रायपुर: पीसीसी चीफ दीपक बैज ने झीरम कांड की 11वीं बरसी पर प्रेस कांग्रेस की. दीपक बैज ने कहा कि'' झीरम कांड के हुए 11 साल हो गए हैं इसके बाद भी उसका सच सामने नहीं आ सका है. इस हत्याकांड में जो लोग मारे गए, जिस तरीके से घटना को अंजाम दिया गया उसकी जांच अबतक पूरी नहीं हो पाई है. जितने बिंदुओं पर जांच होनी थी उससे भटकाने की कोशिश होती रही है. 11 साल बाद भी सच सामने नहीं आ सका है. कांग्रेस और प्रदेश की जनता दोनों चाहती है कि हत्याकांड का सच सामने आए.
''किसके इशारे पर जांच की दिशा बदली'': दीपक बैज ने कहा कि "झीरम कांड को लेकर जब प्रदेश में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो हमने उसके जांच के लिए SIT का गठन किया. तब सरकार ने इस पूरे मामले की जांच को एनआईए को दे दिया. SIT ने एनआईए को सारी फाइलें सौंप दी. उसने पूरी जांच की दिशा ही बदल दी. झीरम कांड की जांच की बात जैसे उठती है भाजपा के बड़े-बड़े नेता घबराने लगते हैं. आखिर क्या वजह है कि झीरम कांड की जांच की बात आते ही कई बड़े नेता जो बीजेपी के हैं उनके भीतर खलबली मच जाती है."
''भाजपा झीरम कांड की जांच होने ही नहीं देना चाहती. झीरम न्यायिक आयोग को लेकर पूर्व में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक स्टे लेकर आए हुए थे. भाजपा के नेता डरते हैं कि इसका सच सामने आएगा तो कई नेता के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान जो सुरक्षा देनी थी उसे समय भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उसे नहीं दिया. जिसके चलते यह कांड हो गया. उन्होंने कहा कि उस समय कौन मुख्यमंत्री थे मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता हूं. लेकिन अगर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को समुचित सुरक्षा व्यवस्था दी गई होती तो यह कांड नहीं होता. छत्तीसगढ़ सरकार के SIT के गठन और उसके जांच के खिलाफ NIA सुप्रीम कोर्ट गई थी, वहां भी उसको राहत नहीं मिली और सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाई गई SIT झीरम कांड की जांच करेगी. लेकिन जब तक यह आदेश आया छत्तीसगढ़ में हमारी कांग्रेस की सरकार बदल चुकी थी''. - दीपक बैज, पीसीसी चीफ
कब सामने आएगा सच: झीरम हत्याकांड को हुए आज पूरे 11 साल हो चुके हैं. ये सच है कि 11 सालों बाद भी इसकी जांच पूरी नहीं हो पाई है. जांच में आई सियासी आंच के चलते इसपर जमकर राजनीति भी हो रही है.