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पटियाला हाउस कोर्ट ने वीवो कंपनी से जुड़े मनी लंड्रिंग मामले में राजन मलिक को जमानत दी

पटियाला हाउस कोर्ट ने राजन मलिक को जमानत दे दी है, कोर्ट ने कहा मलिक की भूमिका केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में थी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

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नई दिल्ली: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से जुड़े एक मनी लॉड्रिंग मामले में आरोपी राजन मलिक को जमानत देने का आदेश दिया है. एडिशनल सेशंस जज किरण गुप्ता की अध्यक्षता में हुए इस निर्णय में कोर्ट ने राजन मलिक की स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि वह कंपनी के मुख्य प्रबंधकों में नहीं था और उसने वीवो कंपनी के लिए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में सेवाएं प्रदान की थीं.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह नहीं साबित होता कि राजन मलिक ने अपराध में कोई भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा, "ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे पता चले कि आरोपी ने अपने प्रोफेशन की सीमा से हटकर कुछ किया हो." इससे यह भी संकेत मिलता है कि आरोपी की गतिविधियां कंपनी की सामान्य व्यावसायिक प्रथाओं के भीतर थीं.

मामले की पृष्ठभूमि: इस मामले में ईडी ने 7 दिसंबर 2023 को चार्जशीट दाखिल की थी, जिस पर कोर्ट ने 20 दिसंबर को संज्ञान लिया. चार्जशीट में वीवो के मैनेजिंग डायरेक्टर हरि ओम राय और अन्य आरोपियों, जिनमें चीनी नागरिक गोंगवेन कुआंग और सीए नितिन गर्ग भी शामिल हैं, के नाम पाए गए हैं. सभी आरोपियों को 10 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेश किया गया था.

ईडी ने इस मामले में राजन मलिक और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. एजेंसी के अनुसार, वीवो इंडिया पर यह आरोप है कि उसने भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरा पहुंचाते हुए अवैध रूप से धन प्राप्त किया. इस संदर्भ में ईडी ने जुलाई 2022 में देशभर के 48 स्थानों पर छापे मारे थे, जहां वित्तीय अनियमितताओं के बड़े रैकेट का पर्दाफाश होने की बात कही गई थी.

यह भी पढ़ें- मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई आज

ईडी का दावा है कि लगभग 62,476 करोड़ रुपये की रकम वीवो ने अवैध रूप से चीन में ट्रांसफर की, जिससे यह आरोप लगाया गया कि यह धन भारत में टैक्स से बचने के लिए चीन भेजा गया. आगामी सुनवाइयों में, यह स्पष्ट होगा कि राजन मलिक और अन्य आरोपी किन दलीलों के आधार पर अपनी सफाई पेश करते हैं. मनी लांड्रिंग से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका और उनके साथ भारतीय नागरिकों की संलिप्तता पर भी इस सेमिनार के माध्यम से चर्चा होना तय है. कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो इस पूरे प्रकरण में आगे की घटनाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.

यह भी पढ़ें- श्रम विहार के झुग्गियों को हटाने के नोटिस पर रोक लगाने से दिल्ली HC का इनकार

नई दिल्ली: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से जुड़े एक मनी लॉड्रिंग मामले में आरोपी राजन मलिक को जमानत देने का आदेश दिया है. एडिशनल सेशंस जज किरण गुप्ता की अध्यक्षता में हुए इस निर्णय में कोर्ट ने राजन मलिक की स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि वह कंपनी के मुख्य प्रबंधकों में नहीं था और उसने वीवो कंपनी के लिए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में सेवाएं प्रदान की थीं.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह नहीं साबित होता कि राजन मलिक ने अपराध में कोई भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा, "ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे पता चले कि आरोपी ने अपने प्रोफेशन की सीमा से हटकर कुछ किया हो." इससे यह भी संकेत मिलता है कि आरोपी की गतिविधियां कंपनी की सामान्य व्यावसायिक प्रथाओं के भीतर थीं.

मामले की पृष्ठभूमि: इस मामले में ईडी ने 7 दिसंबर 2023 को चार्जशीट दाखिल की थी, जिस पर कोर्ट ने 20 दिसंबर को संज्ञान लिया. चार्जशीट में वीवो के मैनेजिंग डायरेक्टर हरि ओम राय और अन्य आरोपियों, जिनमें चीनी नागरिक गोंगवेन कुआंग और सीए नितिन गर्ग भी शामिल हैं, के नाम पाए गए हैं. सभी आरोपियों को 10 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेश किया गया था.

ईडी ने इस मामले में राजन मलिक और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. एजेंसी के अनुसार, वीवो इंडिया पर यह आरोप है कि उसने भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरा पहुंचाते हुए अवैध रूप से धन प्राप्त किया. इस संदर्भ में ईडी ने जुलाई 2022 में देशभर के 48 स्थानों पर छापे मारे थे, जहां वित्तीय अनियमितताओं के बड़े रैकेट का पर्दाफाश होने की बात कही गई थी.

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ईडी का दावा है कि लगभग 62,476 करोड़ रुपये की रकम वीवो ने अवैध रूप से चीन में ट्रांसफर की, जिससे यह आरोप लगाया गया कि यह धन भारत में टैक्स से बचने के लिए चीन भेजा गया. आगामी सुनवाइयों में, यह स्पष्ट होगा कि राजन मलिक और अन्य आरोपी किन दलीलों के आधार पर अपनी सफाई पेश करते हैं. मनी लांड्रिंग से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका और उनके साथ भारतीय नागरिकों की संलिप्तता पर भी इस सेमिनार के माध्यम से चर्चा होना तय है. कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो इस पूरे प्रकरण में आगे की घटनाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.

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