पानीपत: हाल ही में स्वीडन में बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता हुई थी. 32 देशों के बॉडी बिल्डरों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. हरियाणा के छोरे ने प्रतियोगिता में चौथा स्थान हासिल कर मिस्टर आयरन मैन का खिताब जीता है. पानीपत के मेहराना गांव निवासी परवीन नांदल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अपने संघर्ष की यात्रा को विस्तार से बताया. किसान परिवार में जन्मे परवीन नांदल ने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उनका सफर बड़ा ही संघर्ष भरा रहा है.
बॉडी बिल्डर परवीन नांदल: परवीन नांदल ने बताया कि वो बचपन में काफी दुबले-पतले थे. परवीन बहुत बीमार रहते थे. एक बार तो परवीन इतने बीमार हुए कि डॉक्टरों ने जवाब दे दिया और माता-पिता को घर ले जाने को कहा, परवीन ने बताया कि उसके माता-पिता ने भी हार नहीं मानी और मुझे ठीक कर दिया. परवीन ने कहा कि इसके बाद मैंने ठान लिया कि वो इस दुबले पतले शरीर को इस कदर मजबूत कर देंगे कि जो भी देखें. एक बार दांतों तले उंगली दबा ले.
कमजोरी को बनाया ताकत: कक्षा सातवीं से ही परवीन ने अपने इस बॉडी बिल्डिंग के सफर को शुरू किया. 2006 में परवीन नांदल ने मिस्टर हरियाणा का खिताब हासिल किया और उसके बाद मिस्टर इंडिया का खिताब. एक के बाद एक कई खिताब और चैंपियनशिप परवीन ने जीती. 2023 में परवीन नांदल ने मिस्टर रसिया का खिताब अपने नाम किया. इस सफर में परवीन नांदल की कई बार इंजरी भी हुई.
इंजरी के बाद भी नहीं मानी हार: परवीन नांदल ने बताया कि एक्सरसाइज करते समय एक बार उनके सीने में भी बड़ी इंजरी हो गई थी. उसके बाद उनके हाथ में भी इंजरी हुई. सर्जरी करा कर फिर वो जिम लौटे और फिर से संघर्ष किया. उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है कि परवीन आयरन वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप अपने नाम कर चुके हैं. परवीन नांदल ने बताया कि 2020 में वो कोरोना वायरस की चपेट में भी आ गए थे. पर उन्होंने हार नहीं मानी.
जिम चलाते हैं परवीन: कोरोना से रिकवर करने के बाद उन्होंने करीब 5 से 7 घंटे जिम में प्रैक्टिस की और अपने आप को इस काबिल बनाया. हरियाणा के छोरे परवीन नांदल के पास इतनी ट्रॉफी और मेडल हैं कि अगर आप उन्हें गिनना शुरू करें, तो घंटा बीत जाएगा. परवीन नांदल पानीपत में ही जिम चलते हैं. करीब 80 से ज्यादा बच्चे उनके पास प्रैक्टिस करते हैं. कुछ डॉक्टर और अधिकारियों का समय अलग से निर्धारित किया गया है.
जरूरतमंदों को देते हैं फ्री ट्रेनिंग: परवीन उन जरूरतमंद बॉडी बिल्डर और स्पोर्ट्समैन को फ्री कोचिंग देते हैं, जो आर्थिक स्थिति से कमजोर हैं. परवीन कहते हैं कि ऐसे बच्चों के लिए उनकी जिम हमेशा खुली रहती है, जो कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैं. वो बच्चों को भी यही संदेश देते हैं कि नशा बड़ी आसानी से मिल जाता है और बड़ी आसानी से ही शरीर को मौत के मुंह तक ले जाता है. खेल और सेहत ही है, जो आपको एक जिंदादिली का एहसास दिलाता है, तो नशे से दूर रहकर एक अच्छा स्पोर्ट्समैन बनो और स्वस्थ रहो.