगरेट या गुटखा का सेवन कर लेते हैं जो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अगर शरीर में कोई भी चोट के निशान हो तो उसे पूरी तरीके से ढंककर ही दवा का छिड़काव करें. अन्यथा घाव वाले निशान में दवा संपर्क में आएगी तो खतरनाक हो सकता है.

दवा के डिब्बे में बने निशान बताएंगे कितना खतरनाक जहर

  1. कीटनाशक या खरपतवार नाशक के डिब्बे या पैकेट में एक गोल खतरे का निशान बना होता है. लेकिन किस दवाई में कितना जहर है ये निशान कलर के हिसाब से पहचान किए जाते हैं.
  2. अगर किसी दवा या जहर के पैकेट में लाल रंग से बना हुआ खतरे का निशान है तो समझ जाना चाहिए कि यह सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाला जहर है और जानलेवा साबित होता है.
  3. पीले रंग का निशान पैकेट में बना हो तो यह भी घातक जहर है. लेकिन लाल रंग से थोड़ा कम खतरनाक होता है. दवाइयों के डिब्बे या पैकेट में बने निर्देशानुसार ही खेतों में इसका छिड़काव करना चाहिए.
  4. दवा के डिब्बे या पैकेट में नीले रंग का निशान है तो यह लाल और पीले रंग के जहर से कम खतरनाक होता है. लेकिन जानवर या मानव जीवन को खतरा पहुंचाने के लिए काफी होता है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक होता है.
  5. सबसे कम खतरनाक जहर का निशान हरे रंग का होता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह मानव जीवन को खतरा नहीं पहुंचाएगा. जहर की मात्रा इसमें कम जरूर होती है लेकिन यह धीरे-धीरे शरीर में नुकसान पहुंचता है. इसमें जहर शरीर में धीरे-धीरे फैलता है इसलिए तेज असर नहीं दिखाई देता है.

छिड़काव के दौरान जहर के संपर्क में आने पर कराएं इलाज
खेतों में दवा छिड़काव के दौरान अगर चक्कर आना, उल्टी होना, जी मिचलाना या फिर अचानक तेज बुखार आ जाना कोई साधारण सिम्टम्स नहीं होते हैं. दवाई कहीं ना कहीं आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है, इसलिए इसे लापरवाही में ना लें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इसके साथ ही डॉक्टर को जहरीली दवा के डिब्बे या पैकेट में बने निशान के बारे में जरूर बताएं ताकि डॉक्टर उस हिसाब से इलाज कर सके.

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चौरई विकासखंड के चंदनवाड़ा गांव के रहने वाले कारू धुर्वे खेतों में दवा का छिड़काव कर रहे थे. लेकिन उन्होंने सावधानी के तौर पर न तो मास्क लगाया था और न ही ग्लव्स पहने थे. इसी के चलते जहरीली दवा उनके शरीर में प्रवेश कर गई और इलाज के लिए उन्हें अस्पताल लाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई. वहीं, दूसरा मामला अमरवाड़ा विकासखंड के सजा गांव का है. जहां पर एक 16 साल का युवक खेत में दवा का छिड़काव कर रहा था. लेकिन हवा विपरीत होने की वजह से इसकी नाक और मुंह में जहर चला गया, इसकी वजह से उसकी भी मौत हो गई.

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