पाकुड़: झारखंड ही नहीं बल्कि अविभाजित बिहार के दौरान अमन चैन और शांति के लिए मशहुर पाकुड़ इन दिनों कुछ असमाजिक एवं उपद्रवी तत्वों की वजह से शर्मसार हुआ है. असामाजिक तत्वों ने अविश्वास की ऐसी दीवार खड़ी कर दी है, जिसे पाटने के लिए शासन प्रशासन के साथ साथ जनप्रतिनिधियों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
उपद्रवियों और असामाजिक तत्वों की भेंट चढ़े गोपीनाथपुर गांव में स्थिति धीरे धीरे सामान्य होने के साथ साथ जनजीवन भी लोगों के अनुकुल हो रहा है, लेकिन बकरीद के दिन उत्पन्न विवाद की वजह से आज भी गोपीनाथपुर गांव के किसान हो या मजदूर सबका कामकाज के साथ साथ कारोबार प्रभावित हा रहा है, क्योंकि अपने खेतों में उपजायी गयी फसलें, बनायी गयी बीड़ी को निकटवर्ती पश्चिम बंगाल के बाजारों में ले जाकर बेच नहीं पा रहे हैं. कुछ लोगों ने अपने उत्पादित फसलों को बेचने के लिए पश्चिम बंगाल के बाजारों में जाने का प्रयास किया लेकिन वहां विरोध होने की वजह से बैंरग लौटना पड़ा.
इतना ही नहीं गोपीनाथपुर गांव में शांति बहाली एवं भयमुक्त माहौल बनाने को लेकर पुलिसिया कवायद लगातार जारी रहने के बावजूद कई लोग आज भी बीते 17 जून एवं उसके बाद घटी घटना की पुनरावृति को लेकर सशंकित हैं. इसी शंका और भय को खत्म करने के लिए पुलिस कप्तान, सिविल प्रशासन से जुड़े अधिकारी एवं सांसद जुटे हुए हैं.
कई ग्रामीणों का तो यह भी कहना है कि निकटवर्ती पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर के कुछ असमाजिक लोगों द्वारा बाजार आने जाने में रूकावट पैदा की जा रही है, जिसके चलते कारोबार प्रभावित तो हुआ ही है साथ ही साथ इलाज आदि सुविधा के लिए भी वे पश्चिम बंगाल जाने से परहेज कर रहे हैं. गोपीनाथपुर गांव में दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी के साथ जिला पुलिस, आइआरबी एवं जैप के जवान दिनरात न केवल कैंप कर रहे हैं, बल्कि लोगों में व्याप्त भय को खत्म करने की जीतोड़ मेहनत भी कर रहे हैं.
सांसद के साथ साथ प्रशासन एवं स्थानीय प्रबुद्धजन लोगों से आपसी भाईचारे को बरकरार रखने के लिए शांति बहाली पर विशेष बल दे रहे हैं. फिलहाल गोपीनाथपुर गांव में जहां शांति बहाली के लिए पाकुड़ जिले की पुलिस तो निकटवर्ती पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर में पश्चिम बंगाल की पुलिस और अधिकारी कैंप कर रहे हैं. बीते चार दिनों से किसी तरह की घटना नहीं घटी है, लेकिन जिस अविश्वास की दीवार उपद्रवियों एवं असमाजिक तत्वों ने गोपीनाथपुर में खड़ी की है उसे पाटने में थोड़ा वक्त जरूर लगेगा.
बता दें कि पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के ग्रामीण इलाकों के लोग मजदूरी के साथ साथ खेती पर पूरी तरह आश्रित हैं. पाकुड़ सदर प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में उपजायी गयी फसलें साग, सब्जी के साथ-साथ मजदूरों द्वारा बनायी गयी बीड़ी पश्चिम बंगाल के बाजारों में वृहद पैमाने पर बेची जाती है, जिससे पाकुड़ के किसानों और मजदूरों को उनका मेहनताना तो मिलता ही है साथ ही पश्चिम बंगाल के कारोबारियों की आर्थिक रीढ़ भी मजबूत होती है.
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