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धान खरीदी के लिए विभागों ने शुरू की तैयारी, 90 लाख बारदानों की पड़ेगी जरूरत - Paddy Procurement Preparation

छत्तीसगढ़ में खरीफ वर्ष 2024-2025 के लिए धान खरीदी की तैयारियां विभागों ने शुरू कर दी है. कोरबा में अब तक 16 लाख बारदानों का संग्रहण किया जा चुका है. वहीं अनुमान है कि इस साल धान खरीदी के लिए 90 लाख बारदानों की जरूरत बढ़ सकती है. इतनी बड़ी संख्या में बारदानों को जुटाना स्थानीय प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

Paddy Procurement in Chhattisgarh
धान खरीदी की तैयारी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 20, 2024, 8:24 PM IST

कोरबा : जिले में खरीफ वर्ष 2024-25 में धान खरीदी के लिए बारदानों का संग्रहण शुरू कर दिया गया है. विभागों ने अब तक 16 लाख बारदानों का संग्रहण किया है. इनमें से चार लाख बारदाने पीडीएस दुकानों से संग्रहित किया गया है, जबकि 12 लाख नए बारदानों की आपूर्ति शासन से हुई है.

90 लाख बारदानों की पड़ सकती है जरूरत : बीते खरीफ वर्ष 2023-24 में 28 लाख क्विंटल धान की खरीदी के लिए 80 लाख बारदानों की जरूरत पड़ी थी. लेकिन इस साल धान की खेती के लिए 20 प्रतिशत रकबा बढ़ा है. पंजीकृत किसानों की संख्या भी 50 हजार से अधिक हो चुकी है. इन आंकड़ों के मुताबिक, इस बार खरीदी के लिए बारदानों की जरूरत बढ़ेगी, जो 90 लाख तक पहुंच सकती है. इस संख्या में बारदानों को जुटाना स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.

धान खरीदी की तैयारियों में जुटा जिला प्रशासन (ETV Bharat Chhattisgarh)

धान खरीदी के लिए बारदानों को संग्रहण किया जा रहा है. धान खरीदी की तैयारी काफी पहले ही शुरू करनी पड़ती है. यह एक वृहद काम है. बारदानों का रेशियो हर साल 50:50 नए और पुराने का रहता है. बेहतर संग्रहण होने से काफी हद तक परेशानियों का समाधान हो जाता है. ऐन वक्त पर परेशानी नहीं आती है. नए बारदाने अभी नहीं मिले हैं, लेकिन पीडीएस के बारदानों का संग्रहण हो रहा है, जिसकी एंट्री भी समितियों में चल रही है. : जमाल खान, पर्यवेक्षक, सहकारिता विभाग, कोरबा

इस साल बंपर धान खरीदी के आसार : विधानसभा चुनाव 2023 में जीत दर्ज कर बीजेपी ने धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. इसके चलते इस साल बंपर धान खरीदी के आसार हैं. प्रति क्विंटल 3100 रूपये समर्थन मूल्य की कीमत और 21 क्विटल प्रति एकड़ खरीदी की वजह धान की खेती में किसानों की रूचि बढ़ी है.

पिछले साल 45 हजार किसानों ने कराया था पंजीयन : कोरबा के सहकारिता विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या 56 हजार हो चुकी है. तीन साल के भीतर धान बेचने वाले किसानों की संख्या में 10 हजार से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2021-22 में 35 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था. वर्ष 2022-23 में ये संख्या 39 हजार हो गई. पिछले वर्ष 2023-24 में पंजीकृत किसानों की संख्या 45 हजार पहुंच गई, जो की इस वर्ष 53 हजार पार कर गई है.

PADDY PROCUREMENT IN KORBA
पंजीयन करने वाले किसानों के आंकड़े (ETV Bharat Chhattisgarh)

धान का रकबा और उपार्जन केन्द्र भी बढ़े : जिला कृषि विभाग ने इस वर्ष धान की खेती का रकबा 91,095 हेक्टेयर निर्धारित किया है. यह आंकड़ा बीते वर्ष की तुलना में लगभग 1000 हेक्टेयर अधिक है. बेहतर वर्षा की वजह इस वर्ष बंपर उत्पादन तय माना जा रहा. किसान अब पारंपरिक के बजाए तकनीक खेती भी करने लगे हैं.

बारदानों के संग्रहण में जुटा विभाग : जिले में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र दोनों मिलाकर 453 उचित मूल्य की दुकानें संचालित हैं. पांच साल पहले जिले में धान उपार्जन केंद्रो की संख्या 42 थी, जो कि बढ़कर अब 65 हो चुके हैं. वर्ष 2023-24 में 28 लाख क्विंटल धान खरीदी के लिए 40 लाख से भी अधिक नए बारदानों की आपूर्ति की गई थी. इस वर्ष बारदानों का संग्रहण हो रहा है. उचित मूल्य दुकानों के बाद मिलर्स से भी बारदाने लिए जाएंगे. विभागीय अधिकारी की माने अभी धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित नहीं हुआ है. लक्ष्य निर्धारण के अनुरूप शासन से नए बारदानों की मांग की जाएगी.

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कोरबा : जिले में खरीफ वर्ष 2024-25 में धान खरीदी के लिए बारदानों का संग्रहण शुरू कर दिया गया है. विभागों ने अब तक 16 लाख बारदानों का संग्रहण किया है. इनमें से चार लाख बारदाने पीडीएस दुकानों से संग्रहित किया गया है, जबकि 12 लाख नए बारदानों की आपूर्ति शासन से हुई है.

90 लाख बारदानों की पड़ सकती है जरूरत : बीते खरीफ वर्ष 2023-24 में 28 लाख क्विंटल धान की खरीदी के लिए 80 लाख बारदानों की जरूरत पड़ी थी. लेकिन इस साल धान की खेती के लिए 20 प्रतिशत रकबा बढ़ा है. पंजीकृत किसानों की संख्या भी 50 हजार से अधिक हो चुकी है. इन आंकड़ों के मुताबिक, इस बार खरीदी के लिए बारदानों की जरूरत बढ़ेगी, जो 90 लाख तक पहुंच सकती है. इस संख्या में बारदानों को जुटाना स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.

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धान खरीदी के लिए बारदानों को संग्रहण किया जा रहा है. धान खरीदी की तैयारी काफी पहले ही शुरू करनी पड़ती है. यह एक वृहद काम है. बारदानों का रेशियो हर साल 50:50 नए और पुराने का रहता है. बेहतर संग्रहण होने से काफी हद तक परेशानियों का समाधान हो जाता है. ऐन वक्त पर परेशानी नहीं आती है. नए बारदाने अभी नहीं मिले हैं, लेकिन पीडीएस के बारदानों का संग्रहण हो रहा है, जिसकी एंट्री भी समितियों में चल रही है. : जमाल खान, पर्यवेक्षक, सहकारिता विभाग, कोरबा

इस साल बंपर धान खरीदी के आसार : विधानसभा चुनाव 2023 में जीत दर्ज कर बीजेपी ने धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. इसके चलते इस साल बंपर धान खरीदी के आसार हैं. प्रति क्विंटल 3100 रूपये समर्थन मूल्य की कीमत और 21 क्विटल प्रति एकड़ खरीदी की वजह धान की खेती में किसानों की रूचि बढ़ी है.

पिछले साल 45 हजार किसानों ने कराया था पंजीयन : कोरबा के सहकारिता विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या 56 हजार हो चुकी है. तीन साल के भीतर धान बेचने वाले किसानों की संख्या में 10 हजार से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2021-22 में 35 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था. वर्ष 2022-23 में ये संख्या 39 हजार हो गई. पिछले वर्ष 2023-24 में पंजीकृत किसानों की संख्या 45 हजार पहुंच गई, जो की इस वर्ष 53 हजार पार कर गई है.

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धान का रकबा और उपार्जन केन्द्र भी बढ़े : जिला कृषि विभाग ने इस वर्ष धान की खेती का रकबा 91,095 हेक्टेयर निर्धारित किया है. यह आंकड़ा बीते वर्ष की तुलना में लगभग 1000 हेक्टेयर अधिक है. बेहतर वर्षा की वजह इस वर्ष बंपर उत्पादन तय माना जा रहा. किसान अब पारंपरिक के बजाए तकनीक खेती भी करने लगे हैं.

बारदानों के संग्रहण में जुटा विभाग : जिले में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र दोनों मिलाकर 453 उचित मूल्य की दुकानें संचालित हैं. पांच साल पहले जिले में धान उपार्जन केंद्रो की संख्या 42 थी, जो कि बढ़कर अब 65 हो चुके हैं. वर्ष 2023-24 में 28 लाख क्विंटल धान खरीदी के लिए 40 लाख से भी अधिक नए बारदानों की आपूर्ति की गई थी. इस वर्ष बारदानों का संग्रहण हो रहा है. उचित मूल्य दुकानों के बाद मिलर्स से भी बारदाने लिए जाएंगे. विभागीय अधिकारी की माने अभी धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित नहीं हुआ है. लक्ष्य निर्धारण के अनुरूप शासन से नए बारदानों की मांग की जाएगी.

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