हमीरपुर: राधा स्वामी चैरिटेबल अस्पताल भोटा के पहली दिसंबर से बंद किए जाने के फरमान पर बुधवार सुबह सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर भोटा अस्पताल के बाहर सड़क को जाम कर दिया. इस दौरान काफी संख्या में पुलिस के जवान मौजूद रहे. प्रदर्शन में काफी संख्या में महिलाएं पहुंची हुईं थीं.
बीजेपी के तीन विधायक प्रदर्शन में हुए शामिल
लोगों ने प्रदर्शन कर सरकार से डेरा ब्यास की मांग मानने की गुहार लगाई जिससे अस्पताल किसी भी कीमत पर बंद ना हो. इस दौरान महिलाओं ने सड़क पर बैठकर चक्का जाम किया और चैरिटेबल अस्पताल भोटा को बंद ना करने की सरकार से गुहार लगाई. इस प्रदर्शन में बीजेपी के तीन विधाकर पहुंचे हुए थे जिनमें बड़सर के विधायक इंद्रदत लखनपाल, विधायक आशीष शर्मा और विधायक रणधीर शर्मा ने महिलाओं से बातचीत की.
विधायक बड़सर इंद्रदत लखनपाल ने कहा "भोटा चैरिटेबल अस्पताल को बंद करने के चलते लोग अब सड़कों पर उतरे हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को चाहिए कि चैरिटेबल अस्पताल के लिए जमीन के विवाद को सुलझाने के लिए जल्द से जल्द काम किया जाना चाहिए ताकि समस्या हल हो सके."
विधायक रणधीर शर्मा ने कहा "बीते 24 सालों से चैरिटेबल अस्पताल चल रहा है. यह अस्पताल सालों से लोगों को सेवाएं दे रहा है. अस्पताल प्रबंधन और जनता की मांग का बीजेपी को पूर्ण रूप से समर्थन है अगर विधानसभा में कांग्रेस इसको लेकर ऑर्डिनेंस लाएगी तो बीजेपी का इसको पूर्ण समर्थन रहेगा लेकिन मुख्य बात है कि जनता को इस मांग के लिए सड़कों पर लाना सही नहीं है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अगर लिख कर दो लाइन एडमिनिस्ट्रेटर को दे देते हैं तो भी इस अस्पताल को बंद होने से बचाया जा सकता है."
ये है मामला
डेरा ब्यास प्रबंधन चाहता है कि वर्तमान में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के तहत चल रहे चैरिटेबल ट्रस्ट के भोटा अस्पताल को ब्यास डेरा की ही सिस्टर कंसर्न अथवा ऑर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाए. इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है साथ ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा. लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए पहले ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट तैयार होगा. उसे विधि विभाग की राय के लिए भेजा जाएगा फिर इससे जुड़ा बिल विधानसभा में लाया जाएगा. विधानसभा में पास होने के बाद उसे राष्ट्रपति भवन की मंजूरी मिलना जरूरी है. राज्य सरकार ने ड्राफ्ट विधि विभाग को भेजा है. विधि विभाग ने इस पर आपत्तियां लगाई हैं. उन आपत्तियों के पीछे लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधान हैं.
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