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'राजद में अब दो-दो तेजस्वी', शहाबुद्दीन परिवार का राजद में शामिल होने पर पकने लगी खिचड़ी

शहाबुद्दीन परिवार का राजद में शामिल होने पर लोगों की प्रतिक्रिया सामने आयी. कोई सराहा तो कोई दो-दो तेजस्वी मिलने की बात कह रहे हैं.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 2, 2024, 11:56 AM IST

सिवानः दिवगंत पूर्व सांसद शहाबुद्दीन परिवार एक बार फिर राजद की गयी. 27 अक्टूबर को लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हेमा शहाब और बेटे ओसामा को राजद की सदस्यता दिलायी. इसके बाद से राज्य की सियासयत गरम हो गयी है. लोग एक ओर इसे शहाबुद्दीन परिवार की मजबूरी बता रहे हैं तो एक ओर इसे विधानसभा चुनाव के लिए अच्छा बता रहे हैं.

'अब दो-दो तेजस्वी': ईटीवी भारत से बात करते हुए सिवान की जनता ने अपनी प्रतिक्रिया दी. 'राजद में अब दो-दो तेजस्वी', 'शहाबुद्दीन परिवार के लिए राजद में आना मजबूरी', 'शहाबुद्दीन परिवार के आने से राजद मजबूत होगा' सहित कई बातें खुलकर सामने आयी. शहर के मौलेश्वरी चौक निवासी देवेन्द्र गुप्ता पेशे से बीजेपी में मीडिया प्रभारी हैं. इन्होंने तो दोनों परिवार की पोल खोलकर रख दी.

सिवान के लोगों की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

'वोट बैंक की राजनीति': देवेंद्र गुप्ता ने कहा कि राजद के पास शाहबुद्दीन परिवार ही एक विकल्प है. शहाबुद्दीन परिवार और राजद दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि राजद से मुसलमानों का मोह भंग हो चुका है और सामने 4 सीटों पर उप चुनाव होना है. ऐसे में मुसलमानों का वोट बैंक हासिल करने के लिए लालू एवं तेजस्वी यादव ने इन लोगों को मिलाया है.

हेना शहाब की मजबूरीः बताया कि हेना शहाब निर्दलीय चुनाव लड़ी. वोट भी अच्छी खासी उन्होंने प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने राजद ज्वाइन की. इसके पीछे कई कारण हैं. दोनों के पास कोई विकल्प नहीं है. देवेंद्र गुप्ता ने इस मिलन को मजबूरी बताया. उन्होंने कहा कि तेजस्वी और लालू सिर्फ वोट बैंक के पाने के लिए इन लोगों का इस्तेमाल किया है.

"यह मिलन मजबूरी में हुई है. दोनों के पास कोई विकल्प नहीं है. तेजस्वी और लालू सिर्फ वोट बैंक पाने के लिए उन लोगों का इस्तेमाल किया है. पहले लालू यादव ने शहाबुद्दीन इस्तेमाल किया था और अब ओसामा का इस्तेमाल होगा. कोई पद उनलोगों को राजद नहीं देगी." -देवेन्द्र गुप्ता, मीडिया प्रभारी, बीजेपी

कभी दोस्त तो कभी दुश्मनः स्थानीय प्रमोद मिश्रा भी इस परिवार के मिलन से खुश नहीं है. उन्होंने कहा कि ये लोग कब दोस्त और दुश्मन हो जाएंगे इसके बारे में कहना मुश्किल है. हालांकि उसने कहा कि इस परिवार से एक व्यक्ति को राजनीति में तो रहना ही चाहिए. इसलिए ओसामा शहाब को राजद से जोड़ा गया है.

"लोकतंत्र की यही खूबसूरती है. राजनीती में कुछ भी संभव है. कब नेता एक दुसरे का विरोधी हो जाएंगे और कब दोस्त हो जाएंगे यह कहना मुश्किल है. ये लोग आगे का चुनाव को देखते हुए समीकरण बनाए हैं. आगे देखिए क्या होता है? वैसे शहाबुदीन परिवार से तो एक आदमी को राजनीति में रहना ही चाहिए." -प्रमोद कुमार मिश्रा, स्थानीय

'बीजेपी को हो रही बेचैनी': कुछ राजद समर्थकों से बात की गयी. उन्होंने दोनों परिवार की मिलन पर खुशी जतायी. कहा कि ऐसा होने से आने वाले विधानसभा चुनाव में काफी फायदा होने वाला है. 2025 में महागठबंधन की सरकार बनना तय हो गया है. रामचंद्र चौधरी ने बताया कि इस मिलन से बीजेपी को बेचैनी हो रहा. बबन यादव ने बताया कि अब तो राजद में दो-दो तेजस्वी हो हो गए हैं.

"यह अच्छा हुआ है. पहले एक ही तेजस्वी थे. अब राजद में दो दो तेजस्वी हो गए. अबकी बार सरकार बनना तय माना जा रहा है." -बबन यादव, स्थानीय

"यह अच्छा हुआ है कि दोनों एक हो गए. तेजस्वी और ओसामा की जोड़ी अच्छी मानी जाएगी, क्योंकि दोनों परिवार के यही उत्तराधिकारी हैं. इस मिलन से सबसे ज्यादा बेचैनी भाजपा को है. वह कभी नहीं चाहेगी कि दोनों परिवार एक हो." - रामचंद्र चौधरी, स्थानीय

यह भी पढ़ेंः हेना शहाब और ओसामा शहाब RJD में शामिल, विधानसभा चुनाव से पहले लालू-तेजस्वी का बड़ा दांव

सिवानः दिवगंत पूर्व सांसद शहाबुद्दीन परिवार एक बार फिर राजद की गयी. 27 अक्टूबर को लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हेमा शहाब और बेटे ओसामा को राजद की सदस्यता दिलायी. इसके बाद से राज्य की सियासयत गरम हो गयी है. लोग एक ओर इसे शहाबुद्दीन परिवार की मजबूरी बता रहे हैं तो एक ओर इसे विधानसभा चुनाव के लिए अच्छा बता रहे हैं.

'अब दो-दो तेजस्वी': ईटीवी भारत से बात करते हुए सिवान की जनता ने अपनी प्रतिक्रिया दी. 'राजद में अब दो-दो तेजस्वी', 'शहाबुद्दीन परिवार के लिए राजद में आना मजबूरी', 'शहाबुद्दीन परिवार के आने से राजद मजबूत होगा' सहित कई बातें खुलकर सामने आयी. शहर के मौलेश्वरी चौक निवासी देवेन्द्र गुप्ता पेशे से बीजेपी में मीडिया प्रभारी हैं. इन्होंने तो दोनों परिवार की पोल खोलकर रख दी.

सिवान के लोगों की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

'वोट बैंक की राजनीति': देवेंद्र गुप्ता ने कहा कि राजद के पास शाहबुद्दीन परिवार ही एक विकल्प है. शहाबुद्दीन परिवार और राजद दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि राजद से मुसलमानों का मोह भंग हो चुका है और सामने 4 सीटों पर उप चुनाव होना है. ऐसे में मुसलमानों का वोट बैंक हासिल करने के लिए लालू एवं तेजस्वी यादव ने इन लोगों को मिलाया है.

हेना शहाब की मजबूरीः बताया कि हेना शहाब निर्दलीय चुनाव लड़ी. वोट भी अच्छी खासी उन्होंने प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने राजद ज्वाइन की. इसके पीछे कई कारण हैं. दोनों के पास कोई विकल्प नहीं है. देवेंद्र गुप्ता ने इस मिलन को मजबूरी बताया. उन्होंने कहा कि तेजस्वी और लालू सिर्फ वोट बैंक के पाने के लिए इन लोगों का इस्तेमाल किया है.

"यह मिलन मजबूरी में हुई है. दोनों के पास कोई विकल्प नहीं है. तेजस्वी और लालू सिर्फ वोट बैंक पाने के लिए उन लोगों का इस्तेमाल किया है. पहले लालू यादव ने शहाबुद्दीन इस्तेमाल किया था और अब ओसामा का इस्तेमाल होगा. कोई पद उनलोगों को राजद नहीं देगी." -देवेन्द्र गुप्ता, मीडिया प्रभारी, बीजेपी

कभी दोस्त तो कभी दुश्मनः स्थानीय प्रमोद मिश्रा भी इस परिवार के मिलन से खुश नहीं है. उन्होंने कहा कि ये लोग कब दोस्त और दुश्मन हो जाएंगे इसके बारे में कहना मुश्किल है. हालांकि उसने कहा कि इस परिवार से एक व्यक्ति को राजनीति में तो रहना ही चाहिए. इसलिए ओसामा शहाब को राजद से जोड़ा गया है.

"लोकतंत्र की यही खूबसूरती है. राजनीती में कुछ भी संभव है. कब नेता एक दुसरे का विरोधी हो जाएंगे और कब दोस्त हो जाएंगे यह कहना मुश्किल है. ये लोग आगे का चुनाव को देखते हुए समीकरण बनाए हैं. आगे देखिए क्या होता है? वैसे शहाबुदीन परिवार से तो एक आदमी को राजनीति में रहना ही चाहिए." -प्रमोद कुमार मिश्रा, स्थानीय

'बीजेपी को हो रही बेचैनी': कुछ राजद समर्थकों से बात की गयी. उन्होंने दोनों परिवार की मिलन पर खुशी जतायी. कहा कि ऐसा होने से आने वाले विधानसभा चुनाव में काफी फायदा होने वाला है. 2025 में महागठबंधन की सरकार बनना तय हो गया है. रामचंद्र चौधरी ने बताया कि इस मिलन से बीजेपी को बेचैनी हो रहा. बबन यादव ने बताया कि अब तो राजद में दो-दो तेजस्वी हो हो गए हैं.

"यह अच्छा हुआ है. पहले एक ही तेजस्वी थे. अब राजद में दो दो तेजस्वी हो गए. अबकी बार सरकार बनना तय माना जा रहा है." -बबन यादव, स्थानीय

"यह अच्छा हुआ है कि दोनों एक हो गए. तेजस्वी और ओसामा की जोड़ी अच्छी मानी जाएगी, क्योंकि दोनों परिवार के यही उत्तराधिकारी हैं. इस मिलन से सबसे ज्यादा बेचैनी भाजपा को है. वह कभी नहीं चाहेगी कि दोनों परिवार एक हो." - रामचंद्र चौधरी, स्थानीय

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