गोरखपुर : महात्मा बुद्ध के प्रसाद के रूप में पुरी दुनिया में विख्यात काला नमक चावल को पुनर्जीवित करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर रामचरित चौधरी को पद्मश्री अवार्ड मिला है. इससे वह बेहद गदगद हैं. ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी इस उपलब्धि में पूर्वांचल की माटी का बड़ा योगदान है. यहां वह पैदा हुए और पले बढ़े. पूर्वांचल के ही एक उत्पाद को उन्होंने बड़ा आधार बनाते हुए कार्य किया.
उन्होंने बताया कि सिद्धार्थनगर की धरती पर काला नमक चावल महात्मा बुद्ध के समय में बड़े पैमाने पर होता था. मौजूदा समय में भी उसको उन्होंने फिर से क्षेत्र में जीवित करने और किसानों को इसकी खेती के प्रति जागरूक किया. इसके बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा. इसे आगे बढ़ाने में प्रदेश की योगी सरकार ने भी मदद की. काला नमक चावल के निर्यात पर भारत सरकार ने रोक लगा रखी है. इसके निर्यात को खोले जाने की मांग उनकी सरकार से जारी है. इससे किसानों का काला नमक चावल का उत्पाद उचित मूल्य पर दुनिया के दूसरे देशों में भी जा सकेगा.
मूल रूप से संत कबीरनगर जनपद के महुली थाना क्षेत्र के झींगुरा पार गांव के रहने वाले डॉक्टर आरसी चौधरी का बचपन, इसी गांव में पढ़ते-लिखते आगे बढ़ा. उन्होंने एमएससी की डिग्री कानपुर विश्वविद्यालय से ली. डॉक्टरेट की उपाधि भी एग्रीकल्चर में यही से प्राप्त की. उन्होंने पोस्ट डॉक्टरेट की डिग्री जर्मनी से ली. 8 नवंबर 1944 को जन्मे डॉक्टर चौधरी तुलसी के वैज्ञानिक और बायो मेडिकल महत्व को दर्शाते हुए खेती पर करीब दो दशक पहले तक बड़ा अभियान चलाया. मौजूदा समय भी यह गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र में काला नमक चावल की प्रजाति को डेवलप करने, शोध के साथ उसको लोगों के बीच में प्रस्तुत करने पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज वह जिस पुरस्कार के हकदार हैं. उसमें मीडिया का भी बड़ा योगदान है जो, समय-समय पर उनके प्रयासों को स्थानीय स्तर से लेकर देश स्तर पर महत्व देता रहा है.
डॉ. चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक कारणों से खेती को हुए नुकसान से देश में चावल के उत्पादन में कमी को देखते हुए, भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसी कड़ी में भगवान बुद्ध के महाप्रसाद काला नमक चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार का मानना है कि कई राज्यों में जो बाढ़ आई उसे चावल की फसल बहुत कम हुई. अगर चावल बाहर के देशों में निर्यात होता रहा तो भारत में दिक्कत हो जाएगी. सरकार के इस कदम से डॉ. हैरान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो फैसला लिया है वह ठीक ही होगा लेकिन, काला नमक चावल को प्रतिबंधित चावल की श्रेणी से बाहर रखा जा सकता था. इसके लिए भारत सरकार को पत्र लिखा है. इसके साथ ही 200 किसानों ने भारत सरकार को इस पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है. उन्होंने प्रतिबंध हटने से होने वाले लाभ और अब तक हुए लाभ की भी चर्चा पत्र के माध्यम से की हैय साथ ही भारत को काला नमक चावल के निर्यात से विदेशी मुद्रा का अर्जन होगा. इससे जिससे अन्य देशों से भारत को चावल आयात करने में आसानी होगी.
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