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बंजर हो रही पीयू की राजनीतिक पाठशाला, 6 महीने से भंग है छात्र संघ, लालू से लेकर नीतीश तक यहीं पढ़े हैं सियासी ककहरा - PU छात्र संघ चुनाव

PU Student Union Elections: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के कई नेता प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेता बने हैं. लालू प्रसाद यादव, सुशील मोदी, नीतीश कुमार, रविशंकर प्रसाद ऐसे दर्जनों की तादाद में नेता हैं जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत पटना विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति से की. लेकिन आज पीयू में राजनीति की पाठशाला भंग है. छात्रों ने कहा कि राजनेता अपने बेटे को युवाओं का नेता बनना चाहते हैं, इसलिए छात्रसंघ चुनाव नहीं हो रहे.

पटना विश्वविद्यालय का छह महीने से भंग है छात्र संघ
पटना विश्वविद्यालय का छह महीने से भंग है छात्र संघ
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 6, 2024, 7:39 PM IST

पटना विश्वविद्यालय का छह महीने से भंग है छात्र संघ

पटना: पटना विश्वविद्यालय परिसर का नाता सिर्फ शिक्षा और शोध से ही नहीं है बल्कि राजनीतिक चेतना से भी है. राजनीति की नई पौध को भी पनपने का मौका मिलता रहा है. छात्रसंघ इस पौध की नर्सरी रहा है. सियासत की दुनिया में आज बहुत से ऐसे कद्दावर नेता हैं जिनका अंकुरण विश्वविद्यालय परिसरों में ही हुआ. यहीं राजनीति का ककहरा पढ़ा. अफसोस कि राजनीति की पाठशाला अब बंजर हो रही है.

PU छात्र संघ 6 महीने से भंग: पटना विश्वविद्यालय में 6 महीने से अधिक समय से छात्र संघ भंग है. पिछली छात्र संघ को 1 साल का कार्यकाल भी पूरा करने का अवसर नहीं मिला और 8 महीने में ही कार्यकाल समाप्त हो गया है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या स्टूडेंट और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच कम्युनिकेशन गैप का है. विश्वविद्यालय के छात्र प्रिंस कुमार ने कहा कि छात्र संघ चुनाव होने चाहिए और छात्र संघ भंग होने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लाइब्रेरी छात्रों के लिए 24 घंटे खुले रहने चाहिए जो खुल नहीं रही. सभी पुराने एडिशन के बुक रखे हुए हैं.

सीनियर और जूनियर के बीच कम्युनिकेशन गैप :इकोनॉमिक्स डिपार्मेंट के विश्वविद्यालय के छात्र अमृतांश ने कहा कि छात्र संघ चुनाव के गैप होने के कारण सीनियर और जूनियर के बीच कम्युनिकेशन गैप हो गया है. छात्र संघ के जो प्रतिनिधि थे उनका पावर चीज हो चुका है और वह काफी सीनियर भी हो चुके हैं. नए बैच के जूनियर छात्र आ रहे हैं, उनसे कोई कम्युनिकेशन नहीं है ना उनकी समस्याओं का निराकरण हो पा रहा है. छात्र संघ चुनाव की शुगबुगाहट होती तो सीनियर छात्र जूनियर की समस्या पूछने के लिए आते हैं और छात्र-छात्राओं की समस्या पर चर्चा और उसका समाधान भी निकलता.

छात्र संघ चुनाव हर साल होना: छात्रा मुस्कान कुमारी ने कहा कि छात्र संघ चुनाव हर साल होना चाहिए, क्योंकि छात्र संघ के प्रतिनिधि उन लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं. उनकी बातों को विश्वविद्यालय प्रबंधन तक प्रमुखता से रखते हैं. छात्र संघ चुनाव के माध्यम से छात्र अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को समझते हैं और अपने अधिकारों को जानते हैं. इस चुनाव से छात्र-छात्राओं को अपना नेता चुनने की सोच विकसित होती है और वोटिंग का महत्व समझ में आता है. विश्वविद्यालय में कई छात्र-छात्राएं होती हैं जो पहली बार किसी भी मतदान में हिस्सा लेती हैं और अपने मत का महत्व समझती हैं.

छात्र संघ चुनाव से नेतृत्व क्षमता उभरती है: छात्र पूर्णेन्दु शेखर ने कहा कि छात्र संघ चुनाव छात्रों में सामाजिक जीवन के प्रति एक सोच विकसित करता है. "पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ के कई नेता ऐसे रहे हैं जो आज राजनीति में देश को दिशा दे रहे हैं. विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव होने चाहिए क्योंकि इससे नेतृत्व क्षमता उभरती है. विश्वविद्यालय परिसर लोकतंत्र की प्रयोगशाला मानी जाती है और यहां यदि छात्र संघ चुनाव होते हैं तो एक बेहतर नेतृत्व क्षमता वाले नेतृत्व कर्ता समाज को मिलेंगे."

विकास कार्यों में छात्र संघ की होती भूमिका: पटना विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर भीम सिंह ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ के प्रतिनिधियों को उनका पूरा कार्यकाल नहीं दिया जाता है. एक साजिश के तहत यह होता है. छात्र संघ के प्रतिनिधि विश्वविद्यालय के अधिकारियों से यह पूछते हैं कि आखिर छात्रों से जो पैसा लिया जा रहा है. उसका कहां और किस मद में उपयोग किया जा रहा है. कॉलेज के विकास कार्यों में छात्र संघ की सहमति और उनकी भूमिका भी होती है.

छात्र संघ चुनाव राजनीति की पाठशाला: भीम सिंह ने कहा कि छात्र संघ चुनाव राजनीति की पाठशाला होती है. छात्रों में नेतृत्व की क्षमता विकसित होती है और जो छात्र संघ के नेता होते हैं वह सामाजिक जीवन में भी अपने बेहतर नेतृत्व क्षमता से छाप छोड़ते हैं. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के ही कई नेता आज राजनीति में अहम भूमिका में हैं. लेकिन विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव नहीं करने और चुनाव कराने के बाद भी पूरा कार्यकाल नहीं देने के पीछे राजनेताओं की साजिश है. राजनेताओं को लगता है कि छात्र संघ से जो नेता निकलेंगे वह उनके बेटे के राजनीतिक कैरियर को आगे नहीं बढ़ने देंगे. तमाम राजनेता अपने बच्चों को युवाओं का नेता बनाने के लिए छात्र संघ चुनाव नहीं होने देते ताकि कोई नया नेता पैदा ना हो.

छात्र संघ चुनाव के लिए राज्यपाल से मिले: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव विपुल कुमार ने कहा कि 15 अगस्त को छात्र संघ का सभी पावर सीज कर लिया गया. सभी वित्तीय अधिकार छीन लिए गए और अब वह लोग सिर्फ नाम मात्र के ही छात्र संघ प्रतिनिधि हैं. हालांकि जब तक वह कॉलेज में है. अपनी बातों को विश्वविद्यालय प्रबंधन तक पहुंचने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि छात्र संघ का पूरा प्रतिनिधिमंडल बीते दिनों राज भवन जाकर राज्यपाल को छात्र संघ चुनाव कराने के लिए ज्ञापन भी सौंपा था. प्रदेश की नई सरकार से भी वह आग्रह करेंगे कि छात्र हित में विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव कराए जाएं.

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पटना विश्वविद्यालय का छह महीने से भंग है छात्र संघ

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PU छात्र संघ 6 महीने से भंग: पटना विश्वविद्यालय में 6 महीने से अधिक समय से छात्र संघ भंग है. पिछली छात्र संघ को 1 साल का कार्यकाल भी पूरा करने का अवसर नहीं मिला और 8 महीने में ही कार्यकाल समाप्त हो गया है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या स्टूडेंट और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच कम्युनिकेशन गैप का है. विश्वविद्यालय के छात्र प्रिंस कुमार ने कहा कि छात्र संघ चुनाव होने चाहिए और छात्र संघ भंग होने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लाइब्रेरी छात्रों के लिए 24 घंटे खुले रहने चाहिए जो खुल नहीं रही. सभी पुराने एडिशन के बुक रखे हुए हैं.

सीनियर और जूनियर के बीच कम्युनिकेशन गैप :इकोनॉमिक्स डिपार्मेंट के विश्वविद्यालय के छात्र अमृतांश ने कहा कि छात्र संघ चुनाव के गैप होने के कारण सीनियर और जूनियर के बीच कम्युनिकेशन गैप हो गया है. छात्र संघ के जो प्रतिनिधि थे उनका पावर चीज हो चुका है और वह काफी सीनियर भी हो चुके हैं. नए बैच के जूनियर छात्र आ रहे हैं, उनसे कोई कम्युनिकेशन नहीं है ना उनकी समस्याओं का निराकरण हो पा रहा है. छात्र संघ चुनाव की शुगबुगाहट होती तो सीनियर छात्र जूनियर की समस्या पूछने के लिए आते हैं और छात्र-छात्राओं की समस्या पर चर्चा और उसका समाधान भी निकलता.

छात्र संघ चुनाव हर साल होना: छात्रा मुस्कान कुमारी ने कहा कि छात्र संघ चुनाव हर साल होना चाहिए, क्योंकि छात्र संघ के प्रतिनिधि उन लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं. उनकी बातों को विश्वविद्यालय प्रबंधन तक प्रमुखता से रखते हैं. छात्र संघ चुनाव के माध्यम से छात्र अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को समझते हैं और अपने अधिकारों को जानते हैं. इस चुनाव से छात्र-छात्राओं को अपना नेता चुनने की सोच विकसित होती है और वोटिंग का महत्व समझ में आता है. विश्वविद्यालय में कई छात्र-छात्राएं होती हैं जो पहली बार किसी भी मतदान में हिस्सा लेती हैं और अपने मत का महत्व समझती हैं.

छात्र संघ चुनाव से नेतृत्व क्षमता उभरती है: छात्र पूर्णेन्दु शेखर ने कहा कि छात्र संघ चुनाव छात्रों में सामाजिक जीवन के प्रति एक सोच विकसित करता है. "पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ के कई नेता ऐसे रहे हैं जो आज राजनीति में देश को दिशा दे रहे हैं. विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव होने चाहिए क्योंकि इससे नेतृत्व क्षमता उभरती है. विश्वविद्यालय परिसर लोकतंत्र की प्रयोगशाला मानी जाती है और यहां यदि छात्र संघ चुनाव होते हैं तो एक बेहतर नेतृत्व क्षमता वाले नेतृत्व कर्ता समाज को मिलेंगे."

विकास कार्यों में छात्र संघ की होती भूमिका: पटना विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर भीम सिंह ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ के प्रतिनिधियों को उनका पूरा कार्यकाल नहीं दिया जाता है. एक साजिश के तहत यह होता है. छात्र संघ के प्रतिनिधि विश्वविद्यालय के अधिकारियों से यह पूछते हैं कि आखिर छात्रों से जो पैसा लिया जा रहा है. उसका कहां और किस मद में उपयोग किया जा रहा है. कॉलेज के विकास कार्यों में छात्र संघ की सहमति और उनकी भूमिका भी होती है.

छात्र संघ चुनाव राजनीति की पाठशाला: भीम सिंह ने कहा कि छात्र संघ चुनाव राजनीति की पाठशाला होती है. छात्रों में नेतृत्व की क्षमता विकसित होती है और जो छात्र संघ के नेता होते हैं वह सामाजिक जीवन में भी अपने बेहतर नेतृत्व क्षमता से छाप छोड़ते हैं. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के ही कई नेता आज राजनीति में अहम भूमिका में हैं. लेकिन विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव नहीं करने और चुनाव कराने के बाद भी पूरा कार्यकाल नहीं देने के पीछे राजनेताओं की साजिश है. राजनेताओं को लगता है कि छात्र संघ से जो नेता निकलेंगे वह उनके बेटे के राजनीतिक कैरियर को आगे नहीं बढ़ने देंगे. तमाम राजनेता अपने बच्चों को युवाओं का नेता बनाने के लिए छात्र संघ चुनाव नहीं होने देते ताकि कोई नया नेता पैदा ना हो.

छात्र संघ चुनाव के लिए राज्यपाल से मिले: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव विपुल कुमार ने कहा कि 15 अगस्त को छात्र संघ का सभी पावर सीज कर लिया गया. सभी वित्तीय अधिकार छीन लिए गए और अब वह लोग सिर्फ नाम मात्र के ही छात्र संघ प्रतिनिधि हैं. हालांकि जब तक वह कॉलेज में है. अपनी बातों को विश्वविद्यालय प्रबंधन तक पहुंचने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि छात्र संघ का पूरा प्रतिनिधिमंडल बीते दिनों राज भवन जाकर राज्यपाल को छात्र संघ चुनाव कराने के लिए ज्ञापन भी सौंपा था. प्रदेश की नई सरकार से भी वह आग्रह करेंगे कि छात्र हित में विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव कराए जाएं.

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