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भतीजी से दुष्कर्म के दोषी को पटना हाईकोर्ट से रिहाई, निचली अदालत के फैसले पर सवाल! - PATNA HIGH COURT

पटना हाईकोर्ट ने भतीजी से दुष्कर्म के दोषी को रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर क्या कहा, पढ़ें.

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 20, 2024, 10:43 PM IST

पटनाः हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय अपनी भतीजी के साथ दुष्कर्म करने के दोषी को रिहा करने का आदेश दिया. जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि निचली अदालत ने अपीलकर्ता को पॉक्सो अधिनियम की गलत वैधानिक प्रावधानों के तहत सुनाई है. निचली अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया है कि जिस अपराध की सजा दी जा रही है वह वर्ष 2014 में किया गया था. उस समय पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 में ऐसी कोई सजा नहीं थी.

क्या है मामलाः बता दें कि दोषी, पीड़िता का चाचा है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि अपीलकर्ता ने गर्भवती बेटी की मदद के लिए उसे वाराणसी ले गया था. वाराणसी में अपीलकर्ता ने उसे नशीला पदार्थ खिलाने के बाद दुष्कर्म किया. रोहतास के सेशन कोर्ट ने इस मामले में अपीलकर्ता को दोषी पाते हुए आजीवन कठोर कारावास और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत 50 हजार रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई.

क्या कहा हाई कोर्ट नेः हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता 10 साल की कैद की सजा काट चुका है, जो न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. कोर्ट ने अपीलकर्ता की वृद्धावस्था को देखते हुए रिहा करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 के गलत प्रावधान के आधार पर उसे रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने माना कि निचली अदालत ने अधिनियम की धारा 6 के तहत अपीलकर्ता को गलत तरीके से सजा सुनाई है, जो 2014 में किए गए अपराध पर लागू नहीं होती.

इसे भी पढ़ेंः प्रजनन अंग नहीं होने के आधार पर नहीं दिया जा सकता तलाक, पटना हाईकोर्ट ने जमुई फैमिली कोर्ट का बदला फैसला - Patna High Court

पटनाः हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय अपनी भतीजी के साथ दुष्कर्म करने के दोषी को रिहा करने का आदेश दिया. जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि निचली अदालत ने अपीलकर्ता को पॉक्सो अधिनियम की गलत वैधानिक प्रावधानों के तहत सुनाई है. निचली अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया है कि जिस अपराध की सजा दी जा रही है वह वर्ष 2014 में किया गया था. उस समय पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 में ऐसी कोई सजा नहीं थी.

क्या है मामलाः बता दें कि दोषी, पीड़िता का चाचा है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि अपीलकर्ता ने गर्भवती बेटी की मदद के लिए उसे वाराणसी ले गया था. वाराणसी में अपीलकर्ता ने उसे नशीला पदार्थ खिलाने के बाद दुष्कर्म किया. रोहतास के सेशन कोर्ट ने इस मामले में अपीलकर्ता को दोषी पाते हुए आजीवन कठोर कारावास और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत 50 हजार रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई.

क्या कहा हाई कोर्ट नेः हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता 10 साल की कैद की सजा काट चुका है, जो न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. कोर्ट ने अपीलकर्ता की वृद्धावस्था को देखते हुए रिहा करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 के गलत प्रावधान के आधार पर उसे रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने माना कि निचली अदालत ने अधिनियम की धारा 6 के तहत अपीलकर्ता को गलत तरीके से सजा सुनाई है, जो 2014 में किए गए अपराध पर लागू नहीं होती.

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