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Health Tips : गर्भधारण में समस्या आ रही है ? आपको भी हो सकता है PCOD, होम्योपैथी से इसका नियंत्रण संभव.., - PCOD treatment with homeopathy

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 8, 2024, 1:44 PM IST

खराब लाइफस्टाइल की वजह से महिलाओं में आजकल कई समस्याएं देखी जा रही है, जिनमें पीसीओडी की समस्या सबसे कॉमन है. इससे महिलाओं को गर्भधारण में भी समस्या आती है. इस रिपोर्ट में जानिए क्या है पीसीओडी और क्या है इसके लक्षण और उपचार के उपाय.

PCOD TREATMENT WITH HOMEOPATHY
होम्योपैथी से पीसीओडी का उपचार (Photo : Etv bharat)
होम्योपैथी से पीसीओडी का उपचार (Video : Etv bharat)

अजमेर. अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खानपान कई तरह की बीमारियों को जन्म दे रहा है. इनमें महिलाओं को होने वाले रोग में पीसीओडी ( पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज ) भी शामिल है. इस रोग में ओवरी में छोटी गांठे हो जाती है. इस कारण महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ जाती है. होम्योपैथी पद्धति में पीसीओडी बीमारी का कारगर इलाज है. होम्योपैथिक चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक वर्मा से जानते हैं पीसीओडी रोग के कारण, लक्षण और उपचार संबंधी हेल्थ टिप्स.

अनियमित जीवन शैली और असंतुलित आहार मोटापे के साथ-साथ कई रोग दे रहा है. इन रोगों में पीसीओडी रोग भी शामिल है. यह महिलाओं में होने वाला ऐसा रोग है जिससे गर्भ धारण करने में महिलाओं को काफी समस्या आती है. होम्योपैथी चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक वर्मा बताते हैं कि पीसीओडी एक प्रकार का हार्मोनल संतुलन है. इस कारण ओवरी (डिम्ब) ग्रंथि में छोटे-छोटे सिस्ट ( गांठ ) का निर्माण हो जाता है. यह गांठे एक या एक से अधिक भी हो सकती है. साथ ही दोनों ओवरी में भी हो सकती है. वर्तमान में यह रोग 10 फ़ीसदी महिलाओं में पाया जाता है. डॉ. वर्मा बताते हैं कि 14 से 50 वर्ष की आयु तक पीसीओडी रोग हो सकता है.

पीसीओडी के कारण : होम्योपैथी चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक वर्मा बताते हैं कि अनियमित पीरियड, अनियमित दिनचर्या, आनुवांशिक, इंसुलिन हार्मोन के प्रति शेयर का प्रतिरोध करना, पुरुष हार्मोन का स्त्राव ज्यादा होने लगना, हाइपोथाइरॉएडिज्म करोगी में भी यह समस्या होती है. उन्होंने बताया कि पीसीओडी रोग होने का विशेष कारण अभी तक अज्ञात है.

पीसीओडी के लक्षण : डॉ. वर्मा बताते हैं कि निम्न लक्षण माहवारी के हो सकते हैं.

  • माहवारी का अनियमित होना.
  • महावारी के समय रक्तस्राव ज्यादा होना.
  • माहवारी का नहीं होना या लंबे समय में आना.
  • शरीर के उन भागों में बाल आना जो महिलाओं के नहीं आते हैं, मसलन पेट, जांघ, दाढ़ी पर.
  • मुहासे, बाल झड़ना, वजन बढ़ना, बालों का बढ़ना, ब्लड प्रेशर बढ़ना.
  • मानसिक तनाव.
  • डायबिटीज आदि कारण है.

पीसीओडी रोग से ग्रसित महिलाओं के गर्भधारण नहीं करने मानसिक रूप से वह तनाव से गुजरती है. जो महिलाएं कामकाजी होती हैं और काम या अन्य कारण से जिनमें ज्यादा स्ट्रेस रहता है, उनमें यह समस्या ज्यादा रहती है.

यह खाए यह न खाएं : डॉ. वर्मा बताते है कि पीसीओडी का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है लेकिन लाइफ स्टाइल में बदलाव करते हुए इसको नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें सबसे पहले खानपान का विशेष ध्यान रखें. भोजन में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं ताकि शुगर लेवल नियंत्रण रहे और इंसुलिन बेहतर काम करता रहे. इसके अलावा भरपूर प्रोटीन डाइट ले. टुकड़ों में खाना खाएं. भरपेट भोजन नहीं करें. सुबह शाम हल्का व्यायाम या योगा करें. मोटा अनाज, हरी सब्जियां और फल का सेवन लाभदायक है. डीआर वर्मा बताते हैं की चॉकलेट, मिठाई, ब्रेड, चीज, कोल्ड ड्रिंक, मैदा, सूजी, बाजार का जंक फूड, तालाब होना और मसालेदार खाद्य सामग्री से परहेज करें.

पीसीओडी का उपचार : उन्होंने बताया कि अल्ट्रासोनोग्राफी से पीसीओडी का पता चलता है हार्मोनल टेस्ट भी करवाए जाते हैं. हर रोगी में लक्षण अलग-अलग होते हैं उनके अनुसार ही उपचार भी होता है. होम्योपैथी में इलाज संभव है. 6 माह तक चिकित्सा के परामर्श से दवा लेने से पीसीओडी को नियंत्रित किया जा सकता है.

होम्योपैथी से पीसीओडी का उपचार (Video : Etv bharat)

अजमेर. अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खानपान कई तरह की बीमारियों को जन्म दे रहा है. इनमें महिलाओं को होने वाले रोग में पीसीओडी ( पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज ) भी शामिल है. इस रोग में ओवरी में छोटी गांठे हो जाती है. इस कारण महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ जाती है. होम्योपैथी पद्धति में पीसीओडी बीमारी का कारगर इलाज है. होम्योपैथिक चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक वर्मा से जानते हैं पीसीओडी रोग के कारण, लक्षण और उपचार संबंधी हेल्थ टिप्स.

अनियमित जीवन शैली और असंतुलित आहार मोटापे के साथ-साथ कई रोग दे रहा है. इन रोगों में पीसीओडी रोग भी शामिल है. यह महिलाओं में होने वाला ऐसा रोग है जिससे गर्भ धारण करने में महिलाओं को काफी समस्या आती है. होम्योपैथी चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक वर्मा बताते हैं कि पीसीओडी एक प्रकार का हार्मोनल संतुलन है. इस कारण ओवरी (डिम्ब) ग्रंथि में छोटे-छोटे सिस्ट ( गांठ ) का निर्माण हो जाता है. यह गांठे एक या एक से अधिक भी हो सकती है. साथ ही दोनों ओवरी में भी हो सकती है. वर्तमान में यह रोग 10 फ़ीसदी महिलाओं में पाया जाता है. डॉ. वर्मा बताते हैं कि 14 से 50 वर्ष की आयु तक पीसीओडी रोग हो सकता है.

पीसीओडी के कारण : होम्योपैथी चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक वर्मा बताते हैं कि अनियमित पीरियड, अनियमित दिनचर्या, आनुवांशिक, इंसुलिन हार्मोन के प्रति शेयर का प्रतिरोध करना, पुरुष हार्मोन का स्त्राव ज्यादा होने लगना, हाइपोथाइरॉएडिज्म करोगी में भी यह समस्या होती है. उन्होंने बताया कि पीसीओडी रोग होने का विशेष कारण अभी तक अज्ञात है.

पीसीओडी के लक्षण : डॉ. वर्मा बताते हैं कि निम्न लक्षण माहवारी के हो सकते हैं.

  • माहवारी का अनियमित होना.
  • महावारी के समय रक्तस्राव ज्यादा होना.
  • माहवारी का नहीं होना या लंबे समय में आना.
  • शरीर के उन भागों में बाल आना जो महिलाओं के नहीं आते हैं, मसलन पेट, जांघ, दाढ़ी पर.
  • मुहासे, बाल झड़ना, वजन बढ़ना, बालों का बढ़ना, ब्लड प्रेशर बढ़ना.
  • मानसिक तनाव.
  • डायबिटीज आदि कारण है.

पीसीओडी रोग से ग्रसित महिलाओं के गर्भधारण नहीं करने मानसिक रूप से वह तनाव से गुजरती है. जो महिलाएं कामकाजी होती हैं और काम या अन्य कारण से जिनमें ज्यादा स्ट्रेस रहता है, उनमें यह समस्या ज्यादा रहती है.

यह खाए यह न खाएं : डॉ. वर्मा बताते है कि पीसीओडी का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है लेकिन लाइफ स्टाइल में बदलाव करते हुए इसको नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें सबसे पहले खानपान का विशेष ध्यान रखें. भोजन में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं ताकि शुगर लेवल नियंत्रण रहे और इंसुलिन बेहतर काम करता रहे. इसके अलावा भरपूर प्रोटीन डाइट ले. टुकड़ों में खाना खाएं. भरपेट भोजन नहीं करें. सुबह शाम हल्का व्यायाम या योगा करें. मोटा अनाज, हरी सब्जियां और फल का सेवन लाभदायक है. डीआर वर्मा बताते हैं की चॉकलेट, मिठाई, ब्रेड, चीज, कोल्ड ड्रिंक, मैदा, सूजी, बाजार का जंक फूड, तालाब होना और मसालेदार खाद्य सामग्री से परहेज करें.

पीसीओडी का उपचार : उन्होंने बताया कि अल्ट्रासोनोग्राफी से पीसीओडी का पता चलता है हार्मोनल टेस्ट भी करवाए जाते हैं. हर रोगी में लक्षण अलग-अलग होते हैं उनके अनुसार ही उपचार भी होता है. होम्योपैथी में इलाज संभव है. 6 माह तक चिकित्सा के परामर्श से दवा लेने से पीसीओडी को नियंत्रित किया जा सकता है.

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