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10 वर्ष का बच्चा CBSE बोर्ड की परीक्षा दे सकता है या नहीं, हाईकोर्ट ने आवेदन पर विचार करने का दिया निर्दश

पटना हाईकोर्ट ने एक ऐसे आवेदन पर विचार करने का निर्देश सीबीएससी बोर्ड के चेयरमैन को दिया है, जिसमें बच्चे की उम्र महज 10 वर्ष है और वह 10वीं बोर्ड की परीक्षा देने की मांग कर रहा है. कोर्ट का कहना है कि अगर बच्चा प्रतिभावान है तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. इसलिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर बोर्ड विचार करे. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 23, 2024, 10:33 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने सिर्फ दस वर्ष दस माह के बच्चे द्वारा सीबीएसई के बोर्ड परीक्षा देने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किये जाने के मामले पर सुनवाई की. जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा समीर राज के पिता अरुण कुमार सिन्हा की रिट याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सीबीएसई के चेयरमैन को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया. सीबीएसई ने इस मामलें 15 वर्षीय छात्र को उम्र का आधार बना रजिस्ट्रेशन करने से इंकार कर दिया था.

सीबीएसई ने 15 साल उम्र का दिया हवाला : सीबीएसई ने 15 वर्ष का हवाला दे रजिस्ट्रेशन करने से इंकार कर दिया था. आवेदक की ओर से अधिवक्ता अनुराग सौरव ने कोर्ट को बताया कि महज साढ़े पांच वर्ष की उम्र में वर्ग चार में नामांकन के लिए जांच परीक्षा दी. परीक्षा में उतीर्ण होने के बाद उसका दाखिला हुआ. वर्ग चार, पांच व छह के वार्षिक परीक्षा में उसे ग्रेड ए1 और ग्रेड2 आया. वर्ग सात में 91 प्रतिशत तथा आठ में 95.83 प्रतिशत अंक मिला. साढ़े नव वर्ष के आयु में उसे वर्ग नव में प्रोन्नति दी गई.

साढ़े पांच की में सीधे चौथी में लिया ता दाखिला : उनका कहना था कि अगले वर्ष बोर्ड परीक्षा देनी है. लेकिन सीबीएसई के परीक्षा कानून 6.1(ए)(iii) के तहत नामांकन के लिए न्यूनतम और अधिकतम उम्र तय नहीं है. वही सीबीएसई की ओर से विनय कृष्ण त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि आवेदक के पुत्र सीधे वर्ग चार में नामांकन लिये. जबकि वर्ग एक में नामांकन के लिए कम से कम पांच वर्ष का होना अनिवार्य है. इस प्रकार वर्ग आठ में नामांकन के लिए कम से कम आठ वर्ष होना चाहिए. उन्होंने वर्ग चार में लिये गये नामांकन पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि नामांकन गलत है.

कोर्ट ने सीबीएसई के उठाए गए सवालों को किया खारिज : कोर्ट ने सीबीएसई की ओर से उठाये गये सवालों को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बच्चा का रिजल्ट देख ऐसा लगता है कि वह बोर्ड का परीक्षा पास करने की क्षमता रखता है. कोर्ट ने आवेदक को सीबीएसई के चेयरमैन के समक्ष सभी वर्ग की परीक्षा के रिजल्ट के साथ अभ्यावेदन देने का आदेश दिया. साथ ही चेयरमैन को दाखिल अभ्यावेदन पर विचार कर आदेश जारी करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने चेयरमैन को दो माह के भीतर आदेश जारी करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि ये पाया जाता हैं कि छात्र प्रतिभावान है,तो उसे अगले वर्ष होने वाले बोर्ड परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया.

ये भी पढ़ें : पटना हाईकोर्ट ने BSEB पर लगाया 25 हजार का जुर्माना, शिक्षकों को परेशान करने का मामला

पटना : पटना हाईकोर्ट ने सिर्फ दस वर्ष दस माह के बच्चे द्वारा सीबीएसई के बोर्ड परीक्षा देने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किये जाने के मामले पर सुनवाई की. जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा समीर राज के पिता अरुण कुमार सिन्हा की रिट याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सीबीएसई के चेयरमैन को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया. सीबीएसई ने इस मामलें 15 वर्षीय छात्र को उम्र का आधार बना रजिस्ट्रेशन करने से इंकार कर दिया था.

सीबीएसई ने 15 साल उम्र का दिया हवाला : सीबीएसई ने 15 वर्ष का हवाला दे रजिस्ट्रेशन करने से इंकार कर दिया था. आवेदक की ओर से अधिवक्ता अनुराग सौरव ने कोर्ट को बताया कि महज साढ़े पांच वर्ष की उम्र में वर्ग चार में नामांकन के लिए जांच परीक्षा दी. परीक्षा में उतीर्ण होने के बाद उसका दाखिला हुआ. वर्ग चार, पांच व छह के वार्षिक परीक्षा में उसे ग्रेड ए1 और ग्रेड2 आया. वर्ग सात में 91 प्रतिशत तथा आठ में 95.83 प्रतिशत अंक मिला. साढ़े नव वर्ष के आयु में उसे वर्ग नव में प्रोन्नति दी गई.

साढ़े पांच की में सीधे चौथी में लिया ता दाखिला : उनका कहना था कि अगले वर्ष बोर्ड परीक्षा देनी है. लेकिन सीबीएसई के परीक्षा कानून 6.1(ए)(iii) के तहत नामांकन के लिए न्यूनतम और अधिकतम उम्र तय नहीं है. वही सीबीएसई की ओर से विनय कृष्ण त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि आवेदक के पुत्र सीधे वर्ग चार में नामांकन लिये. जबकि वर्ग एक में नामांकन के लिए कम से कम पांच वर्ष का होना अनिवार्य है. इस प्रकार वर्ग आठ में नामांकन के लिए कम से कम आठ वर्ष होना चाहिए. उन्होंने वर्ग चार में लिये गये नामांकन पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि नामांकन गलत है.

कोर्ट ने सीबीएसई के उठाए गए सवालों को किया खारिज : कोर्ट ने सीबीएसई की ओर से उठाये गये सवालों को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बच्चा का रिजल्ट देख ऐसा लगता है कि वह बोर्ड का परीक्षा पास करने की क्षमता रखता है. कोर्ट ने आवेदक को सीबीएसई के चेयरमैन के समक्ष सभी वर्ग की परीक्षा के रिजल्ट के साथ अभ्यावेदन देने का आदेश दिया. साथ ही चेयरमैन को दाखिल अभ्यावेदन पर विचार कर आदेश जारी करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने चेयरमैन को दो माह के भीतर आदेश जारी करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि ये पाया जाता हैं कि छात्र प्रतिभावान है,तो उसे अगले वर्ष होने वाले बोर्ड परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया.

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