ETV Bharat / state

मूत्राशय की जटिल सर्जरी के लिए पद्मश्री प्रो. एसएन कुरील को मिला सम्मान - Padma Shri Prof SN Kureel

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 12, 2024, 8:50 PM IST

पद्मश्री प्रो. एसएन कुरील को सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलॉजी की ओर से मानद उपाधि मिली है. प्रो. एसएन कुरील ने पेडियाट्रिक यूरोलॉजी में बड़ा योगदान दिया है. वह नवजात शिशु और बाल चिकित्सा मूत्र संबंधी पुनर्निर्माण सर्जरी के लिए जाने जाते हैं.

पद्मश्री प्रो. एसएन कुरील को मिला सम्मान
पद्मश्री प्रो. एसएन कुरील को मिला सम्मान (Photo Credit: ETV Bharat)

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ पद्मश्री प्रो. एसएन कुरील को सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलॉजी की ओर से मानद उपाधि मिली है. दो अमेरिकी विशेषज्ञों के अलावा वह अकेले भारतीय डॉक्टर हैं, जिन्हें यह फेलोशिप प्राप्त हुई है. प्रो. एसएन कुरील ने पेडियाट्रिक यूरोलॉजी में अपना एक बड़ा योगदान दिया है. वह नवजात शिशु और बाल चिकित्सा मूत्र संबंधी पुनर्निर्माण सर्जरी के लिए जाने जाते हैं.

प्रो. एसएन कुरील ने कहा कि इस विषय में उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उन्हें यह फेलोशिप प्राप्त होगी. इस कार्यक्रम में वह शामिल होने गए थे. दो अमेरिकी विशेषज्ञ के के साथ उनका नाम घोषित किया गया. यह अपने आप में ही एक बड़ी बात है. यह उनके लिए बहुत ही खुशी की बात है.

सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलॉजी ने कोलकाता में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में प्रतिष्ठित बाल मूत्र रोग विशेषज्ञों को फेलोशिप दिया. इसमें कॉमर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, शिकागो विश्वविद्यालय, शिकागो, यूएसए से दो प्रतिष्ठित अमेरिकी बाल मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहन गुंडेती और सिनसिनाटी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एंड मेडिकल सेंटर सिनसिनाटी यूएसए के डॉ. प्रमोद रेड्डी को इस सम्मान के लिए चुना गया. इस सम्मान के लिए चुने गए भारतीय बाल मूत्र रोग विशेषज्ञ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के प्रो. एसएन कुरील हैं, जो बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग में कार्यरत हैं.

बता दें कि प्रो. एसएन कुरील ने पीडियाट्रिक यूरोलॉजी में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इसके लिए इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. प्रो. कुरील ने एक केस बताते हुए कहा कि एमपी के सतना निवासी व्यवसायी के घर पांच जून 2015 को बच्चे का जन्म हुआ था, लेकिन बच्चे के पेशाब के रास्ते में दिक्कत और एक अंग के शरीर से बाहर निकले होने व उससे पेशाब बाहर टपकने की बात पता चली, तो परिवार की खुशी तनाव में बदल गई थी. बच्चे के पिता ने जबलपुर के मेडिकल कॉलेज दिखाया था. वहां डॉक्टर्स ने इलाज का दावा किया था, लेकिन वह संतुष्ट नहीं हुए और अपने पारिवारिक डॉक्टर डॉ. हारुन मंसूरी से संपर्क किया था. वह लंदन के ग्रेट आरमंड स्ट्रीट हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रेन में बाल रोग विशेषज्ञ थे. जब बच्चे को डॉक्टर ने देखा तो बताया था कि उसे 'एक्सट्रॉफी ब्लैडर' नाम की डिजीज थी.

इसके बाद बच्चे को विश्वभर में फेमस पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट प्रो. अब्राहम चेरियन और डॉ. इमरान मुश्ताक से इलाज के लिए चर्चा की थी. बच्चे के पिता ने भी इंटरनेट पर बीमारी के इलाज के बारे में काफी जानकारी की थी, लेकिन सभी फेमस निजी हॉस्पिटल्स तक ने इलाज में हाथ खड़े कर दिए थे. इसी दौरान डॉ. हारुन मंसूरी ने पीड़ित बच्चे के पिता को फोन कर कहा था कि प्रो. अब्राहम चेरियन और डॉ. इमरान मुश्ताक ने बच्चे की सर्जरी के लिए लंदन आने की सलाह दी थी.

उन्होंने यह भी कहा था कि इस बीमारी के लिए सिर्फ भारत में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में पीडियाट्रिक सर्जन प्रो. एसएन कुरील ही पैदाइशी विकृति की सर्जरी से दूर करने में माहिर एक मात्र स्पेशलिस्ट हैं. ओमान में डॉक्टर व बच्चे के चाचा डॉ. अकबर ने भी उन्हें प्रो. एसएन कुरील का नाम सुझाया था. यहां तक कि कई कॉरपोरेट अस्पतालों के विशेषज्ञों ने भी उन्हें केजीएमयू जाने की सलाह दी थी. इसके बाद बच्चे के पिता ने विदेश जाकर ऑपरेशन कराने की जगह केजीएमयू आने का मन बना लिया था. प्रो. कुरील ने उस बच्चे का ऑपरेशन कर उसे नया जीवन दिया.

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ पद्मश्री प्रो. एसएन कुरील को सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलॉजी की ओर से मानद उपाधि मिली है. दो अमेरिकी विशेषज्ञों के अलावा वह अकेले भारतीय डॉक्टर हैं, जिन्हें यह फेलोशिप प्राप्त हुई है. प्रो. एसएन कुरील ने पेडियाट्रिक यूरोलॉजी में अपना एक बड़ा योगदान दिया है. वह नवजात शिशु और बाल चिकित्सा मूत्र संबंधी पुनर्निर्माण सर्जरी के लिए जाने जाते हैं.

प्रो. एसएन कुरील ने कहा कि इस विषय में उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उन्हें यह फेलोशिप प्राप्त होगी. इस कार्यक्रम में वह शामिल होने गए थे. दो अमेरिकी विशेषज्ञ के के साथ उनका नाम घोषित किया गया. यह अपने आप में ही एक बड़ी बात है. यह उनके लिए बहुत ही खुशी की बात है.

सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलॉजी ने कोलकाता में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में प्रतिष्ठित बाल मूत्र रोग विशेषज्ञों को फेलोशिप दिया. इसमें कॉमर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, शिकागो विश्वविद्यालय, शिकागो, यूएसए से दो प्रतिष्ठित अमेरिकी बाल मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहन गुंडेती और सिनसिनाटी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एंड मेडिकल सेंटर सिनसिनाटी यूएसए के डॉ. प्रमोद रेड्डी को इस सम्मान के लिए चुना गया. इस सम्मान के लिए चुने गए भारतीय बाल मूत्र रोग विशेषज्ञ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के प्रो. एसएन कुरील हैं, जो बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग में कार्यरत हैं.

बता दें कि प्रो. एसएन कुरील ने पीडियाट्रिक यूरोलॉजी में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इसके लिए इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. प्रो. कुरील ने एक केस बताते हुए कहा कि एमपी के सतना निवासी व्यवसायी के घर पांच जून 2015 को बच्चे का जन्म हुआ था, लेकिन बच्चे के पेशाब के रास्ते में दिक्कत और एक अंग के शरीर से बाहर निकले होने व उससे पेशाब बाहर टपकने की बात पता चली, तो परिवार की खुशी तनाव में बदल गई थी. बच्चे के पिता ने जबलपुर के मेडिकल कॉलेज दिखाया था. वहां डॉक्टर्स ने इलाज का दावा किया था, लेकिन वह संतुष्ट नहीं हुए और अपने पारिवारिक डॉक्टर डॉ. हारुन मंसूरी से संपर्क किया था. वह लंदन के ग्रेट आरमंड स्ट्रीट हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रेन में बाल रोग विशेषज्ञ थे. जब बच्चे को डॉक्टर ने देखा तो बताया था कि उसे 'एक्सट्रॉफी ब्लैडर' नाम की डिजीज थी.

इसके बाद बच्चे को विश्वभर में फेमस पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट प्रो. अब्राहम चेरियन और डॉ. इमरान मुश्ताक से इलाज के लिए चर्चा की थी. बच्चे के पिता ने भी इंटरनेट पर बीमारी के इलाज के बारे में काफी जानकारी की थी, लेकिन सभी फेमस निजी हॉस्पिटल्स तक ने इलाज में हाथ खड़े कर दिए थे. इसी दौरान डॉ. हारुन मंसूरी ने पीड़ित बच्चे के पिता को फोन कर कहा था कि प्रो. अब्राहम चेरियन और डॉ. इमरान मुश्ताक ने बच्चे की सर्जरी के लिए लंदन आने की सलाह दी थी.

उन्होंने यह भी कहा था कि इस बीमारी के लिए सिर्फ भारत में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में पीडियाट्रिक सर्जन प्रो. एसएन कुरील ही पैदाइशी विकृति की सर्जरी से दूर करने में माहिर एक मात्र स्पेशलिस्ट हैं. ओमान में डॉक्टर व बच्चे के चाचा डॉ. अकबर ने भी उन्हें प्रो. एसएन कुरील का नाम सुझाया था. यहां तक कि कई कॉरपोरेट अस्पतालों के विशेषज्ञों ने भी उन्हें केजीएमयू जाने की सलाह दी थी. इसके बाद बच्चे के पिता ने विदेश जाकर ऑपरेशन कराने की जगह केजीएमयू आने का मन बना लिया था. प्रो. कुरील ने उस बच्चे का ऑपरेशन कर उसे नया जीवन दिया.

यह भी पढ़ें: विवेकानंद हॉस्पिटल में बिना सर्जरी के होगा सिस्ट का इलाज, ब्लीडिंग और इंफेक्शन का नहीं रहेगा खतरा

यह भी पढ़ें: WATCH: लखनऊ में शुरू हुआ कवि महाकुंभ, एक मंच पर 350 कवियों-कवयित्रियों का जमावड़ा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.