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सड़क हादसों का बढ़ा ग्राफ, पौड़ी में 6 सालों में 3 बड़े सड़क हादसे में गई कई लोगों की जान, GMOU और वाहन चालकों ने बताई ये वजह

उत्तराखंड में सड़क हादसों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. आए दिन हादसों में लोग जान गंवा रहे हैं.

Uttarakhand road accidents
उत्तराखंड में बढ़ रहे सड़क हादसे (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

पौड़ी: जनपद पौड़ी में बीते 6 सालों में 3 बड़े सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें धुमाकोट में साल 2018 में 38 लोगों की मौत हुई थी. साल 2022 सिमडी में हुए सड़क हादसे में 33 लोगों की जान गई. वहीं साल 2024 में अल्मोड़ा मरचूला के पास हुए सड़क हादसे ने 36 लोगों की मौत हो गई थी और 27 लोग घायल हो गए थे. इन सभी सड़क दुर्घटनाओं में क्षमता से अधिक सवारियां बैठी हुई थी. वहीं जीएमओयू स्टेशन अधीक्षक और वाहन चालकों ने बढ़ते सड़क हादसों की वजह भी बताई है.

ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार हादसे की वजह: वहीं पहाड़ों में हो रहे सड़क हादसों को लेकर जीएमओयू स्टेशन अधीक्षक अरुण रावत ने बताया कि सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार है. उन्होंने बताया कि शादी विवाह जैसे समारोह या त्योहार के बाद लिंक मार्गों या ग्रामीण मार्गों में सवारियों की संख्या में इजाफा होता है. हालांकि सामान्य दिनों में इन रूटों पर सवारियां कम ही होती हैं. ऐसे में विशेष दिन होने के कारण सवारियों द्वारा आग्रह करके बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठ जाती हैं. जिससे सड़क दुर्घटना हो रही हैं.

उत्तराखंड में सड़क हादसों में जान गंवा रहे लोग (Photo-ETV Bharat Video-ETV Bharat)

प्राइवेट वाहनों पर लगाम लगाने की मांग: बताया कि पहले उनके डिपो से 70 बसों का संचालन होता था, लेकिन अब 45 बसों का ही संचालन हो रहा है. कहा कि इसका मुख्य कारण प्राइवेट वाहन हैं. ग्रामीण और लिंक मार्गों में प्राइवेट वाहनों दोपहिया वाहनों की संख्या में इजाफा होने के चलते उन्हें सवारियां नहीं मिल पाती हैं. जिससे उनके डीजल का खर्चा भी सही से नहीं निकल पा रहा है. लेकिन त्योहार त्योहारों और शादी विवाह के समय सवारियां अधिक होती है ओवरलोडिंग के चलते यह दुर्घटना हो रही हैं. कहा कि जिन इलाकों में बस संचालन की अधिक मांग हैं वहां पर सरकारी तंत्र अपने वाहन चलाए, जिससे ओवरलोडिंग की समस्या नहीं होगी. इसके साथ ही जहां प्राइवेट वाहन चल रहे हैं, नियमित चेकिंग कर इन पर लगाम लगाई जाए.

वाहन चालक ने हादसों की बताई ये वजह: वहीं वाहन चालक युद्धवीर सिंह रावत ने बताया कि तकनीकी रूप से वाहन के जो मुख्य पट्टे होते हैं उनके टूटने से वाहन जिस दिशा में घूमा है उसी दिशा में चला जाता है.उसमें ब्रेक भी नहीं लगते हैं, जिससे वाहन को नियंत्रित करना असंभव हो जाता है पहाड़ी इलाके होने के चलते वाहन सड़क से नीचे जा गिरते हैं और बड़ी दुर्घटना हो जाती हैं. मैदानी इलाकों में इस तरह की घटनाओं में वाहनों की आपसी भिड़ंत या वाहन पलट जाते हैं.

समय-समय पर कार्रवाई की मांग: उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए परिवहन विभाग को समय-समय पर ऐसे मोटर मार्गों पर भी चेकिंग करनी चाहिए, जहां पर प्राइवेट वाहनों द्वारा सवारियों को लाया और ले जाया जाता है. जिससे कमर्शियल वाहनों को आर्थिक रूप से नुकसान होता है और त्योहार जैसे सीजन में उन पर क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाने से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं.

एआरटीओ प्रवर्तन ने क्या कहा: वहीं आरटीओ पौड़ी द्वारिका प्रसाद ने बताया कि बीते दो महीनों में 60 वाहन जिनकी फिटनेस का दस्तावेज पूरे नहीं थे, उनके चालान किए गए हैं. वह लगातार जागरूकता अभियान के माध्यम से वाहन चालकों को जागरूक करते हैं. यातायात नियमों का पालन करने की अपील कर रहे हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके.
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पौड़ी: जनपद पौड़ी में बीते 6 सालों में 3 बड़े सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें धुमाकोट में साल 2018 में 38 लोगों की मौत हुई थी. साल 2022 सिमडी में हुए सड़क हादसे में 33 लोगों की जान गई. वहीं साल 2024 में अल्मोड़ा मरचूला के पास हुए सड़क हादसे ने 36 लोगों की मौत हो गई थी और 27 लोग घायल हो गए थे. इन सभी सड़क दुर्घटनाओं में क्षमता से अधिक सवारियां बैठी हुई थी. वहीं जीएमओयू स्टेशन अधीक्षक और वाहन चालकों ने बढ़ते सड़क हादसों की वजह भी बताई है.

ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार हादसे की वजह: वहीं पहाड़ों में हो रहे सड़क हादसों को लेकर जीएमओयू स्टेशन अधीक्षक अरुण रावत ने बताया कि सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार है. उन्होंने बताया कि शादी विवाह जैसे समारोह या त्योहार के बाद लिंक मार्गों या ग्रामीण मार्गों में सवारियों की संख्या में इजाफा होता है. हालांकि सामान्य दिनों में इन रूटों पर सवारियां कम ही होती हैं. ऐसे में विशेष दिन होने के कारण सवारियों द्वारा आग्रह करके बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठ जाती हैं. जिससे सड़क दुर्घटना हो रही हैं.

उत्तराखंड में सड़क हादसों में जान गंवा रहे लोग (Photo-ETV Bharat Video-ETV Bharat)

प्राइवेट वाहनों पर लगाम लगाने की मांग: बताया कि पहले उनके डिपो से 70 बसों का संचालन होता था, लेकिन अब 45 बसों का ही संचालन हो रहा है. कहा कि इसका मुख्य कारण प्राइवेट वाहन हैं. ग्रामीण और लिंक मार्गों में प्राइवेट वाहनों दोपहिया वाहनों की संख्या में इजाफा होने के चलते उन्हें सवारियां नहीं मिल पाती हैं. जिससे उनके डीजल का खर्चा भी सही से नहीं निकल पा रहा है. लेकिन त्योहार त्योहारों और शादी विवाह के समय सवारियां अधिक होती है ओवरलोडिंग के चलते यह दुर्घटना हो रही हैं. कहा कि जिन इलाकों में बस संचालन की अधिक मांग हैं वहां पर सरकारी तंत्र अपने वाहन चलाए, जिससे ओवरलोडिंग की समस्या नहीं होगी. इसके साथ ही जहां प्राइवेट वाहन चल रहे हैं, नियमित चेकिंग कर इन पर लगाम लगाई जाए.

वाहन चालक ने हादसों की बताई ये वजह: वहीं वाहन चालक युद्धवीर सिंह रावत ने बताया कि तकनीकी रूप से वाहन के जो मुख्य पट्टे होते हैं उनके टूटने से वाहन जिस दिशा में घूमा है उसी दिशा में चला जाता है.उसमें ब्रेक भी नहीं लगते हैं, जिससे वाहन को नियंत्रित करना असंभव हो जाता है पहाड़ी इलाके होने के चलते वाहन सड़क से नीचे जा गिरते हैं और बड़ी दुर्घटना हो जाती हैं. मैदानी इलाकों में इस तरह की घटनाओं में वाहनों की आपसी भिड़ंत या वाहन पलट जाते हैं.

समय-समय पर कार्रवाई की मांग: उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए परिवहन विभाग को समय-समय पर ऐसे मोटर मार्गों पर भी चेकिंग करनी चाहिए, जहां पर प्राइवेट वाहनों द्वारा सवारियों को लाया और ले जाया जाता है. जिससे कमर्शियल वाहनों को आर्थिक रूप से नुकसान होता है और त्योहार जैसे सीजन में उन पर क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाने से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं.

एआरटीओ प्रवर्तन ने क्या कहा: वहीं आरटीओ पौड़ी द्वारिका प्रसाद ने बताया कि बीते दो महीनों में 60 वाहन जिनकी फिटनेस का दस्तावेज पूरे नहीं थे, उनके चालान किए गए हैं. वह लगातार जागरूकता अभियान के माध्यम से वाहन चालकों को जागरूक करते हैं. यातायात नियमों का पालन करने की अपील कर रहे हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके.
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