पलामू: बाल गृह यौन शोषण मामले के खुलासे के बाद प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई जारी है. कार्रवाई के बीच बाल गृह व बालिका गृह के बच्चों को घर भेजना बड़ी चुनौती बन गया है. बाल गृह व बालिका गृह से लड़कियों को घर भेजने में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की भूमिका होती है.
सीडब्ल्यूसी ही किसी लड़के या लड़की को घर भेजने का आदेश देती है. पलामू बालिका गृह की लड़कियों को रांची बालिका गृह में शिफ्ट कर दिया गया है. अब रांची बालिका गृह में रह रही लड़कियों को वापस घर भेजने में रांची सीडब्ल्यूसी की भूमिका होगी.
पलामू बालिका गृह में यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया है और कार्यालय नहीं जा रहे हैं. वहीं, एक सदस्य फरार है. काउंसलर को बर्खास्त कर दिया गया है. पलामू डीसी शशि रंजन का कहना है कि मामले में विभाग से बात कर समाधान निकाला जाएगा. एक-दो दिन में समस्या का समाधान हो जाएगा.
परिजन लगा रहे कार्यालय का चक्कर
बाल गृह से अपने बच्चों को घर ले जाने के लिए परिजन लगातार कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. पलामू बाल गृह में फिलहाल 26 बच्चे हैं. इनमें 14 नियमित हैं, जबकि 12 को बाल श्रम के मामले में मुक्त कराया गया है. इनमें कुछ दिन पहले रेलवे सुरक्षा बल की ओर से चलाए गए अभियान में 9 बच्चों को बरामद किया गया था. सभी बच्चों को पलामू के मनातू से तस्करी कर पंजाब ले जाया जा रहा था. सभी बच्चों को पलामू बाल गृह में रखा गया है. बाल गृह से बच्चों को निकालने के लिए परिजन लगातार जिला बाल संरक्षण कार्यालय और सीडब्ल्यूसी का चक्कर लगा रहे हैं.
मनातू निवासी चंद्रधन ने बताया कि उनका पोता भी पकड़ा गया था, वे पिछले कई दिनों से कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बच्चों को मुक्त नहीं कराया जा रहा है. उनकी तरह गांव के सभी लोग बच्चों को मुक्त कराने के लिए लगातार चक्कर लगा रहे हैं.
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