करनाल: आज के समय में बड़े-बड़े शहरों में हर कोई अच्छी नौकरी चाहता है. अच्छे इनकम सोर्स के लिए युवा शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं. लेकिन आज के समय में दिल्ली एनसीआर जैसी सिटी में रहना मुश्किल होने लगा है. इसका मुख्य कारण है बढ़ता हुआ पॉल्यूशन और जहरीला खान-पान. जिसके कारण लोग शहर में जाते ही अपने स्वास्थ्य में काफी बदलाव महसूस करते हैं. ऐसे ही करनाल के एक युवा पुनीत कुमार है. जो नोएडा में एक बड़ी कंपनी में जॉब करते हैं. लेकिन उनके भी स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ने लगा था. जिसके बाद उन्होंने गांव की ओर रुख किया और जैविक खेती की शुरुआत की.
सेहत भी फायदा भी: करनाल के घरौंडा निवासी पुनीत कुमार ने पुश्तैनी जमीन पर जैविक का ऐसा फार्म विकसित किया. जिस पर अनाज व सब्जियों की खेती करने लगे. पुनीत ने इस खेती को केवल अपने तक सीमित नहीं रखा. बल्कि अन्य जरुरतमंदों को भी जैविक उत्पाद मुहैया कराते हैं. इसको एक खूबसूरत लाभकारी व्यवसाय बना दिया है. जिससे वह अपनी कमाई के साथ अपने इलाके के दूसरे किसानों को भी लाभ पहुंचा रहे हैं. साथ ही अब पुनीत बिना खाद और दवाई की सब्जियां शहरों में बेचकर भी काफी मुनाफा कमा रहे हैं.
फार्म में उगाया जाता है अनाज: जैविक खेती को लेकर ऐसी जागरूकता कि अब इस तरह की खेती और मार्केटिंग से बहुत पढ़े-लिखे लोग भी जुड़ रहे हैं. वो इसके महत्व को समझने लगे हैं. पुनीत कुमार अपने फार्म पर अनाज, दाल,तिलहन, फल, सब्जियां जैसी फसल पूरी तरह से जैविक खाद से उपजाते हैं. उन्होंने अपने फार्म पर लगभग तीस प्रकार के फलों की बागवानी की हुई है. जिससे साल भर उनके खेतों से फल मिलता रहे. उन्होंने अपने फार्म पर देसी गायों की डेयरी भी स्थापित की है.
शिक्षित युवा भी कर रहे जैविक खेती: यह हाईप्रोफाइल युवा प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए दूसरे किसानों को प्रेरित करते हैं. जैविक उपज की गुणवत्ता बेहतर होती है, इसलिए खुदरा बाजार में उपभोक्ता उसकी अच्छी कीमत देते हैं और ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार हैं. लेकिन इस बढ़ी हुई कीमत का लाभ जैविक खेती करने वाले किसानों तक नहीं पहुंच पाता. इसलिए लागत के अनुरूप लाभ कमाने के लिए उपज की ऊंची कीमत किसानों को मिलनी चाहिए. इसके लिए किसानों का ग्रुप बनाकर ऑनलाइन मार्केटिंग करते हैं और अपने उत्पाद को बेचने के लिए किसानों के साथ मिलकर जैविक बाजार भी लगाते हैं. पुनीत चाहते हैं कि जैविक फार्मर खुद ही अपने उत्पाद की प्रोसेसिंग करें या नहीं तो उनका सीधा संपर्क प्रोसेसिंग यूनिट वालों से हो.
स्वस्थ खाएं स्वस्थ रहें: पुनीत बताते हैं कि रासायनिक फर्टिलाइजर से उपजाए गए खाद्यान्न के प्रति लोग बेहद सतर्क हुए हैं. बढ़ती बीमारियों के कारण लोग अब प्राकृतिक या जैविक तौर पर उपजाई गई फ़सलों का रुख कर रहे हैं, जो आज के समय के लिए बहुत जरूरी है. उनके अनुसार अगर कोई बड़े स्तर पर जैविक खेती करने में असमर्थ हैं तो वह अपने हेल्थ के लिए छोटे स्तर पर ही अपने लिए जैविक खेती करें. हर लोग अपने परिवार की सेहत को ध्यान में रखते हुए खेतों में बढ़िया लगाइए और बढ़िया खाइए.
बीमारियों से बचाती है घर की खेती: दरअसल, इस तरह की जैविक खेती से आप अपने और अपने परिवार समाज को रोग बीमारियों से बचा सकते हैं. घर में हरियाली ला सकते हैं. कचरा घर में ही निपटा कर पर्यावरण को मदद पहुंचा सकते हैं. साथ ही अगर ऐसे जैविक खेती को व्यावसायिक रूप देना चाहते हैं, तो इससे अच्छी कमाई भी कर सकते हैं. जैविक खेती, इससे जुड़े किसान और जैविक अनाजों पर आधारित प्रोडक्ट के प्रति शहर से लेकर गांव के लोगों की चाहत ये बता रही है कि आने वाला ज़माना जैविक का ही है.
ये भी पढ़ें: नौकरी छोड़कर हरियाणा के किसान ने अपनाई ऑर्गेनिक खेती, पारंपरिक खेती के मुकाबले दो गुना ज्यादा कमाई
ये भी पढ़ें: कैसे बढ़ेगा हरियाणा में जैविक खेती का दायरा ? किसानों ने सरकार को दिए ये सुझाव