पन्ना। जिले में 2022 और 2023 में 37 गर्भवती महिलाओं की मौत का आंकड़ा सामने आया है. मातृ-मृत्यु की समीक्षा में स्वास्थ्य विभाग की यह हकीकत सामने आई है. मौत के इस आंकड़े को देखकर हड़कंप मच गया है वहीं जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर दावे की पोल खुल गई है. दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था में डॉक्टरों की भारी कमी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है.
37 गर्भवती महिलाओं की मौत
पन्ना जिला आजादी के कई साल बाद भी सामान्य स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मोहताज है. बता दें कि 11 लाख की आबादी वाला पन्ना जिला हीरों और मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है लेकिन आज भी इस जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए पड़ोसी जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है. कहने के लिए तो जिले की प्रत्येक तहसील में उप स्वास्थ्य केंद्र , स्वास्थ्य केंद्र और जिला मुख्यालय में जिला अस्पताल मौजूद है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और दीवारों के सिवाए कुछ भी नहीं है. ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि शासन द्वारा प्रत्येक वर्ष की तरहा इस वर्ष भी मातृ- मृत्यु की 2022 और 23 की समीक्षा रिपोर्ट जारी की है जिसमें एक साल के अंदर 37 गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है.
स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल
अब ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि सरकार के द्वारा प्रत्येक तहसील में ग्राम पंचायत स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की है. जिनकी जिम्मेदारी इस बात के लिए सुनिश्चित की गई है कि प्रत्येक गर्भवती महिला के गर्भ धारण से लेकर उनके प्रसव तक की पूरी जांच और कमियों को दूर करना होता है लेकिन जमीनी स्तर पर समीक्षा रिपोर्ट जब 37 मौतों का आंकड़ा प्रस्तुत करती है तो पन्ना जिले में स्वास्थ्य विभाग की चलाई जा रही योजनाएं ओर व्यवस्थाएं झूठी साबित होती दिखाई पड़ती हैं.
'मौत का ये आंकड़ा बड़ा नहीं'
मामला तब और गंभीर हो जाता है जब सीएमएचओ डॉ व्हीएस उपाध्याय इन आंकड़ों और जिले में हुई 37 मौतों को पूरे जिले के हिसाब से कुछ ज्यादा नहीं कहकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं और हकीकत पर पर्दा डालने के लिए गैर जिम्मेदार बयान दे रहे हैं.