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डीडवाना में लोगों ने खेली अनूठी होली, यह है मकसत - Didwana unique Dolchi Maar Holi - DIDWANA UNIQUE DOLCHI MAAR HOLI

हर जगह की अपनी अपनी परम्पराएं, रीती रिवाज और संस्कृति होती है. देशभर में होली की भी भांति-भांति की परम्पराएं हैं. ऐसी ही खास डीडवाना की डोलची मार होली है. इसकी शुरूआत प्रशासनिक अधिकारी को डोलची से पानी मार कर किया जाता है.

Didwana's unique Dolchi Maar Holi
डीडवाना की अनूठी डोलची मार होली
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 25, 2024, 7:55 PM IST

डीडवाना की अनूठी डोलची मार होली.

डीडवाना. नगर की डोलची मार होली वर्षों से चली आ रही अनूठी परम्परा है. कहा जाता है कि यह भारत की आजादी से भी पहले से खेली जाती थी, जो आज भी आनंद और उत्साह से मनाई जाती है. नगर में डोलची मार होली की गेर निकाली जाती है, जो डीडवाना के उपखंड कार्यालय से शुरू होकर शहर भर में जाती है. पहली डोलची उपखंड अधिकारी को ही मारी जाती है.

नगर के बुजुर्गों का कहना है कि यहां के लोग पहले अंग्रेजों के जमाने के हाकम के साथ होली खेलते थे, अब आजाद भारत के अधिकारियों के साथ होली खेलते हैं. नगर के किशन व्यास ने बताया कि डीडवाना शहर में निकलने वाली ऐतिहासिक डोलची मार होली उत्साह से मनाई जाती है. इसे राज की गैर कहते है, क्योंकि इसकी शुरूआत सरकारी अधिकारी करते थे. धुलंडी के दिन रंगों से सराबोर होने के बाद सरकार के हाकम (उपखंड अधिकारी) इस गेर की शुरुआत करते हैं. प्रथम डोलची हाकम के लगाने के बाद ये गैर कचहरी से शुरू होकर नगर भ्रमण करते हुए पूरे परकोटे में जाती है.

पढ़ें: होली पर माली समाज की 'गैर' की अनूठी परंपरा, जहां राम-लक्ष्मण और रावण एक साथ आते हैं नजर

लोहे के डिब्बे को विशेष तरीके से काटकर डोलची का आकार दिया जाता है. उस में पानी भरकर गैर खेलने वाले एक दूसरे पर मारते हैं, जिसकी मार काफी तेज होती है. इस डोलची गैर को खेलने के लिए विदेशों तक में बसे डीडवाना के प्रवासी लोग यहां खिंचे चले आते हैं. नगर के ही एक अन्य वरिष्ठ नागरिक निर्मल पारीक ने बताया कि डोलची की मार असहनीय होते हुए भी लोग इसका आनंद लेते हैं, जिसके पीछे असली मकसद आम आदमी और अधिकारियों के बीच की दूरी मिटाना है.

डीडवाना की अनूठी डोलची मार होली.

डीडवाना. नगर की डोलची मार होली वर्षों से चली आ रही अनूठी परम्परा है. कहा जाता है कि यह भारत की आजादी से भी पहले से खेली जाती थी, जो आज भी आनंद और उत्साह से मनाई जाती है. नगर में डोलची मार होली की गेर निकाली जाती है, जो डीडवाना के उपखंड कार्यालय से शुरू होकर शहर भर में जाती है. पहली डोलची उपखंड अधिकारी को ही मारी जाती है.

नगर के बुजुर्गों का कहना है कि यहां के लोग पहले अंग्रेजों के जमाने के हाकम के साथ होली खेलते थे, अब आजाद भारत के अधिकारियों के साथ होली खेलते हैं. नगर के किशन व्यास ने बताया कि डीडवाना शहर में निकलने वाली ऐतिहासिक डोलची मार होली उत्साह से मनाई जाती है. इसे राज की गैर कहते है, क्योंकि इसकी शुरूआत सरकारी अधिकारी करते थे. धुलंडी के दिन रंगों से सराबोर होने के बाद सरकार के हाकम (उपखंड अधिकारी) इस गेर की शुरुआत करते हैं. प्रथम डोलची हाकम के लगाने के बाद ये गैर कचहरी से शुरू होकर नगर भ्रमण करते हुए पूरे परकोटे में जाती है.

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लोहे के डिब्बे को विशेष तरीके से काटकर डोलची का आकार दिया जाता है. उस में पानी भरकर गैर खेलने वाले एक दूसरे पर मारते हैं, जिसकी मार काफी तेज होती है. इस डोलची गैर को खेलने के लिए विदेशों तक में बसे डीडवाना के प्रवासी लोग यहां खिंचे चले आते हैं. नगर के ही एक अन्य वरिष्ठ नागरिक निर्मल पारीक ने बताया कि डोलची की मार असहनीय होते हुए भी लोग इसका आनंद लेते हैं, जिसके पीछे असली मकसद आम आदमी और अधिकारियों के बीच की दूरी मिटाना है.

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