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अस्वस्थ अस्पताल! रिम्स में जांच के लिए दर-दर भटक रहे मरीज, कहीं मशीन खराब तो कहीं लंबी लाइन से परेशान हैं लोग - Mismanagement in RIMS - MISMANAGEMENT IN RIMS

Patients facing trouble due to chaos in RIMS. रांची के रिम्स में मशीन खराब और लंबी लाइन के कारण मरीजों को जांच कराने में परेशान हो रही है. परिजन सुबह से शाम इधर उधर भटकते नजर आते हैं. सरकारी अस्पताल में इलाज कराना इन गरीब लोगों को काफी महंगा साबित हो रहा है.

patients facing trouble due to chaos in RIMS of Ranchi
रांची के रिम्स में इलाज के लिए आए मरीज (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 27, 2024, 9:33 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स आए दिन अपनी कुव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में रहता है. यहां पर आने वाले मरीज अपने इलाज के लिए जद्दोजहद करते दिखते हैं. यह हम नहीं बल्कि रिम्स में आने वाले गरीब और लाचार मरीजों का कहना है.

रिम्स में सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को जांच करवाने में होती है. सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड जैसी जांच के लिए मरीजों को काफी संघर्ष करना पड़ता. लंबे संघर्ष के बाद भी मरीज की जांच नहीं हो पाती है. इसके पीछे कारण यह भी है कि कहीं मशीनें खराब हैं तो कहीं पर जांच के लिए लंबी कतारें नजर आती हैं.

रामगढ़ के गोला प्रखंड से आए प्रमोद बेदिया बताते हैं कि डॉक्टर ने उन्हें गले का सीटी स्कैन और एक्स-रे करवाने को कहा है. जब वह गले का सीटी स्कैन करवाने गए तो वहां की कुव्यवस्था को देखकर वह रिम्स में जांच करने में असमर्थ हो गए. जिस वजह से उन्हें मजबूरी में निजी जांच घर में जांच करवानी पड़ी. जांच घर में इतनी भीड़ है कि वहां पर नंबर लगाना एक चुनौती होती है.

अस्पताल में भारी भीड़ और अव्यवस्था को लेकर प्रमोद बेदिया कहते हैं कि अगर नंबर लग भी जाए तो फिर जांच करने में लंबा वक्त लग जाता है. इसलिए मजबूरी में उन्होंने अपने मरीज का सीटी स्कैन बाहर के जांच घर से करवा लिया. जहां उन्हें करीब 1500 रुपये खर्च करने पड़े. अगर यही जांच रिम्स में करवाते तो उन्हें महज 100 से 200 रुपये ही देने पड़ते है. लेकिन ससमय जांच के लिए उन्होंने बाहर से ही जांच करवा ली.

वहीं रामगढ़ से ही आए दूसरे मरीज मुकेश ने बताया कि पिछले कई महीनों से रिम्स का एमआरआई मशीन खराब पड़ी है. जिस वजह से मरीज को निजी जांच घरों में हजारों रुपये देने पड़ रहे हैं. रिम्स के जांच घर में पहुंचे कई मरीज ने कहा कि यहां की स्थिति इतनी बुरी है कि लोग परेशान हो जाते हैं. लेकिन यहां पर मौजूद कर्मचारी और रिम्स के अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं होते हैं.

अपने परिजन की जांच करवाने पहुंची सुषमा देवी बताती हैं कि एमआरआई के साथ साथ एमआरसीपी जांच भी रिम्स में नहीं हो रहा है. जिस वजह एमआरपी जांच के लिए करीब दस हजार रुपये उनको निजी जांच घरों में देना पड़ रहा है.

वहीं धनबाद से आए गुड्डू खान बताते हैं कि उनका बच्चा छत से गिर गया था. जिस वजह से उसके मुंह के कई दांत और जबड़ा टूट गए हैं. डॉक्टर ने सीटी स्कैन करने बोला है. इसके लिए वे पिछले दो दिनों से अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर भटक रहे हैं. लेकिन उनकी सूध लेने वाला कोई नहीं है और ना ही अब तक जांच हो पायी है.

रिम्स की कुव्यवस्था पर ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर हिरेन बिरुआ से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि एमआरआई मशीन पिछले कई महीनों से खराब है क्योंकि उसके टेंडर को लेकर कई बार प्रयास किया गया लेकिन हर बार टेंडर रद्द हो जा रहा है. इसके अलावा अन्य जांच व्यवस्था को भी दुरुस्त करने के लिए प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहा है. वर्तमान में कोड आफ कंडक्ट होने की वजह से कई कार्य शुरू नहीं किए जा रहे हैं. लेकिन जैसे ही चुनाव समाप्त होगा, वैसे ही रिम्स में जांच के लिए लगाए गए सभी मशीनों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

इसे भी पढ़ें- रिम्स में इंटरनेट सर्वर डाउन, सीटी स्कैन, एक्स-रे, एमआरआई जैसी कई जांच प्रभावित, मरीज परेशान

इसे भी पढ़ें- मंत्री जी देख लीजिए, रिम्स में अव्यवस्था का हाल, दवाई के लिये यहां होती है लड़ाई!

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रांची: राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स आए दिन अपनी कुव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में रहता है. यहां पर आने वाले मरीज अपने इलाज के लिए जद्दोजहद करते दिखते हैं. यह हम नहीं बल्कि रिम्स में आने वाले गरीब और लाचार मरीजों का कहना है.

रिम्स में सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को जांच करवाने में होती है. सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड जैसी जांच के लिए मरीजों को काफी संघर्ष करना पड़ता. लंबे संघर्ष के बाद भी मरीज की जांच नहीं हो पाती है. इसके पीछे कारण यह भी है कि कहीं मशीनें खराब हैं तो कहीं पर जांच के लिए लंबी कतारें नजर आती हैं.

रामगढ़ के गोला प्रखंड से आए प्रमोद बेदिया बताते हैं कि डॉक्टर ने उन्हें गले का सीटी स्कैन और एक्स-रे करवाने को कहा है. जब वह गले का सीटी स्कैन करवाने गए तो वहां की कुव्यवस्था को देखकर वह रिम्स में जांच करने में असमर्थ हो गए. जिस वजह से उन्हें मजबूरी में निजी जांच घर में जांच करवानी पड़ी. जांच घर में इतनी भीड़ है कि वहां पर नंबर लगाना एक चुनौती होती है.

अस्पताल में भारी भीड़ और अव्यवस्था को लेकर प्रमोद बेदिया कहते हैं कि अगर नंबर लग भी जाए तो फिर जांच करने में लंबा वक्त लग जाता है. इसलिए मजबूरी में उन्होंने अपने मरीज का सीटी स्कैन बाहर के जांच घर से करवा लिया. जहां उन्हें करीब 1500 रुपये खर्च करने पड़े. अगर यही जांच रिम्स में करवाते तो उन्हें महज 100 से 200 रुपये ही देने पड़ते है. लेकिन ससमय जांच के लिए उन्होंने बाहर से ही जांच करवा ली.

वहीं रामगढ़ से ही आए दूसरे मरीज मुकेश ने बताया कि पिछले कई महीनों से रिम्स का एमआरआई मशीन खराब पड़ी है. जिस वजह से मरीज को निजी जांच घरों में हजारों रुपये देने पड़ रहे हैं. रिम्स के जांच घर में पहुंचे कई मरीज ने कहा कि यहां की स्थिति इतनी बुरी है कि लोग परेशान हो जाते हैं. लेकिन यहां पर मौजूद कर्मचारी और रिम्स के अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं होते हैं.

अपने परिजन की जांच करवाने पहुंची सुषमा देवी बताती हैं कि एमआरआई के साथ साथ एमआरसीपी जांच भी रिम्स में नहीं हो रहा है. जिस वजह एमआरपी जांच के लिए करीब दस हजार रुपये उनको निजी जांच घरों में देना पड़ रहा है.

वहीं धनबाद से आए गुड्डू खान बताते हैं कि उनका बच्चा छत से गिर गया था. जिस वजह से उसके मुंह के कई दांत और जबड़ा टूट गए हैं. डॉक्टर ने सीटी स्कैन करने बोला है. इसके लिए वे पिछले दो दिनों से अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर भटक रहे हैं. लेकिन उनकी सूध लेने वाला कोई नहीं है और ना ही अब तक जांच हो पायी है.

रिम्स की कुव्यवस्था पर ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर हिरेन बिरुआ से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि एमआरआई मशीन पिछले कई महीनों से खराब है क्योंकि उसके टेंडर को लेकर कई बार प्रयास किया गया लेकिन हर बार टेंडर रद्द हो जा रहा है. इसके अलावा अन्य जांच व्यवस्था को भी दुरुस्त करने के लिए प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहा है. वर्तमान में कोड आफ कंडक्ट होने की वजह से कई कार्य शुरू नहीं किए जा रहे हैं. लेकिन जैसे ही चुनाव समाप्त होगा, वैसे ही रिम्स में जांच के लिए लगाए गए सभी मशीनों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

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