ETV Bharat / state

पन्ना में प्रकाश स्वरूप शिवलिंग छोड़ गए थे भगवान शंकर, अगस्त्य मुनि ने की थी इसकी स्थपना - PANNA SIDDHANATH MANDIR FACTS

पन्ना की विंध्याचल पहाड़ियों पर सिद्धनाथ आश्रम स्थित है. जहां पत्थरों पर नक्काशी कर सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं. इसे चंदेल कालीन बताया जाता है.

PANNA SIDDHANATH MANDIR
पन्ना में प्रकाश स्वरूप शिवलिंग छोड़ गए थे भगवान शंकर (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

पन्ना: जिले में कई ऐसे मंदिर हैं, जो विश्व विख्यात है. इसमें सैकड़ों वर्ष पुराना सिद्धनाथ तपोभूमि यानी अगस्त्य मुनि आश्रम भी शामिल है. बताया जाता है कि गुनौर तहसील अंतर्गत विंध्याचल पहाड़ियों पर विद्यमान शिवलिंग का प्रकाश स्वरूप स्वयं शंकर जी छोड़ गए थे. इसकी स्थापना अगस्त्य मुनि और उनके शिष्यों ने की थी. जिसके बाद इस शिवलिंग के चारों और पत्थरों की नक्काशी से विशाल मंदिर बनाया गया, जो चंदेल कालीन बताया जाता है. यहीं पर भगवान राम भी अगस्त्य मुनि से मिले थे.

भगवान शंकर छोड़ गए थे प्रकाश स्वरूप शिवलिंग

मंदिर के पुजारी दीनदयाल दास बताते हैं कि " रामचरितमानस के मुताबिक शंकर भगवान स्वयं इस धाम पर आए थे. यहां पर शिवजी और ऋषि अगस्त्य जी एक साथ सत्संग करते हैं ऋषि अगस्त्य राम कथा सुनाते हैं. जब भगवान शंकर प्रसन्न होकर कैलाश निवास के लिए जाने लगे तो अगस्त्य मुनि और उनके शिष्यों ने शिवजी की बार-बार वंदना की और सिर झुकाया. अगस्त्य मुनि की भक्ति देख शंकर भगवान प्रसन्न हो गए और प्रकाश रूप एक शिवलिंग यहां पर छोड़ गए. यह वही शिवलिंग है, जिसकी स्थापना अगस्त्य मुनि ने अपने शिष्यों के साथ की."

सिद्धनाथ आश्रम में पत्थरों पर नक्काशी कर सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं (PANNA SIDDHANATH TAPOBHOOMI)

त्रेतायुग में अवतरित हुआ था शिवलिंग

पुजारी दीनदयाल ने आगे बताया, '' सिद्धनाथ आश्रम अगस्त्य मुनि की तपोस्थली है. अगस्त्य मुनि दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत थे, जो यहां पर तपस्या करने आए थे.अगस्त्य मुनि के साथ उनके 108 शिष्य भी यहां तपस्या किया करते थे. उन्होंने ही त्रेतायुग में अवतरित हुए शिवलिंग को यहां स्थापित किया था. इसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण चंदेल काल में हुआ. इस मंदिर की नक्काशी अद्भुत है. यहां पत्थरों को काटकर मूर्तियां बनाई गई हैं. इसके साथ ही मंदिर में कई सुंदर कलाकृतियां बनी हुई है, जो अपने आप में ऐतिहासिक धरोहर है. भारत पुरातत्व संरक्षण विभाग द्वारा इसे संजोने का काम किया जा रहा है.

पन्ना: जिले में कई ऐसे मंदिर हैं, जो विश्व विख्यात है. इसमें सैकड़ों वर्ष पुराना सिद्धनाथ तपोभूमि यानी अगस्त्य मुनि आश्रम भी शामिल है. बताया जाता है कि गुनौर तहसील अंतर्गत विंध्याचल पहाड़ियों पर विद्यमान शिवलिंग का प्रकाश स्वरूप स्वयं शंकर जी छोड़ गए थे. इसकी स्थापना अगस्त्य मुनि और उनके शिष्यों ने की थी. जिसके बाद इस शिवलिंग के चारों और पत्थरों की नक्काशी से विशाल मंदिर बनाया गया, जो चंदेल कालीन बताया जाता है. यहीं पर भगवान राम भी अगस्त्य मुनि से मिले थे.

भगवान शंकर छोड़ गए थे प्रकाश स्वरूप शिवलिंग

मंदिर के पुजारी दीनदयाल दास बताते हैं कि " रामचरितमानस के मुताबिक शंकर भगवान स्वयं इस धाम पर आए थे. यहां पर शिवजी और ऋषि अगस्त्य जी एक साथ सत्संग करते हैं ऋषि अगस्त्य राम कथा सुनाते हैं. जब भगवान शंकर प्रसन्न होकर कैलाश निवास के लिए जाने लगे तो अगस्त्य मुनि और उनके शिष्यों ने शिवजी की बार-बार वंदना की और सिर झुकाया. अगस्त्य मुनि की भक्ति देख शंकर भगवान प्रसन्न हो गए और प्रकाश रूप एक शिवलिंग यहां पर छोड़ गए. यह वही शिवलिंग है, जिसकी स्थापना अगस्त्य मुनि ने अपने शिष्यों के साथ की."

सिद्धनाथ आश्रम में पत्थरों पर नक्काशी कर सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं (PANNA SIDDHANATH TAPOBHOOMI)

त्रेतायुग में अवतरित हुआ था शिवलिंग

पुजारी दीनदयाल ने आगे बताया, '' सिद्धनाथ आश्रम अगस्त्य मुनि की तपोस्थली है. अगस्त्य मुनि दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत थे, जो यहां पर तपस्या करने आए थे.अगस्त्य मुनि के साथ उनके 108 शिष्य भी यहां तपस्या किया करते थे. उन्होंने ही त्रेतायुग में अवतरित हुए शिवलिंग को यहां स्थापित किया था. इसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण चंदेल काल में हुआ. इस मंदिर की नक्काशी अद्भुत है. यहां पत्थरों को काटकर मूर्तियां बनाई गई हैं. इसके साथ ही मंदिर में कई सुंदर कलाकृतियां बनी हुई है, जो अपने आप में ऐतिहासिक धरोहर है. भारत पुरातत्व संरक्षण विभाग द्वारा इसे संजोने का काम किया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.