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रेणुका जी झील अनदेखी का शिकार, लोगों का फूटा गुस्सा - Renuka Ji lake worst condition

Renuka Ji lake worst condition: सिरमौर जिले में स्थित श्री रेणुका जी झील हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है. मौजूदा समय में श्री रेणुका जी झील का अस्तित्व खतरे में है. इसको लेकर लोगों ने आज प्रदर्शन किया.

Renuka Ji lake worst condition
लोगों ने रेणूका झील को लेकर किया प्रदर्शन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 29, 2024, 7:18 PM IST

Updated : Jun 29, 2024, 7:53 PM IST

रेणुका जी झील अनदेखी का शिकार (ETV Bharat)

नाहन: श्री रेणुका जी झील की अनदेखी को लेकर शनिवार को लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और दर्जनों की संख्या में महिलाओं ने मां रेणुका जी सेवा समिति के बैनर तले वाइल्ड लाइफ विभाग के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

रेणु मंच से लेकर महिलाओं ने स्थानीय वाइल्ड लाइफ कार्यालय तक रोष रैली निकाल विभाग के खिलाफ खूब नारेबाजी की. सेवा समिति व महिलाओं ने तीखे तेवर दिखाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा या तो विभाग खुद झील के अस्तित्व को बचाने के लिए आगे आए या फिर उन्हें श्रमदान के माध्यम से काम करने की अनुमति दें.

मीडिया से बात करते हुए मां रेणुका जी सेवा समिति के अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर ने कहा रेणुका जी झील लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, जहां दूर-दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं, लेकिन झील की वर्तमान दशा को देख काफी आहत होते हैं.

पहले कभी झील की गहराई नापी नहीं जा सकती थी, लेकिन अब अनदेखी से हालात यह हो गए हैं कि अब इसकी गहराई मात्र 13 मीटर रह चुकी है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने विभाग पर आरोप लगाते कहा कि झील के अस्तित्व को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

रेणुका जी सेवा समिति के अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर ने झील के रखरखाव को लेकर कहा न तो विभाग खुद कुछ कर रहा है और न लोगों को कुछ करने दे रहा है. उन्होंने मांग करते हुए कहा विभाग या तो खुद झील से गाद को निकालने का काम करे या फिर लोगों को श्रमदान करने की मंजूरी दे ताकि विलुप्त हो रही झील को बचाया जा सके.

सेवा समिति से जुड़ी महिलाओं ने कहा रेणुका जी झील धार्मिक आस्था का केंद्र है और जो झील रूपी मां की प्राचीन कला की आकृति है. वह दिन प्रतिदिन लुप्त होती जा रही है. उन्होंने कहा झील का ऊपरी हिस्सा जिसे माता का सिर कहा जाता है उसे वनस्पतियों ने पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है और वहां पानी बिल्कुल सूख चुका है.

झील के अंदर बहुत सारे पेड़ गिरे हैं, जो सड़ चुके हैं, जिन्हें निकाला नहीं जा रहा है. महिलाओं का कहना है कि झील के अंदर अत्यधिक मात्रा में गाद जमा हो चुकी है, जिससे झील में बदबू पैदा हो गई है. उन्होंने कहा बीते 5-6 महीनों में हर रविवार को निशुल्क श्रमदान किया जा रहा है और झील को साफ करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब संबंधित विभाग ने सेवा समिति को भी काम करने से मना कर दिया है.

इस मामले में वाइल्ड लाइफ विभाग के एसीएफ विनोद रांटा ने कहा कुछ समय पहले मानव निर्मित कचरे को एकत्रित करने के लिए विभाग ने कुछ लोगों को जोड़ा था. चूंकि यह वाइल्ड लाइफ के साथ-साथ सेंचुरी एरिया होने के अलावा रामसर साइट भी है, जिसके अपने कुछ नियम हैं और उन्हीं नियमों के तहत यहां पर कार्य किया जा सकता है. उन्होंने कहा स्थानीय लोगों की झील को लेकर कुछ मांगे हैं. उन्हें विभाग के उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा.

बता दें कि सेवा समिति से क्षेत्र की विभिन्न महिला मंडलों की काफी संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं, जो पिछले कई महीनों से रेणुका जी झील के रखरखाव व साफ-सफाई का निशुल्क कार्य कर रही हैं, लेकिन अब विभाग ने इसे रोक दिया है, जिसके बाद सेवा समिति और वाइल्ड लाइफ विभाग आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 30 जून को होगा एचएएस एग्जाम, यहां डाउनलोड करें एडमिट कार्ड

रेणुका जी झील अनदेखी का शिकार (ETV Bharat)

नाहन: श्री रेणुका जी झील की अनदेखी को लेकर शनिवार को लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और दर्जनों की संख्या में महिलाओं ने मां रेणुका जी सेवा समिति के बैनर तले वाइल्ड लाइफ विभाग के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

रेणु मंच से लेकर महिलाओं ने स्थानीय वाइल्ड लाइफ कार्यालय तक रोष रैली निकाल विभाग के खिलाफ खूब नारेबाजी की. सेवा समिति व महिलाओं ने तीखे तेवर दिखाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा या तो विभाग खुद झील के अस्तित्व को बचाने के लिए आगे आए या फिर उन्हें श्रमदान के माध्यम से काम करने की अनुमति दें.

मीडिया से बात करते हुए मां रेणुका जी सेवा समिति के अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर ने कहा रेणुका जी झील लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, जहां दूर-दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं, लेकिन झील की वर्तमान दशा को देख काफी आहत होते हैं.

पहले कभी झील की गहराई नापी नहीं जा सकती थी, लेकिन अब अनदेखी से हालात यह हो गए हैं कि अब इसकी गहराई मात्र 13 मीटर रह चुकी है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने विभाग पर आरोप लगाते कहा कि झील के अस्तित्व को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

रेणुका जी सेवा समिति के अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर ने झील के रखरखाव को लेकर कहा न तो विभाग खुद कुछ कर रहा है और न लोगों को कुछ करने दे रहा है. उन्होंने मांग करते हुए कहा विभाग या तो खुद झील से गाद को निकालने का काम करे या फिर लोगों को श्रमदान करने की मंजूरी दे ताकि विलुप्त हो रही झील को बचाया जा सके.

सेवा समिति से जुड़ी महिलाओं ने कहा रेणुका जी झील धार्मिक आस्था का केंद्र है और जो झील रूपी मां की प्राचीन कला की आकृति है. वह दिन प्रतिदिन लुप्त होती जा रही है. उन्होंने कहा झील का ऊपरी हिस्सा जिसे माता का सिर कहा जाता है उसे वनस्पतियों ने पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है और वहां पानी बिल्कुल सूख चुका है.

झील के अंदर बहुत सारे पेड़ गिरे हैं, जो सड़ चुके हैं, जिन्हें निकाला नहीं जा रहा है. महिलाओं का कहना है कि झील के अंदर अत्यधिक मात्रा में गाद जमा हो चुकी है, जिससे झील में बदबू पैदा हो गई है. उन्होंने कहा बीते 5-6 महीनों में हर रविवार को निशुल्क श्रमदान किया जा रहा है और झील को साफ करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब संबंधित विभाग ने सेवा समिति को भी काम करने से मना कर दिया है.

इस मामले में वाइल्ड लाइफ विभाग के एसीएफ विनोद रांटा ने कहा कुछ समय पहले मानव निर्मित कचरे को एकत्रित करने के लिए विभाग ने कुछ लोगों को जोड़ा था. चूंकि यह वाइल्ड लाइफ के साथ-साथ सेंचुरी एरिया होने के अलावा रामसर साइट भी है, जिसके अपने कुछ नियम हैं और उन्हीं नियमों के तहत यहां पर कार्य किया जा सकता है. उन्होंने कहा स्थानीय लोगों की झील को लेकर कुछ मांगे हैं. उन्हें विभाग के उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा.

बता दें कि सेवा समिति से क्षेत्र की विभिन्न महिला मंडलों की काफी संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं, जो पिछले कई महीनों से रेणुका जी झील के रखरखाव व साफ-सफाई का निशुल्क कार्य कर रही हैं, लेकिन अब विभाग ने इसे रोक दिया है, जिसके बाद सेवा समिति और वाइल्ड लाइफ विभाग आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं.

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Last Updated : Jun 29, 2024, 7:53 PM IST
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