पलामूः नक्सलियों के खिलाफ पुलिस ने तीसरा नेत्र खोल दिया है. दरअसल, कुछ दिनों पहले लातेहार में लेवी के लिए एक वार्ड आयुक्त सह कंस्ट्रक्शन कंपनी के मुंशी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड के तार नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद से जुड़ा था. पिछले पांच वर्षों में पलामू प्रमंडल में यह ऐसी नृशंस हत्या नक्सलियों ने पहली बार की है. इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने नए सिरे से संगठन के खिलाफ अभियान की शुरूआत की है.
सरेंडर करें, नहीं तो मारे जाएंगेः डीआईजी
पुलिस ने झारखंड जनमुक्ति परिषद के अलावा अन्य नक्सल संगठनों को भी टारगेट पर लिया गया है. इस संबंध में पलामू रेंज के डीआईजी वाईएस रमेश बताते है कि जेजेएमपी ही नहीं, बल्कि सभी नक्सल संगठनों के खिलाफ विशेष रणनीति बनाई गई है. पुलिस सभी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है और अभियान चला रही है. डीआईजी ने कहा कि पुलिस यह साफ तौर पर कह रही है कि नक्सली सरेंडर करें, नहीं तो मारे जाएंगे. उनके खिलाफ हर स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है.
जेजेएमपी का पांच जिलों में है प्रभाव
प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद का पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, लोहरदगा के सीमावर्ती इलाकों में प्रभाव रहा है. माओवादी संगठन टीएसपीसी के कमजोर होने के बाद जेजेएमपी अपना प्रभाव जमाना चाहता है. 2007-08 में भाकपा माओवादी से टूट कर एक बड़ा दस्ता झारखंड जनमुक्ति परिषद बना था. जेजेएमपी के पास कई आधुनिक हथियार भी हैं. जेजेएमपी के सुप्रीमो पप्पू लोहरा पर 25 लाख रुपये का इनाम भी है. पिछले तीन वर्षों में जेजेएमपी 60 से अधिक कमांडर पकड़े भी गए हैं, जबकि आपसी मुठभेड़ में आधा दर्जन कमांडर मारे गए हैं.
केंदू पत्ता और कोयला के पैसे पर नक्सलियों की नजर
पिछले कुछ वर्षों में नक्सल संगठनों की ओर से लेवी के मामलों में कमी आई है. नवंबर-दिसंबर में केंदू पत्ता के लिए नीलामी होती है. केंदू पत्ता से प्रतिबैग के हिसाब से नक्सली लेवी वसूलते हैं. इसी पैसे पर नक्सल संगठनों की नजर रहती है और इसके सीजन की शुरुआत से पहले नक्सली संगठन हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. जेजेएमपी भी इस सीजन में हिंसक घटनाओं को अंजाम देता है.
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