पटनाः हाई कोर्ट ने बिहार प्रदेश फार्मेसी शिक्षक संघ के नियमित शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष करने के मामले में कोई राहत नहीं दी. कोर्ट ने आवेदक संघ को स्वास्थ्य विभाग के समक्ष अपना दावा पेश करने का छूट दिया. इसके साथ ही मामले को निष्पादित कर दिया. जस्टिस नानी तगिया ने बिहार प्रदेश फार्मेसी शिक्षक संघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की.
क्या दलील दीः आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बिहार चिकित्सा शिक्षा संस्थान (विनियमन और नियंत्रण) (संशोधन) अधिनियम, 1993 में फार्मेसी शिक्षा को चिकित्सा शिक्षा में शामिल माना गया है. कोर्ट को बताया गया कि बिहार सेवा संहिता में किए गए विभिन्न संशोधनों के बाद आयुष के डॉक्टरों और शिक्षकों, बिहार दंत चिकित्सा के शिक्षक, बिहार कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सा सेवा के डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट और बिहार चिकित्सा शिक्षा सेवा के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष कर दी है.
सरकार का नीतिगत निर्णयः स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव ने बिहार विधान मंडल को जानकारी दी थी कि सरकारी फार्मेसी संस्थान, पटना के नियमित शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष करने पर विभाग विचार कर रही है. राज्य सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि कर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना सरकार का नीतिगत निर्णय है. संघ नियमों में संशोधन के माध्यम से सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि का दावा नहीं कर सकते.
कोर्ट ने क्या कहाः दोनों पक्षो की ओर से प्रस्तुत दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत राज्य को नियम बनाने या संशोधित करने का निर्देश देने की शक्ति नहीं है. कोर्ट ने सरकार को विवेकानुसार आवेदकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष करने के बारे में निर्णय लेने की बात कही. इसके बाद याचिका को निष्पादित कर दिया.
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