ETV Bharat / state

खून से जुड़ी जानलेवा बीमारी बन सकती है सिकल सेल, जानिए डिजीज के कारण और लक्षण - sickle cell awareness camps

सिकल सेल एक गंभीर बीमारी है. समय पर अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है. सिकल सेल के खतरे से लोगों को जागरुक करने के लिए 19 जनवरी को जागरुकता शिविर का आयोजन किया जा रहा है. आदिवासी इलाकों सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों में लगने वाले इस शिविर में मरीजों की पहचान की जाएगी.

SICKLE CELL AWARENESS CAMPS
जानिए डिजीज के कारण और लक्षण (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 16, 2024, 5:37 PM IST

रायपुर: 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जाता है. सिकल सेल से जुड़े मरीजों की पहचान शिविर में होने वाले टेस्ट के जरिए की जाती है. लोगों को शिविर के माध्यम से बीमारी से बचने और बीमारी से लड़ने के तरीके बताए जाते हैं. इस बार भी 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जाएगा. छत्तीसगढ़ में इस दिन सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ग्राम पंचायतों में सिकल सेल स्क्रीनिंग और जागरुकता शिविर का आयोजन किया जाएगा. आयोजन के दौरान एक्सपर्ट की टीम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस रोग से पीड़ित मरीजों से संवाद भी करेगी.

सिकल सेल पर जानकारी ही बचाव है: 19 जून को लगने वाले शिविर को लेकर सरकार ने अफसरों को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. खास तौर से आदिवासी क्षेत्रों जैसे बस्तर, बलरापुर, रामानुजगंज और रापयुर में एक्सपर्टी की टीम लोगों से वर्चुअली जुड़ेगी और उनकी बातें सुनेगी. सभी जिला कलेक्टरों और सहायक आयुक्तों को पत्र भेजकर ये बता दिया गया है कि बताए गए दिन शिविर में मौजूद रहें.

क्या है सिकलसेल रोग: सिकलसेल एक जैनेटिक रोग है. इसमें गोलाकार लाल रक्त कण जिसे हम हीमोग्लोबिन कहते हैं, हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं. जिसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. रक्त कण शरीर की छोटी रक्त नलियों में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देता है. समय पर इस बीमारी का इलाज किया जाए तो ये क्योर हो सकता है. इसकी अनदेखी मरीजों पर भारी पड़ सकती है.

कैसे होती है ये बीमारी: कई बार ये बीमारी हमें अपने पूर्वजों के जीन से मिलती है. अगर परिवार में माता पिता को ये बीमारी है तो बच्चे में ये बीमारी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. सिकल सेल के लक्षण जैसे ही किसी में नजर आए उसे नजर अंदाज नहीं करें. जितनी जल्दी हो एक्सपर्ट डॉक्टर से मिले. समय पर बीमारी का इलाज कराएं. समय पर उपाय करने से बीमारी को बहुत हद तक रोका जा सकता है.

सिकल सेल के लक्षण

  • बच्चों के ग्रोथ में देर होना
  • लगातार इंफेक्शन का बने रहना
  • आंखों से जुड़ी बीमारियों का रहना
  • हाथ पैरों में दर्द और सूजन आना
  • हड्डियों में दर्द का अनुभव होना
MP News: पीएम मोदी ने इस खतरनाक बीमारी पर जताई चिंता, जानें मरीजों की जिंदगी को कैसे नासूर बना देता है सिकलसेल
छत्तीसगढ़ में पहली बार शुरू हुआ पीएचसी में सिकलसेल का इलाज
विश्व सिकलसेल दिवस: जन्म कुंडली मिलाने के साथ 'सिकल कुंडली' मिलाना भी जरूरी

रायपुर: 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जाता है. सिकल सेल से जुड़े मरीजों की पहचान शिविर में होने वाले टेस्ट के जरिए की जाती है. लोगों को शिविर के माध्यम से बीमारी से बचने और बीमारी से लड़ने के तरीके बताए जाते हैं. इस बार भी 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जाएगा. छत्तीसगढ़ में इस दिन सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ग्राम पंचायतों में सिकल सेल स्क्रीनिंग और जागरुकता शिविर का आयोजन किया जाएगा. आयोजन के दौरान एक्सपर्ट की टीम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस रोग से पीड़ित मरीजों से संवाद भी करेगी.

सिकल सेल पर जानकारी ही बचाव है: 19 जून को लगने वाले शिविर को लेकर सरकार ने अफसरों को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. खास तौर से आदिवासी क्षेत्रों जैसे बस्तर, बलरापुर, रामानुजगंज और रापयुर में एक्सपर्टी की टीम लोगों से वर्चुअली जुड़ेगी और उनकी बातें सुनेगी. सभी जिला कलेक्टरों और सहायक आयुक्तों को पत्र भेजकर ये बता दिया गया है कि बताए गए दिन शिविर में मौजूद रहें.

क्या है सिकलसेल रोग: सिकलसेल एक जैनेटिक रोग है. इसमें गोलाकार लाल रक्त कण जिसे हम हीमोग्लोबिन कहते हैं, हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं. जिसके कारण शरीर की सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. रक्त कण शरीर की छोटी रक्त नलियों में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देता है. समय पर इस बीमारी का इलाज किया जाए तो ये क्योर हो सकता है. इसकी अनदेखी मरीजों पर भारी पड़ सकती है.

कैसे होती है ये बीमारी: कई बार ये बीमारी हमें अपने पूर्वजों के जीन से मिलती है. अगर परिवार में माता पिता को ये बीमारी है तो बच्चे में ये बीमारी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. सिकल सेल के लक्षण जैसे ही किसी में नजर आए उसे नजर अंदाज नहीं करें. जितनी जल्दी हो एक्सपर्ट डॉक्टर से मिले. समय पर बीमारी का इलाज कराएं. समय पर उपाय करने से बीमारी को बहुत हद तक रोका जा सकता है.

सिकल सेल के लक्षण

  • बच्चों के ग्रोथ में देर होना
  • लगातार इंफेक्शन का बने रहना
  • आंखों से जुड़ी बीमारियों का रहना
  • हाथ पैरों में दर्द और सूजन आना
  • हड्डियों में दर्द का अनुभव होना
MP News: पीएम मोदी ने इस खतरनाक बीमारी पर जताई चिंता, जानें मरीजों की जिंदगी को कैसे नासूर बना देता है सिकलसेल
छत्तीसगढ़ में पहली बार शुरू हुआ पीएचसी में सिकलसेल का इलाज
विश्व सिकलसेल दिवस: जन्म कुंडली मिलाने के साथ 'सिकल कुंडली' मिलाना भी जरूरी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.