पटना : पटना हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी सेविका के बहाली में हुई गड़बड़ी पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सेविका को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है. कोर्ट ने मुआवजा का भुगतान तीन माह के भीतर देने का आदेश दिया है. यही नहीं कोर्ट ने दोषी कर्मियों को चिन्हित करने और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की पूरी छूट दी है. जस्टिस पीबी बजेन्त्री और जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने गया जिला के बरमा ग्राम निवासी रानी कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
क्या है पूरा मामला? : आवेदक के वकील रोहित सिंह ने कोर्ट को बताया कि वार्ड नम्बर 6 के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिसके बाद आवेदिका की बहाली वार्ड 6 में आंगनबाड़ी सेविका के पद पर बहाली हुई. लगभग 8 से 9 महीने तक काम करने के बाद उसे पद से हटा दिया गया, जबकि उसकी नियुक्ति को किसी ने चुनौती तक नहीं दी. उनका कहना था कि वार्ड 5 के आंगनबाड़ी सेविका को वार्ड 6 में तैनात कर दिया गया.
सरकार ने माना अधिकारी की गलती : वहीं राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अधिकारी की गलती के कारण वार्ड 6 में आंगनबाड़ी सेविका के नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया. उनका कहना था कि वार्ड 6 के लिए आंगनबाड़ी सेविका की बहाली कर दी गई हैं लेकिन उसे वार्ड 5 में काम करने के लिए भेजा गया था. अब उसे वापस वार्ड 6 में भेज दिया गया है.
देना होगा 2 लाख मुआवजा : कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से दलील सुनने के बाद कहा कि अधिकारी की गलती के कारण आवेदिका रानी कुमारी को कष्ट सहना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि आवेदिका मुआवजा पाने की हकदार हैं. दो लाख रुपये तीन माह के भीतर देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि एक आंगनबाड़ी सेविका के रहते दूसरी आंगनबाड़ी सेविका के बहाली के लिए विज्ञापन जारी करने और नियुक्ति करने वाले अधिकारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया.
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