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मातृकुंडिया डैम का पानी चित्तौड़गढ़ को मिलने की उम्मीद जगी, मंत्री ने दिया आश्वासन - पानी चित्तौड़गढ़ को देने की मांग

कैबिनेट मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को कपासन क्षेत्र के लोगों ने मातृकुंडिया डैम का पानी भीलवाड़ा के बजाय चित्तौड़गढ़ को दिए जाने की मांग को लेकर ज्ञापन दिया. मंत्री ने इस मांग को वाजिब बताते हुए उचित समाधान निकालने का आश्वासन दिया है.

मातृकुंडिया डैम का पानी चित्तौड़गढ़ को देने की मांग
मातृकुंडिया डैम का पानी चित्तौड़गढ़ को देने की मांग
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 25, 2024, 8:09 PM IST

चित्तौड़गढ़. कैबिनेट मंत्री कन्हैयालाल चौधरी सांवरिया सेठ के दरबार में पहुंचे और पूजा-अर्चना की. इस दौरान उन्हें कपासन क्षेत्र के लोगों ने मातृकुंडिया डैम का पानी भीलवाड़ा के बजाय चित्तौड़गढ़ को दिए जाने की मांग को लेकर ज्ञापन दिया. मंत्री ने इस मांग को वाजिब बताते हुए उचित समाधान निकालने का आश्वासन दिया है.

कपासन के पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट ने बताया कि मातृकुंडिया डैम वर्तमान में पानी से लबालब है. हालांकि, भीलवाड़ा के मेजा बांध के लिए इस डैम का निर्माण कराया गया, लेकिन अब भीलवाड़ा की प्यास बुझाने के लिए चंबल नदी का पानी आ रहा है, इस कारण अब भीलवाड़ा जिले को मातृकुंडिया डैम के पानी की जरूरत नहीं है. कई वर्षों से इस डैम का पानी चित्तौड़गढ़ जिले के किसानों एवं नागरिकों को नहीं मिल रहा है. इसके लिए किसानों एवं ग्रामीणों ने कई बार जिला स्तर तक प्रदर्शन कर प्रशासन को अपनी मांग से अवगत करवाया है. वर्तमान में मातृकुंडिया बांध का पानी मेजा फीडर में बेवजह भेजा जा रहा है, इससे पानी की बर्बादी हो रही है, जबकि कपासन, भूपालसागर, जाशमा, धमाणा, डिंडोली, सिंहपुर, तुंबडिया एवं बागेश्वर नाका के तालाब सूखे पड़े हैं. प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में किसानों एवं ग्रामीणों को परेशान होना पड़ता है, इसलिए मातृकुंडिया का पानी कपासन और चित्तौड़गढ़ दोनों विधानसभा क्षेत्र के गांव को दिया जाए, इससे लगभग 60 गांवों को लाभ मिलेगा.

इसे भी पढ़ें-सरकार की रोक से अटके हाड़ौती के 3 हजार करोड़ के बांधों के काम, इनमें ERCP के दो डैम भी शामिल

उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष इन गांवों में गर्मी के मौसम में पेयजल संकट गहराता है और लाखों रुपए टैंकरों से जलापूर्ति पर खर्च होते हैं, यदि मातृकुंडिया डैम का पानी जिले को दिया जाए तो, इन गांवों में जल संकट नहीं रहेगा और जल समस्या का स्थाई समाधान होगा. इस संबंध में मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि लोगों की वाजिब मांग है. भीलवाड़ा में अब मातृकुंडिया बांध के पानी की कोई जरूरत नहीं है, ऐसे में असेसमेंट करवा कर बांध का पानी आसपास के गांव को दिलाने की दिशा में काम किया जाएगा.

चित्तौड़गढ़. कैबिनेट मंत्री कन्हैयालाल चौधरी सांवरिया सेठ के दरबार में पहुंचे और पूजा-अर्चना की. इस दौरान उन्हें कपासन क्षेत्र के लोगों ने मातृकुंडिया डैम का पानी भीलवाड़ा के बजाय चित्तौड़गढ़ को दिए जाने की मांग को लेकर ज्ञापन दिया. मंत्री ने इस मांग को वाजिब बताते हुए उचित समाधान निकालने का आश्वासन दिया है.

कपासन के पूर्व विधायक बद्रीलाल जाट ने बताया कि मातृकुंडिया डैम वर्तमान में पानी से लबालब है. हालांकि, भीलवाड़ा के मेजा बांध के लिए इस डैम का निर्माण कराया गया, लेकिन अब भीलवाड़ा की प्यास बुझाने के लिए चंबल नदी का पानी आ रहा है, इस कारण अब भीलवाड़ा जिले को मातृकुंडिया डैम के पानी की जरूरत नहीं है. कई वर्षों से इस डैम का पानी चित्तौड़गढ़ जिले के किसानों एवं नागरिकों को नहीं मिल रहा है. इसके लिए किसानों एवं ग्रामीणों ने कई बार जिला स्तर तक प्रदर्शन कर प्रशासन को अपनी मांग से अवगत करवाया है. वर्तमान में मातृकुंडिया बांध का पानी मेजा फीडर में बेवजह भेजा जा रहा है, इससे पानी की बर्बादी हो रही है, जबकि कपासन, भूपालसागर, जाशमा, धमाणा, डिंडोली, सिंहपुर, तुंबडिया एवं बागेश्वर नाका के तालाब सूखे पड़े हैं. प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में किसानों एवं ग्रामीणों को परेशान होना पड़ता है, इसलिए मातृकुंडिया का पानी कपासन और चित्तौड़गढ़ दोनों विधानसभा क्षेत्र के गांव को दिया जाए, इससे लगभग 60 गांवों को लाभ मिलेगा.

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उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष इन गांवों में गर्मी के मौसम में पेयजल संकट गहराता है और लाखों रुपए टैंकरों से जलापूर्ति पर खर्च होते हैं, यदि मातृकुंडिया डैम का पानी जिले को दिया जाए तो, इन गांवों में जल संकट नहीं रहेगा और जल समस्या का स्थाई समाधान होगा. इस संबंध में मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि लोगों की वाजिब मांग है. भीलवाड़ा में अब मातृकुंडिया बांध के पानी की कोई जरूरत नहीं है, ऐसे में असेसमेंट करवा कर बांध का पानी आसपास के गांव को दिलाने की दिशा में काम किया जाएगा.

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