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डॉग लवर्स रहें सावधान, धमतरी में तेजी से फैल रहा खतरनाक पार्वो वायरस, ऐसे करें बचाव - Parvo virus spread in Dhamtari dogs

Parvo virus spread in Dhamtari dogs:धमतरी के कुत्तों में इन दिनों पार्वो वायरस फैल रहा है. जिले के पालतु कुत्तों में लगातार ये बीमारी बढ़ रही है. हर दिन 40 से अधिक केस मिल रहे हैं. इस बीच पशु चिकित्सक पशु पालकों को कुत्तों को वैक्सीन लगाने की सलाह दे रहे हैं.

Parvo virus spread in Dhamtari dogs
धमतरी के कुत्तों में पार्वो वायरस
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 15, 2024, 4:20 PM IST

Updated : Mar 15, 2024, 10:58 PM IST

डॉग लवर्स रहें सावधान

धमतरी: धमतरी जिले के कुत्तों में इन दिनों पार्वो वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है. बीमारी इतनी ज्यादा फैल रही है कि रोजाना 40 से ज्यादा केस पशु चिकित्सालय पहुंच रहा है. इस वायरस से बीमार हुए कुत्तों में पेट संबंधी समस्याएं हो रही है. इसमें कुत्ते कई दिनों तक खाना नहीं खा रहे है. हालांकि बीमार कुत्तों का इलाज भी किया जा रहा है. इस बारे में पशु चिकित्सकों का कहना है कि तापमान में भारी-उतार चढ़ाव के कारण ये वायरस फैल रहा है. अगर मौसम ऐसा ही रहा तो ये समस्या और बढ़ सकती है. डॉक्टरों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि कुत्तों को सभी वैक्सीन समय पर लगवा लें, ताकि वो इस बीमारी की चपेट में न आए.

छोटे कुत्ते हो रहे ज्यादा प्रभावित: बताया जा रहा है कि पार्वो या कैनाइन पार्वो वायरस (Canine parvovirus) एक वायरल संक्रमण है. ये कुत्तों के जठरांत्र पथ को प्रभावित करता है. ज्यादातर मामलों में यह रोग 6 से 20 सप्ताह के पिल्लों को होता है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ छोटे कुत्ते ही इस बीमारी की चपेट में आते हैं. कई बार बड़े कुत्तों को भी यह बीमारी प्रभावित करती है. यदि दुर्लभ मामलों की बात की जाए, तो पार्वो वायरस हृदय के कार्यों को प्रभावित कर सकता है. मायोकार्डिटिस यानी हृदय की मांसपेशियों की सूजन का कारण बनता है. कुछ नस्लें जैसे रॉटवीलर, पिटबुल, लैब्राडोर रिट्रीवर, डॉबरमैन पिंसर, जर्मन शेफर्ड, इंग्लिश स्प्रिंगर स्पैनियल्स और अलास्का स्लेज इस बीमारी के प्रति ज्यादा अतिसंवेदनशील होते हैं.

जानिए क्या है पार्वो वायरस: पार्वो वायरस एक खतरनाक वायरस है. इसका संक्रमण कुत्तों और उसके बच्‍चों में फैलता है. भारत में पहली बार यह वायरस 1980 में पाया गया था. संक्रमण के लक्षण दिखने पर पशु विशेषज्ञ जांच के माध्यम से संक्रमण की पुष्टि करते हैं. संक्रमण के बाद 90 फीसदी मामलों में मौत का खतरा बना रहता है. अधिकतर लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और रॉटविलर्स नस्‍ल के कुत्तों में इस वायरस का खतरा अधिक रहता है.

जानिए इस बीमारी का लक्षण: पालतू कुत्तों को अपनी चपेट में लेने वाली इस बीमारी के लक्षण कई तरह के हैं. इस बीमारी के लक्षणों में खूनी दस्त, भूख न लगना, अचानक तेज बुखार आना, मतली, सुस्ती, अवसाद जैसे कई लक्षण शामिल है. ऐसे में इन दिनों धमतरी के पशुपालक अपने कुत्तों को लेकर काफी परेशान हैं. हालांकि इस बीच पशु चिकित्सक कुत्तों को समय पर वैक्सीन लगवाने की सलाह दे रहै हैं.

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डॉग लवर्स रहें सावधान

धमतरी: धमतरी जिले के कुत्तों में इन दिनों पार्वो वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है. बीमारी इतनी ज्यादा फैल रही है कि रोजाना 40 से ज्यादा केस पशु चिकित्सालय पहुंच रहा है. इस वायरस से बीमार हुए कुत्तों में पेट संबंधी समस्याएं हो रही है. इसमें कुत्ते कई दिनों तक खाना नहीं खा रहे है. हालांकि बीमार कुत्तों का इलाज भी किया जा रहा है. इस बारे में पशु चिकित्सकों का कहना है कि तापमान में भारी-उतार चढ़ाव के कारण ये वायरस फैल रहा है. अगर मौसम ऐसा ही रहा तो ये समस्या और बढ़ सकती है. डॉक्टरों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि कुत्तों को सभी वैक्सीन समय पर लगवा लें, ताकि वो इस बीमारी की चपेट में न आए.

छोटे कुत्ते हो रहे ज्यादा प्रभावित: बताया जा रहा है कि पार्वो या कैनाइन पार्वो वायरस (Canine parvovirus) एक वायरल संक्रमण है. ये कुत्तों के जठरांत्र पथ को प्रभावित करता है. ज्यादातर मामलों में यह रोग 6 से 20 सप्ताह के पिल्लों को होता है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ छोटे कुत्ते ही इस बीमारी की चपेट में आते हैं. कई बार बड़े कुत्तों को भी यह बीमारी प्रभावित करती है. यदि दुर्लभ मामलों की बात की जाए, तो पार्वो वायरस हृदय के कार्यों को प्रभावित कर सकता है. मायोकार्डिटिस यानी हृदय की मांसपेशियों की सूजन का कारण बनता है. कुछ नस्लें जैसे रॉटवीलर, पिटबुल, लैब्राडोर रिट्रीवर, डॉबरमैन पिंसर, जर्मन शेफर्ड, इंग्लिश स्प्रिंगर स्पैनियल्स और अलास्का स्लेज इस बीमारी के प्रति ज्यादा अतिसंवेदनशील होते हैं.

जानिए क्या है पार्वो वायरस: पार्वो वायरस एक खतरनाक वायरस है. इसका संक्रमण कुत्तों और उसके बच्‍चों में फैलता है. भारत में पहली बार यह वायरस 1980 में पाया गया था. संक्रमण के लक्षण दिखने पर पशु विशेषज्ञ जांच के माध्यम से संक्रमण की पुष्टि करते हैं. संक्रमण के बाद 90 फीसदी मामलों में मौत का खतरा बना रहता है. अधिकतर लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और रॉटविलर्स नस्‍ल के कुत्तों में इस वायरस का खतरा अधिक रहता है.

जानिए इस बीमारी का लक्षण: पालतू कुत्तों को अपनी चपेट में लेने वाली इस बीमारी के लक्षण कई तरह के हैं. इस बीमारी के लक्षणों में खूनी दस्त, भूख न लगना, अचानक तेज बुखार आना, मतली, सुस्ती, अवसाद जैसे कई लक्षण शामिल है. ऐसे में इन दिनों धमतरी के पशुपालक अपने कुत्तों को लेकर काफी परेशान हैं. हालांकि इस बीच पशु चिकित्सक कुत्तों को समय पर वैक्सीन लगवाने की सलाह दे रहै हैं.

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Last Updated : Mar 15, 2024, 10:58 PM IST
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