पटना: रालोजपार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस की बीजेपी से नाराजगी खत्म हो गई है. एक बार फिर से पशुपति कुमार पारस NDA के साथ कदम से कदम मिला कर आगे की राजनीति करने की बात कर रहे हैं. पशुपति कुमार पारस का फैसला है कि जब तक वह राजनीति में सक्रिय रहेंगे तब तक एनडीए के साथ ही राजनीति करेंगे. उन्होंने चुनाव में सभी 40 सीटों पर समर्थन देने का वादा किया है.
एनडीए के साथ ही राजनीति करेंगे पारस: पशुपति कुमार पारस ने ईटीवी भारत से बातचीत में खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि वह एनडीए के सबसे ईमानदार सहयोगी हैं. उन्होंने कहा कि अभी चुनावी वर्ष है, बहुत से नेता इधर से उधर करते हैं, लेकिन उन्होंने शुरू में ही घोषणा कर दी था कि वह जब तक राजनीतिक जीवन में हैं तब तक एनडीए के साथ रहेंगे.
40 सीटों पर एनडीए को देंगे समर्थन: पारस ने कहा कि 2024 चुनाव को लेकर उन्होंने 6 अप्रैल को पार्टी के सभी नेताओं की बैठक बुलाई थी, जहां उन्होंने बिहार की सभी सीटों पर एनडीए का समर्थन करने की घोषणा की थी. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को एनडीए के सभी 40 उम्मीदवारों के पक्ष में काम करने का निर्देश जारी कर दिया था, जिसके बाद पार्टी और दलित सेना के कार्यकर्ता इसमें जुट गए हैं.
'पांच सांसदों का सीट कटने से तकलीफ हुई थी': मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद वापस एनडीए के साथ आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोगों को गलतफहमी है. हमारे दल में पांच सांसद थे. बिना राय-विचार के पांचो सांसदों का टिकट काट दिया गया, हमारे अन्याय हुआ जिससे हमें तकलीफ हुई. इसी कारण से मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया, लेकिन उस समय भी मेरे लिए विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे और हमेशा रहेंगे.
चुनाव के बाद शीर्ष नेताओं से बात करेंगे पारस: पशुपति पारस ने सीट बंटवारे के सवाल पर कहा कि कहीं कोई चूक नहीं हुई है. वह ईमानदारी और निष्ठा के साथ गठबंधन में थे. प्रधानमंत्री ने जिस विभाग की जिम्मेदारी दी, वहां भी ईमानदारी के साथ काम किया. उन्होंने कहा कि अभी चुनाव का वक्त है, इसलिए पहले जीत पर फोकस करना है. लोकसभा चुनाव खत्म होगा उसके बाद इन मुद्दों पर चर्चा होगी कि आखिर चूक कहां पर हो गई.
'चिराग खुद परिवार से अलग हुए': चिराग पासवान ने चाचा पर उन्हें परिवार से अलग करने का आरोप लगाया है, जिसपर पारस ने कहा कि उनको परिवार से नहीं निकाला गया. वह खुद परिवार से अलग हो गए. चिराग फिल्मी हीरो हैं, उनका स्टाइल अलग होता है. उन्होंने कहा कि वह जेपी के शिष्य रहें हैं.
"बीती बात बिसारिए आगे की सुधलेत. चिराग पासवान क्या कहते हैं मैं नहीं जानता. मैं अच्छा कर्म करता हूं और अच्छा कर्म करूंगा. सत्य परेशान होता है लेकिन कभी खत्म नहीं होता. अंत में सत्य की विजय होती है. चिराग पासवान फिल्मी हीरो है, फिल्मी कलाकारों का स्टाइल अलग होता है. हमलोग सीधे-साधे आदमी हैं, जयप्रकाश नारायण के शिष्य रह चुके हैं. जैसा करेंगे वैसा ही फल मिलेगा."- पशुपति पारस, अध्यक्ष, रालोजपा
चिराग के लिए प्रचार करने को तैयार हैं पारस: चाचा पारस ने कहा कि उनलोगों ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह एनडीए को सभी 40 की 40 सीट पर जीत दिलाने में पार्टी की मदद करेगी. लेकिन चिराग पासवान उनसे समर्थन लेने के लिए तैयार नहीं हैं. चिराग पासवान ने पहले ही कह दिया है कि उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया है. अब उन्हें किसी के आशीर्वाद और समर्थन की जरूरत नहीं है.
"यह ह्यूमन नेचर है. पांच सांसदों का टिकट कटा तो कुछ तकलीफ हुई. यही कारण था कि मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया, लेकिन उस समय भी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे. आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानता हूं. 2024 में उनके नेतृत्व में चुनाव हो रहा है. इस बार भी वह 400 से अधिक सीट जीतकर तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. मैं एनडीए को सभी 40 सीटों पर समर्थन दूंगा."- पशुपति पारस, अध्यक्ष, रालोजपा
पारस ने बताई पार्टी और परिवार में टूट की कहानी: उन्होंने बताया कि वे लोग तीन भाई थे. तीनों की राम लक्ष्मण और भरत की जोड़ी थी. तीन भाई में से दो भाई की मृत्यु हो गई, जिसके बाद पार्टी टूट गई, परिवार भी टूट गया. मतभेद का कारण बताते हुए पारस ने कहा कि जब रामविलास पासवान की तबीयत खराब थी, तब उनके परिवार के किसी भी सद्स्य को उनसे नहीं मिलने दिया गया. उनसे कहा जाता कि डॉक्टर ने मना किया है. वहीं दूसरे लोग रामविलास पासवान से मिलने के लिए जाते थे. इस बात का दर्द अभी भी उनके दिल में है.
रामविलास के निधन के बाद पार्टी में टूट: बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद लोग जनशक्ति पार्टी में टूट हो गई. पशुपति कुमार पारस की अध्यक्षता में 6 में से पांच सांसद उनके साथ चले गए. पार्टी पर कब्जे को लेकर निर्वाचन आयोग में आवेदन दिया गया. चुनाव आयोग ने लोजपा के दोनों गुटों को अलग-अलग मान्यता दे दी. पशुपति कुमार पारस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बनी, वहीं चिराग पासवान के नेतृत्व में लोग जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का गठन हुआ.
पशुपति पारस का अबतक का राजनीतिक सफर: बता दें कि पशुपति कुमार पारस का जन्म 12 जुलाई 1952 को खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में हुआ था. स्वर्गीय जमुना दास के तीन पुत्रों में वह मझले पुत्र हैं. तीन भाई में रामविलास पासवान, पशुपति कुमार पारस और सबसे छोटे रामचंद्र पासवान हुए. पशुपति कुमार पारस का राजनीतिक जीवन रामविलास पासवान के सानिध्य में शुरू हुआ. 1977 में वह पहली बार अलौली से बिहार विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए, जिसके बाद पांच बार अलौली से विधायक चुने गए.
2021 में बने केंद्रीय मंत्री: पशुपति कुमार पारस नीतीश कुमार की सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान ने अपनी परंपरागत हाजीपुर सीट से पशुपति कुमार पारस को अपना उम्मीदवार बनाया. 2019 लोकसभा चुनाव में वह हाजीपुर से सांसद चुने गए. रामविलास पासवान के निधन के बाद पशुपति कुमार पारस को नरेंद्र मोदी की सरकार में 2021 में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाया गया.
चुनाव से पहले पारस को झटका: बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर लगातार विवाद चल रहा था. लोजपा के दोनों गुट अपनी-अपनी सीटों पर दावा कर रहे थे, लेकिन जब सीट बंटवारे का ऐलान हुआ तो बीजेपी ने पारस को एक भी सीट ना देकर बड़ा झटका दिया. 17 सीट बीजेपी, जदयू 16 सीट, चिराग को 5 सीट और जीतनराम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को एक-एक सीट दिया गया. जिसके बाद पारस ने नाराजगी जाहिर की. हालांकि अब वह सारा मनमुटाव भुलाकर एनडीए को समर्थन दे रहे हैं.
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