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गहलोत बोले- नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के सांसदों को संसद में जाने से रोकना निंदनीय, सुरक्षाकर्मी नदारद रहने के पीछे क्या राज ? - GEHLOT RAISED QUESTION

संसद में प्रवेश के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों में धक्का-मुक्की की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उठाए सवाल.

Ashok Gehlot
अशोक गहलोत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 19, 2024, 8:18 PM IST

जयपुर: संसद में प्रवेश के दौरान गुरुवार को सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों के बीच धक्का-मुक्की की घटना की राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने संसद में हुई इस घटना के बीच सुरक्षाकर्मियों के नदारद रहने पर भी शंका जताई और कहा- सुरक्षाकर्मियों की गैर मौजूदगी के पीछे भी क्या कोई राज है. इसकी जांच होनी चाहिए.

अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा- आज सत्ताधारी पार्टी भाजपा के सांसदों ने राज्यसभा और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं अन्य सांसदों को संसद में जाने से रोका और उनसे धक्कामुक्की कर चोट पहुंचाने का प्रयास किया, जो बेहद निंदनीय है. ऐसा पहली बार देखा गया है कि एक पार्टी के सांसद ही दूसरी पार्टी के सांसदों को सदन में प्रवेश करने से रोक रहे हैं. सदन में सांसदों का हमेशा ससम्मान प्रवेश होता आया है.

बाबा साहेब के मुद्दे से ध्यान भटकाने की साजिश : अशोक गहलोत बोले, यह भी आश्चर्यजनक है कि संसद के सुरक्षाकर्मियों ने इस दौरान कोई हस्तक्षेप नहीं किया. जिससे लगता है कि यह अमित शाह द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर के अपमान के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा की कोई साजिश थी.

पढ़ें : राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के पद के लायक नहीं, ईटीवी भारत के सवाल पर बोले शिवराज सिंह चौहान - RAHUL GANDHI

ससम्मान प्रवेश मिले, यह स्पीकर की जिम्मेदारी : अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना की जांच की लोकसभा स्पीकर से मांग की है. यह लोकसभा स्पीकर की जिम्मेदारी है कि सभी सांसद सदन में ससम्मान प्रवेश कर सकें. लोकसभा स्पीकर को इस घटना की जल्द से जल्द जांच कर दोषी भाजपा सांसदों पर कार्रवाई करनी चाहिए.

स्पीकर की भूमिका पर भी सवाल : एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने लोकसभा स्पीकर की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. वे बोले- शुरुआत में ही आपातकाल पर लोकसभा स्पीकर प्रस्ताव लेकर आए. यह प्रस्ताव अगर भाजपा लाती तो अलग बात थी, लेकिन लोकसभा स्पीकर किसी पार्टी का नहीं होते हैं. ऐसे में उनसे क्या निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जाए.

स्पीकर को लेनी चाहिए नैतिक जिम्मेदारी : अशोक गहलोत ने कहा कि स्पीकर को इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और जो भी कमी रही उसे दूर करना चाहिए. सत्ता पक्ष के सांसदों पर स्पीकर कार्रवाई तो कर नहीं सकते. उनकी भी मजबूरियां हैं. उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच के साथ ही घटना की नैतिक जिम्मेदारी भी स्पीकर को लेनी चाहिए.

जयपुर: संसद में प्रवेश के दौरान गुरुवार को सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों के बीच धक्का-मुक्की की घटना की राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने संसद में हुई इस घटना के बीच सुरक्षाकर्मियों के नदारद रहने पर भी शंका जताई और कहा- सुरक्षाकर्मियों की गैर मौजूदगी के पीछे भी क्या कोई राज है. इसकी जांच होनी चाहिए.

अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा- आज सत्ताधारी पार्टी भाजपा के सांसदों ने राज्यसभा और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं अन्य सांसदों को संसद में जाने से रोका और उनसे धक्कामुक्की कर चोट पहुंचाने का प्रयास किया, जो बेहद निंदनीय है. ऐसा पहली बार देखा गया है कि एक पार्टी के सांसद ही दूसरी पार्टी के सांसदों को सदन में प्रवेश करने से रोक रहे हैं. सदन में सांसदों का हमेशा ससम्मान प्रवेश होता आया है.

बाबा साहेब के मुद्दे से ध्यान भटकाने की साजिश : अशोक गहलोत बोले, यह भी आश्चर्यजनक है कि संसद के सुरक्षाकर्मियों ने इस दौरान कोई हस्तक्षेप नहीं किया. जिससे लगता है कि यह अमित शाह द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर के अपमान के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा की कोई साजिश थी.

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ससम्मान प्रवेश मिले, यह स्पीकर की जिम्मेदारी : अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना की जांच की लोकसभा स्पीकर से मांग की है. यह लोकसभा स्पीकर की जिम्मेदारी है कि सभी सांसद सदन में ससम्मान प्रवेश कर सकें. लोकसभा स्पीकर को इस घटना की जल्द से जल्द जांच कर दोषी भाजपा सांसदों पर कार्रवाई करनी चाहिए.

स्पीकर की भूमिका पर भी सवाल : एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने लोकसभा स्पीकर की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. वे बोले- शुरुआत में ही आपातकाल पर लोकसभा स्पीकर प्रस्ताव लेकर आए. यह प्रस्ताव अगर भाजपा लाती तो अलग बात थी, लेकिन लोकसभा स्पीकर किसी पार्टी का नहीं होते हैं. ऐसे में उनसे क्या निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जाए.

स्पीकर को लेनी चाहिए नैतिक जिम्मेदारी : अशोक गहलोत ने कहा कि स्पीकर को इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और जो भी कमी रही उसे दूर करना चाहिए. सत्ता पक्ष के सांसदों पर स्पीकर कार्रवाई तो कर नहीं सकते. उनकी भी मजबूरियां हैं. उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच के साथ ही घटना की नैतिक जिम्मेदारी भी स्पीकर को लेनी चाहिए.

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