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अरसे बाद खिले अन्नदाताओं के चेहरे, झारखंड में बंपर फसल की बढ़ी उम्मीदें! - Paddy cultivation in Jharkhand - PADDY CULTIVATION IN JHARKHAND

Paddy Cultivation. झारखंड राज्य में सामान्य बारिश की वजह से किसानों के चेहरे लहलहाते दिख रहे हैं. कृषि निदेशक का भी कहना है कि पिछले दो सालों से सुखाड़ की स्थिति झेल रहा राज्य में इस बार की खेती करने में लक्ष्य के करीब पहुंचेंगे. इस वर्ष तिलहनी-दलहनी फसलों को छोड़कर बाकी अन्य फसलों का आच्छादन लक्ष्य का 80% से ऊपर हुआ है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 3, 2024, 6:57 PM IST

रांची: पिछले दो वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे झारखंड के अन्नदाताओं के ऊपर इंद्र देवता की कृपा बनीं है. इस वर्ष सही समय पर हुई जोरदार बारिश का असर राज्य के खेतों में देखने को मिल रहा है. आंकड़ों की बात करें तो सुखाड़ जैसे हालात में वर्ष 2022 में जहां सिर्फ 14 लाख 31 हजार 609 हेक्टेयर में (47.5%) में ही खरीफ की फसल लग सकी थी, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 17 लाख हेक्टेयर (60.71%) के करीब था.

इस वर्ष राज्य में लगभग सामान्य बारिश की वजह से कुछ जिलों को छोड़कर बाकी जगहों पर खेतीबाड़ी की स्थिति अच्छी दिख रही है और 2 सितंबर तक लक्ष्य का 81% खेतों में खरीफ फसल लगायी जा चुकी है. कृषि विभाग से मिले ताजा आंकड़े के अनुसार राज्य में इस बार 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ की फसल लगाने (आच्छादन) का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें 2 सितंबर 2024 तक 22 लाख 90 हजार 483 हेक्टेयर में आच्छादन हो चुका है.

झारखंड की कुछ मुख्य खरीफ फसलों के आच्छादन की स्थिति पर

  1. धान (paddy): धान झारखंड की मुख्य खरीफ फसल है. राज्य में लक्षित 28.27 लाख हेक्टेयर में से अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगायी जाती है. इस वर्ष 2 सितंबर तक राज्य में 15 लाख 78 हजार 870 हेक्टेयर में धान की रोपनी हो चुकी है, जो लक्ष्य का 87.72% है.
  2. मक्का (maize): झारखंड में मक्का की फसल भी प्रमुखता से लगाई जाती है. 02 सितंबर तक लक्षित 03 लाख 12 हजार 560 हेक्टेयर की तुलना में 02 लाख 69 हजार 767(86.31%) में मकई का आच्छादन हो चुका है.
  3. दलहन (Pulses): राज्य में खरीफ की दलहनी फसलों के 06 लाख 12 हजार 900 हेक्टेयर में आच्छादन का लक्ष्य था जिसकी तुलना में 03 लाख 75 हजार 184 हेक्टेयर(61.21%) में दलहनी फसलों का आच्छादन हो चुका है.
  4. तिलहन ( Oil Seed): राज्य में इस वर्ष 60 हजार हेक्टेयर में तिलहन की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसकी तुलना में लक्ष्य का 52.39% भूभाग यानी 31 हजार 431 हेक्टेयर में तिलहनी फसलों का आच्छादन हुआ है.
  5. मोटे अनाज (Coarse Cereal): राज्य में इस वर्ष 42 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज लगाने का लक्ष्य रखा गया था. 02 सितंबर तक की रिपोर्ट के अनुसार करीब 35 हजार 231 हेक्टेयर में मोटे अनाज की फसल लगाया गया है जो लक्ष्य का 84% के करीब है. इस तरह से देखें तो इस वर्ष तिलहनी-दलहनी फसलों को छोड़कर बाकी अन्य फसलों का आच्छादन लक्ष्य का 80% से ऊपर हुआ है.

इस बार लक्ष्य के करीब होंगे: कृषि निदेशक

राज्य के उप कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने दो वर्ष के अंतराल पर इस वर्ष खेती की अच्छी स्थिति पर खुशी जाहिर की है. उनहोंने कहा कि अभी भी कुछ जगहों से धान रोपनी और अन्य फसलों को लगाने की रिपोर्ट मिल रही है. उम्मीद है कि इस वर्ष झारखंड राज्य खेती करने में अपने लक्ष्य के करीब होगा.

राज्य में इस वर्ष सामान्य के करीब हुई मानसूनी वर्षा

झारखंड में 2 सितंबर तक सामान्यतः 815.6mm वर्षा की तुलना में 721.7mm वर्षा हुई है, जो सामान्य से सिर्फ 12% कम है और यह सामान्य वर्षापात के रेंज में आता है. इस साल धनबाद में जहां सामान्य से 20% अधिक वर्षा हुई है, वहीं, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, हजारीबाग, चतरा, लोहरदगा, गुमला और पश्चिम सिंहभूम में सामान्य से कम वर्षा हुई है. जबकि अन्य जिलों में सामान्य वर्षापात की वजह से इस वर्ष खेतों में हरियाली साफ नजर आ रही है.

ये भी पढ़ें: मजदूरी करने झारखंड पहुंचा शख्स आज छाप रहा लाखों रुपए, दूसरे राज्यों में भी बनी पहचान

ये भी पढ़ें: हजारीबाग में मल्टी टॉपिक एग्रीकल्चर फार्मिंग मॉडल किसानों के साबित होगा वरदान, मत्स्य पालन के साथ तालाब में होगी तीन उत्पादों की खेती

रांची: पिछले दो वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे झारखंड के अन्नदाताओं के ऊपर इंद्र देवता की कृपा बनीं है. इस वर्ष सही समय पर हुई जोरदार बारिश का असर राज्य के खेतों में देखने को मिल रहा है. आंकड़ों की बात करें तो सुखाड़ जैसे हालात में वर्ष 2022 में जहां सिर्फ 14 लाख 31 हजार 609 हेक्टेयर में (47.5%) में ही खरीफ की फसल लग सकी थी, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 17 लाख हेक्टेयर (60.71%) के करीब था.

इस वर्ष राज्य में लगभग सामान्य बारिश की वजह से कुछ जिलों को छोड़कर बाकी जगहों पर खेतीबाड़ी की स्थिति अच्छी दिख रही है और 2 सितंबर तक लक्ष्य का 81% खेतों में खरीफ फसल लगायी जा चुकी है. कृषि विभाग से मिले ताजा आंकड़े के अनुसार राज्य में इस बार 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ की फसल लगाने (आच्छादन) का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें 2 सितंबर 2024 तक 22 लाख 90 हजार 483 हेक्टेयर में आच्छादन हो चुका है.

झारखंड की कुछ मुख्य खरीफ फसलों के आच्छादन की स्थिति पर

  1. धान (paddy): धान झारखंड की मुख्य खरीफ फसल है. राज्य में लक्षित 28.27 लाख हेक्टेयर में से अकेले 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगायी जाती है. इस वर्ष 2 सितंबर तक राज्य में 15 लाख 78 हजार 870 हेक्टेयर में धान की रोपनी हो चुकी है, जो लक्ष्य का 87.72% है.
  2. मक्का (maize): झारखंड में मक्का की फसल भी प्रमुखता से लगाई जाती है. 02 सितंबर तक लक्षित 03 लाख 12 हजार 560 हेक्टेयर की तुलना में 02 लाख 69 हजार 767(86.31%) में मकई का आच्छादन हो चुका है.
  3. दलहन (Pulses): राज्य में खरीफ की दलहनी फसलों के 06 लाख 12 हजार 900 हेक्टेयर में आच्छादन का लक्ष्य था जिसकी तुलना में 03 लाख 75 हजार 184 हेक्टेयर(61.21%) में दलहनी फसलों का आच्छादन हो चुका है.
  4. तिलहन ( Oil Seed): राज्य में इस वर्ष 60 हजार हेक्टेयर में तिलहन की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसकी तुलना में लक्ष्य का 52.39% भूभाग यानी 31 हजार 431 हेक्टेयर में तिलहनी फसलों का आच्छादन हुआ है.
  5. मोटे अनाज (Coarse Cereal): राज्य में इस वर्ष 42 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज लगाने का लक्ष्य रखा गया था. 02 सितंबर तक की रिपोर्ट के अनुसार करीब 35 हजार 231 हेक्टेयर में मोटे अनाज की फसल लगाया गया है जो लक्ष्य का 84% के करीब है. इस तरह से देखें तो इस वर्ष तिलहनी-दलहनी फसलों को छोड़कर बाकी अन्य फसलों का आच्छादन लक्ष्य का 80% से ऊपर हुआ है.

इस बार लक्ष्य के करीब होंगे: कृषि निदेशक

राज्य के उप कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने दो वर्ष के अंतराल पर इस वर्ष खेती की अच्छी स्थिति पर खुशी जाहिर की है. उनहोंने कहा कि अभी भी कुछ जगहों से धान रोपनी और अन्य फसलों को लगाने की रिपोर्ट मिल रही है. उम्मीद है कि इस वर्ष झारखंड राज्य खेती करने में अपने लक्ष्य के करीब होगा.

राज्य में इस वर्ष सामान्य के करीब हुई मानसूनी वर्षा

झारखंड में 2 सितंबर तक सामान्यतः 815.6mm वर्षा की तुलना में 721.7mm वर्षा हुई है, जो सामान्य से सिर्फ 12% कम है और यह सामान्य वर्षापात के रेंज में आता है. इस साल धनबाद में जहां सामान्य से 20% अधिक वर्षा हुई है, वहीं, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, हजारीबाग, चतरा, लोहरदगा, गुमला और पश्चिम सिंहभूम में सामान्य से कम वर्षा हुई है. जबकि अन्य जिलों में सामान्य वर्षापात की वजह से इस वर्ष खेतों में हरियाली साफ नजर आ रही है.

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