भोपाल (PTI) : पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र के 36 गांवों में 1100 से अधिक श्वानों को एहतियात के तौर पर कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (CDV) के खिलाफ टीके लगाए जा रहे हैं. बता दें कि सीडीवी घातक व खतरनाक संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी के कारण डॉग्स के श्वसन और तंत्रिका तंत्र में संक्रमण फैल जाता है. अगर इस बीमारी की रोकथाम न की गई तो बड़े स्तर पर श्वानों की जान पर संकट आ सकता है.
अगले साल फरवरी तक जारी रहेगा टीकाकरण अभियान
पन्ना टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की ने पीटीआई को बताया, "हम रिजर्व के बफर क्षेत्र के 36 गांवों में लगभग 1150 कुत्तों को कवर कर रहे हैं. टीके लगाने का काम इसी माह नवंबर में शुरू किया गया. टीकाकरण अगले साल के फरवरी तक जारी रहेगा. टीकाकरण मुहिम से डॉग्स सुरक्षित हो जाएंगे. कुत्तों के रक्त के नमूनों से पता चला कि उनमें रेबीज और सीडीवी की बीमारी है. श्वानों में इन बीमारियों के वायरस मौजूद थे. ये श्वान जंगली जानवरों के संपर्क में आ सकते हैं."
संक्रमित डॉग्स के संपर्क में आने से जंगली जानवरों को खतरा
श्वानों में संक्रमण फैलने से डॉग्स बाइट की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं. इसके काटने से जानवरों के साथ ही किसी को भी रेबीज या सीडीवी हो सकता है. इससे पहले भी इस क्षेत्र में डॉग्स बाइट की घटनाएं हुई हैं. इसी बीमारी के कारण टाइगर रिजर्व में बाघ पी-212 बीमार हो गया था, जिसे बाद में संजय टाइगर रिजर्व भेजा गया. इसके अलावा छतरपुर में भी एक तेंदुए के साथ ही एक बाघ में भी सीडीवी पाया गया था.
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पन्ना टाइगर रिजर्व में अब बाघों की संख्या 62 हुई
इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की ने बताया "2009 में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के अलावा बांधवगढ़, कान्हा और पेंच बाघ अभयारण्यों से पन्ना में 7 बाघ लाए गए थे. पन्ना रिजर्व में वयस्क बाघों की संख्या 62 हो गई है. मध्य प्रदेश 785 बाघों के साथ पहले स्थान पर है, उसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) का स्थान है."