सीतामढ़ी: बिहार का सीतामढ़ी जिला भारत नेपाल सीमा पर स्थित है. खुली सीमा और मैत्री संबंध होने के कारण भारत के लोग नेपाल और नेपाल के लोग भारत बिना वीजा पासपोर्ट के आते-जाते हैं. एक पुरानी कहावत है भारत और नेपाल में बेटी और रोटी का संबंध है. इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए नेपाल और भारत के लोग एक साथ नेपाल की सरहद में छठ का पर्व मनाते हैं.
दो देश के लोग एक साथ करते हैं छठ: स्थानीय लोगों ने बताया कि भारत और नेपाल के लोग एक साथ मिलकर छठ पूजा को लेकर घाट का निर्माण करते हैं और आपसी भाईचारा की मिसाल पेश करते हैं. भारत के बसंतपुर, चक्कीमजुरबा, चिलरा, चिलरी, रंमनगरा, मुसरनिहा सहित दर्जनों गांवों से लोग छठ पूजा करने आते हैं.
"नेपाल सर्लाही ही नहीं रौतहट से भी लोग सैकड़ों की संख्या में झीम नदी पर छठ पर्व मनाने आते है. बहुत पहले से यह परंपरा चली आ रही है. दोनों देशों के बीच मैत्री संबंध है."- राम निवास यादव, स्थानीय
मिलकर करते हैं घाटों का निर्माण: नेपाल और भारत के लोग मिलकर कई दिनों पहले से घाट का मुआयना करते हैं और फिर मिलजुलकर घाट का निर्माण करते हैं ताकि छठ पर्व के दौरान व्रतियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो. छठ पूजा के दिन बड़ा मेला लगता है, जिसमें हजारों कि संख्या में भारतीय और नेपाली ग्रामीण मौजूद रहते हैं.
नेपाल के झीम नदी में हजारों लोग होते हैं इकट्ठा: भारत नेपाल की सीमा सोनबरसा बॉर्डर के समीप नेपाल की शरहद पर बहने वाली झीम नदी पर हजारों की संख्या में इकट्ठे होकर लोग छठ का पर्व मानते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह प्रथा आज से नहीं सदियों से चली आ रही है और सदियों से भारत और नेपाल के लोग भाईचारे की मिसाल पेश कर छठ का पर्व मानते हैं. छठी मैया से दोनों देश के लोगों के लिए उन्नति की मांग करते हैं.
"मेरा जन्म भी नहीं हुआ था उससे पहले से यहां छठ मनाया जाता है. नेपाल और सोनवर्षा के लोग ज्यादा होते हैं. 30 से 40 से भी ज्यादा समय पहले से यहां छठ मनाया जाता है."- वीपी कुमार झा, स्थानीय
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