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पिता ने कर्ज लेकर पढ़ने के लिए भेजा शहर, पुलिस में सिपाही बनने के बाद तय किया पीसीएस अफसर तक का सफर

यूपी पुलिस में तैनात एक सिपाही ने भी रिकाॅर्ड बनाया है. सिपाही से सीधे एसडीएम (Passed PCS exam) बने दीपक सिंह ने प्रदेश में 20वां स्थान हासिल किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 8:31 AM IST

बाराबंकी : परिवार गरीबी में गुजर-बसर कर रहा था. माता-पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन वह अपने बेटे को अधिकारी बनाना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने लोन लिया और बेटे को पढ़ने के लिए शहर भेजा. बेटे ने भी मां-बाप की उम्मीदों को पूरा करने की ठानी. पहले वह सिपाही बना, लेकिन उसे तो आगे तक जाना था. लिहाजा ड्यूटी के बाद मिलने वाले वक्त का उसने सदुपयोग किया और आज सूबे के चयनित 20 पीसीएस अधिकारियों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया. जी हां, यह कहानी है बाराबंकी के एक गांव निवासी दीपक की.

डिप्टी कलेक्टर बनकर जिले का नाम किया रोशन : बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र के सेमराय गांव के रहने वाले किसान अशोक कुमार के पुत्र दीपक सिंह ने डिप्टी कलेक्टर बनकर जिले का नाम रोशन किया है. दीपक बचपन से ही पढ़ने-लिखने में होनहार थे. पिता अशोक कुमार 9वीं पास हैं और मां कृष्णा सिंह महज 5वीं पास, लेकिन उनकी इच्छा थी कि उनके बच्चे उच्च शिक्षित हों. अशोक कुमार के दो बेटे और तीन बेटियां हैं. पिता अशोक ने कर्ज लिया और फिर बेटे दीपक को बाराबंकी शहर पढ़ने भेज दिया. शहर आकर दीपक ने एक कमरा किराए पर लिया और महारानी लक्ष्मीबाई इंटर काॅलेज में छठवीं क्लास में दाखिला ले लिया. साल 2012 में 83 फीसदी अंकों से हाईस्कूल और फिर साल 2014 में 92 फीसदी अंकों के साथ इंटरमीडिएट पास किया.

लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए में लिया दाखिला : इंटरमीडिएट पास करने के बाद दीपक ने उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए में दाखिला लिया. उन्होंने 2017 में 70 फीसदी अंकों के साथ बीए किया. घर की माली हालत अच्छी नहीं थी, लिहाजा वह नौकरी की तलाश में जुट गए. इसी दौरान पुलिस भर्ती की जगह निकली, दीपक ने आवेदन किया और मेरिट के आधार पर उनका चयन हो गया. साल 2018 में उनकी नियुक्ति हरदोई जिले में बतौर कांस्टेबल हो गई, लेकिन दीपक को तो अधिकारी बनना था, लिहाजा वह ड्यूटी से जब भी कमरे पर लौटते अपनी तैयारी में जुट जाते. उन्होंने पीसीएस की तैयारी शुरू की. पहले प्रयास में प्री क्वालीफाई नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दूसरे प्रयास के लिए जुट गए. इसमें भी वह सफल नहीं हो पाए. तीसरे प्रयास में उन्होंने प्री क्वालीफाई कर लिया तो उनमें उत्साह आ गया.

मार्कर से लिख दिया था एसडीएम : दीपक सिंह ने बताया कि उन्हें अपने चयन को लेकर पूरा विश्वास था. उन्होंने व्हाइट बोर्ड पर परमानेंट मार्कर से एसडीएम लिख दिया था और आखिर उन्होंने एसडीएम बनकर उसे सच कर दिखाया. दीपक सिंह का चयन 20वें स्थान पर हुआ है. दीपक इन दिनों हरदोई जिले में तैनात हैं. हरदोई पुलिस लाइंस में रहते हैं. उनके चयन से न केवल उनके गांव में बल्कि उनके दोस्तों में जबरदस्त उत्साह है. क्रिकेट खेलने और देखने के शौकीन दीपक सिंह ने बताया कि जो युवा पीसीएस की तैयारी करना चाहते हैं, उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. नियमित 8 से 10 घंटे स्टडी करनी चाहिए, चयन जरूर होगा.

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बाराबंकी : परिवार गरीबी में गुजर-बसर कर रहा था. माता-पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन वह अपने बेटे को अधिकारी बनाना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने लोन लिया और बेटे को पढ़ने के लिए शहर भेजा. बेटे ने भी मां-बाप की उम्मीदों को पूरा करने की ठानी. पहले वह सिपाही बना, लेकिन उसे तो आगे तक जाना था. लिहाजा ड्यूटी के बाद मिलने वाले वक्त का उसने सदुपयोग किया और आज सूबे के चयनित 20 पीसीएस अधिकारियों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया. जी हां, यह कहानी है बाराबंकी के एक गांव निवासी दीपक की.

डिप्टी कलेक्टर बनकर जिले का नाम किया रोशन : बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र के सेमराय गांव के रहने वाले किसान अशोक कुमार के पुत्र दीपक सिंह ने डिप्टी कलेक्टर बनकर जिले का नाम रोशन किया है. दीपक बचपन से ही पढ़ने-लिखने में होनहार थे. पिता अशोक कुमार 9वीं पास हैं और मां कृष्णा सिंह महज 5वीं पास, लेकिन उनकी इच्छा थी कि उनके बच्चे उच्च शिक्षित हों. अशोक कुमार के दो बेटे और तीन बेटियां हैं. पिता अशोक ने कर्ज लिया और फिर बेटे दीपक को बाराबंकी शहर पढ़ने भेज दिया. शहर आकर दीपक ने एक कमरा किराए पर लिया और महारानी लक्ष्मीबाई इंटर काॅलेज में छठवीं क्लास में दाखिला ले लिया. साल 2012 में 83 फीसदी अंकों से हाईस्कूल और फिर साल 2014 में 92 फीसदी अंकों के साथ इंटरमीडिएट पास किया.

लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए में लिया दाखिला : इंटरमीडिएट पास करने के बाद दीपक ने उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में बीए में दाखिला लिया. उन्होंने 2017 में 70 फीसदी अंकों के साथ बीए किया. घर की माली हालत अच्छी नहीं थी, लिहाजा वह नौकरी की तलाश में जुट गए. इसी दौरान पुलिस भर्ती की जगह निकली, दीपक ने आवेदन किया और मेरिट के आधार पर उनका चयन हो गया. साल 2018 में उनकी नियुक्ति हरदोई जिले में बतौर कांस्टेबल हो गई, लेकिन दीपक को तो अधिकारी बनना था, लिहाजा वह ड्यूटी से जब भी कमरे पर लौटते अपनी तैयारी में जुट जाते. उन्होंने पीसीएस की तैयारी शुरू की. पहले प्रयास में प्री क्वालीफाई नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दूसरे प्रयास के लिए जुट गए. इसमें भी वह सफल नहीं हो पाए. तीसरे प्रयास में उन्होंने प्री क्वालीफाई कर लिया तो उनमें उत्साह आ गया.

मार्कर से लिख दिया था एसडीएम : दीपक सिंह ने बताया कि उन्हें अपने चयन को लेकर पूरा विश्वास था. उन्होंने व्हाइट बोर्ड पर परमानेंट मार्कर से एसडीएम लिख दिया था और आखिर उन्होंने एसडीएम बनकर उसे सच कर दिखाया. दीपक सिंह का चयन 20वें स्थान पर हुआ है. दीपक इन दिनों हरदोई जिले में तैनात हैं. हरदोई पुलिस लाइंस में रहते हैं. उनके चयन से न केवल उनके गांव में बल्कि उनके दोस्तों में जबरदस्त उत्साह है. क्रिकेट खेलने और देखने के शौकीन दीपक सिंह ने बताया कि जो युवा पीसीएस की तैयारी करना चाहते हैं, उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. नियमित 8 से 10 घंटे स्टडी करनी चाहिए, चयन जरूर होगा.

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