वाराणसी: वर्तमान समय में प्रीमेच्योर डिलीवरी के केस सामने आ रहे हैं, जिसकी बड़ी वजह महिलाओं में एनीमिया की दिक्कत और फैमिली प्लानिंग है. स्पिरिचुअल डिलीवरी से मां और बच्चे दोनों के सेहत पर असर पड़ रहा है. बच्चों में श्वास लेने संबंधित दिक्कतों के साथ पीलिया जैसी भी समस्याएं हो रही हैं. ऐसे में प्रीमेच्योर बेबी की किस तरीके से देखरेख करनी चाहिए, इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के मंडली अस्पताल के पिडियाट्रिक एक्सपर्ट डॉक्टर मृदुला मुल्लिक से बातचीत की.
कंगारू मेथड है सबसे ज्यादा कारगर: डॉ. मलिक बताती हैं, कि प्रीमेच्योर बेबी में सबसे कारगर मेथड कंगारू केयर मेथड होता है. जिसमें मां को बच्चों को बिना कपड़े के अपने शरीर से एक घंटे तक स्पर्श देना होता है. ताकि बच्चे के शरीर का तापमान हमेशा मेंटेन रहे. यदि बच्चे के शरीर का तापमान मेंटेन रहेगा, तो बच्चों को किसी भी तरीके की दिक्कत नहीं होगी. अस्पताल से ही मां को यह ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि घर जाकर बच्चों के देखरेख करने में उन्हें दिक्कत ना हो.
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ये होती है समस्याएं: प्रीमेच्योर बच्चों में अलग-अलग तरीके की दिक्कतें होती हैं. बच्चे बार-बार बीमार होते हैं, इम्यून सिस्टम कमजोर होता है.जन्म के समय बच्चे का वजन कम होता है. सांस लेने में कठिनाई होती है. शरीर में एनीमिया की दिक्कत होती है, जिस वजह से लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती.
ब्रेन हेमरेज की दिक्कत होती है. नवजात शिशु में पीलिया का असर दिखाई देता है. आंखों में रेटिनोपैथी की दिक्कत होती है.
प्रीमेच्योर बेबी में ध्यान रखने योग्य बातें: अपने हाथ हमेशा साफ रखना चाहिए. कंगारू मदर केयर ट्रीटमेंट का प्रयोग मां को करना चाहिए.
2 साल तक बच्चों के लिए डॉक्टर द्वारा बताया गया प्रिकॉशन का पालन करना चाहिए.बच्चों की ग्रोथ और उसके विकास को समय-समय पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए.डॉक्टर द्वारा बताया गया यदि कोई भी डेंजरस साइन बच्चों में दिखाई देते हैं, तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.
अस्पताल में शुरू की जा रही है फैमिली ट्रेनिंग: उन्होंने बताया कि मां को गर्भावस्था के दौरान किस तरीके से अपना ध्यान रखना चाहिए और प्रीमेच्योर डिलीवरी में किस तरीके से बच्चों का ध्यान रखना चाहिए. इसको लेकर के परिवार को ट्रेनिंग देने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत की जाने वाली है. जिसमें परिवार के लोगों को मां के साथ बताया जाएगा कि वह बच्चों का कैसे ध्यान रखें.
प्रीमेच्योर डिलीवरी से बचने के क्या है उपाय: सबसे बड़ी जिम्मेदारी फैमिली प्लानिंग होती है. मां को एक बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के लिए कम से कम 3 साल का गगैप रखना जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान एक टाइम एक्स्ट्रा भोजन करना जरूरी होता है.हरी सब्जियां शरीफ़ा, दाल ड्राई, फ्रूट, एग, नॉन वेजिटेरियन फूड का सेवन करें.विटामिन सी से भरपूर नींबू, संतरा, कीनू,सीताफल,टमाटर और स्ट्रॉबेरी खाएं.
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