गया : बिहार के गया के मोहनपुर प्रखंड अंतर्गत अमकोला गांव में अजब नजारा देखने को मिला. यहां ग्रामीण पुरुषों ने पहले हल चलाया. इसके बाद ग्रामीण महिलाओं ने धान की रोपनी शुरू कर दी. सड़क के बड़े-बड़े गड्ढो में धान की रोपनी महिलाएं कर रही थी. महिलाओं का कहना था कि यह सड़क नहीं है खेत है, इसलिए वे लोग इसमें धान की रोपनी कर रही है.
20 KM की यह सड़क NH 2 से जुड़ती है : मोहनपुर प्रखंड मुख्यालय से शुरू हुई यह सड़क अमकोला समेत दर्जन भर गांवों को जोड़ते हुए 20 किलोमीटर तक लंबी है. यह सड़क नेशनल हाईवे 2 को भी जोड़ती है, लेकिन पिछले एक दशक से भी अधिक समय से इस सड़क की ओर किसी ने पलट कर नहीं देखा. यह काफी जर्जर स्थिति में आ चुकी है.
'सड़क पर पैदल चलना भी दूभर' : आरडब्ल्यूडी की योजना से यह सड़क 2011-12 में बनी थी. 12 साल बीत चुके, लेकिन इस सड़क का निर्माण के बाद से इसकी मरम्मती एक बार भी नहीं हुई. नतीजतन अब इस सड़क पर पैदल चलना भी दूभर है. सैकड़ों गड्ढे इस सड़क की दुर्दशा को बताते हैं.
20 हजार से अधिक आबादी प्रभावित : सड़क की इस स्थिति से 20 हजार से अधिक की आबादी प्रभावित है. इस सड़क पर वाहनों का परिचालन बेहद कम होता है. मुख्य सड़क होने के बावजूद भी वाहन लेकर यहां कोई नहीं आता. यहां के लोगों का कहना है कि इस रोड में सिर्फ ट्रैक्टर या बैलगाड़ी ही चल सकते है. चार पहिया और दुपहिया वाहनों को चलाना काफी मुश्किल है, देखते देखते पलटी खा जाता है.
'एंबुलेंस का मुंह तक नहीं देखा' : पिछले एक दशक से ज्यादा समय से यह स्थिति बनी हुई है. यहां के लोगों की मानें, तो उनकी पीढ़ी ने एंबुलेंस नहीं देखी है. यहां एंबुलेंस आती ही नहीं. अधिकारियों की गाड़ी भी नहीं आती. प्रशासन के अफसर भी अपवाद स्वरूप ही पहुंचते हैं. यहां की स्थानीय विधायक को कई बार इस सड़क के बारे में कहा गया, लेकिन कुछ नहीं किया.
''केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सांसद के चुनाव में वोट मांगने आए थे, तब वादा किया था, कि जीतते ही इस सड़क को बनवा देंगे, लेकिन वह भी भूल गए. पिछले 12 सालों से ग्रामीण फजीहत झेल रहे हैं, लेकिन कोई टोह लेने वाला कोई नहीं है.''- गुड़िया देवी, ग्रामीण महिला
'हो जाती है मौत, खटिया बनता है सहारा' : ग्रामीण बताते हैं कि, सड़क की दुर्दशा होने से यहां लोगों की मौतें आए दिन हो जाती है. समय पर सही इलाज नहीं मिलता है. यहां लोग किसी मरीज को ले जाने के लिए खटिया का प्रयोग करते हैं. कुछ लोग ट्रैक्टर का प्रयोग करते हैं, क्योंकि इस रोड में ट्रैक्टर ही चल सकता है. ग्रामीणों का कहना है, कि हजारों की आबादी इससे प्रभावित है लेकिन किसी ने इस इस समस्या को दूर करना जरूरी नहीं समझा.
''20 किलोमीटर लंबी सड़क को देखकर समझ जा सकता है, कि हम लोग किस तरह की परेशानियों में जी रहे हैं. पता ही नहीं चलता है, कि सड़क में गड्ढा या गड्ढे में सड़क.''- रेखा देवी, ग्रामीण महिला
पुरुषों ने चलाया हल बैल, महिलाएं करने लगी धान की रोपनी : इसे लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. इसी आक्रोश को लेकर लोगों ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाया. ग्रामीण पुरुषों ने जहां हल बैल चलाए, इसके बाद ग्रामीण महिलाओं ने सड़क पर बने बड़े-बड़े गडढ़े में धान की रोपनी शुरू कर दी. महिला रेखा देवी, गुड़िया देवी का कहना है, कि यह सड़क नहीं खेत है. इसलिए इसमें वे लोग धान की रोपनी कर रहे हैं. ताकि कोई देखने आए और जल्द से जल्द सड़क का निर्माण हो.
'केंद्रीय मंत्री से लेकर स्थानीय विधायक ने कुछ नहीं किया' : इस संबंध में मुखिया गिरिजा देवी के प्रतिनिधि संजय कुमार ने बताया कि केंद्रीय मंत्री से लेकर स्थानीय विधायक किसी ने कुछ नहीं किया. दर्जन बार इस सड़क की मरम्मती को लेकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं करता. सरकार जहां ध्यान नहीं देती है, तो प्रतिनिधि भी गंभीर नहीं है. यही वजह है, कि हमारे हिस्से में ऐसी सड़क हैं, जहां 10 किलोमीटर की यात्रा करने में डेढ़ घंटे लग जाते हैं.
''हमारे यहां शादियों में भी दिक्कत होती है. किसी सज्जन कुटुम्ब को ढूंढना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि वे सीधे कह देते हैं कि आपके यहां सड़क सही नहीं है. हमारे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है. शिक्षा, विकास सब प्रभावित हो रहे हैं. इसी को लेकर हम लोगों ने आज यह तरीका अपनाया और सड़क पर बने गड्ढे में हल बैल चलवा कर विरोध जताया.''- संजय कुमार, मुखिया के प्रतिनिधि, अमकोला पंचायत
ये भी पढ़ें :-
Nawada News : बोर्ड पर लिख दिया मई 2022 में ही सड़क बन गयी.. मजबूरन लोग अब उसपर धान रोपनी कर रहे हैं
सड़क की बदहाली पर गया में महिलाओं का अनोखा विरोध, सड़क पर ही शुरू की धान रोपनी