देहरादून: उत्तराखंड में विवादों का काला साया वन महकमे से दूर नहीं हो पा रहा है. ताजा मामला वन मंत्री सुबोध उनियाल की विधानसभा सीट से आया है. यहां एक योजना में गड़बड़ी की शिकायत सामने आने के बाद विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने जांच के आदेश दे दिए हैं. हैरानी की बात यह है कि योजना में अनियमितता की सीधी शिकायत मंत्री सुबोध उनियाल को दी गयी. जिस पर नाराजगी जताते हुए मंत्री ने CF गढ़वाल (Conservator of Forests) को प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं.
नरेंद्रनगर वन प्रभाग में नीरगढ़ वाटरफॉल योजना अनियमितता की भेंट चढ़ती नज़र आ रही है. खास बात यह है कि योजना को लेकर विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से सीधी शिकायत की गई है. इस पर वन मंत्री ने गहरी नाराजगी जताते हुए फौरन जांच के आदेश दिए हैं. दरअसल यह पूरा मामला वन मंत्री सुबोध उनियाल के विधानसभा क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ है. अपनी ही विधानसभा सीट में योजना को लेकर गड़बड़ी की शिकायत पर वन मंत्री सुबोध उनियाल सख्त नजर आए. उन्होंने फौरन प्रकरण में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. मामले की जांच कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट गढ़वाल आकाश वर्मा को सौंपी गई है.
नीरगढ़ वाटरफॉल योजना के निर्माण में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है. बताया गया है कि वनों की सुरक्षा और प्रबंधन योजना के अंतर्गत पिछले साल राज्य वित्त सेक्टर के जरिए नरेंद्र नगर वन प्रभाग में वाटरफॉल के निर्माण का काम करवाया गया. इसके लिए एक करोड़ रुपए की धनराशि भी स्वीकृत कर ली गई. आरोप है कि योजना के तहत न केवल अपूर्ण कार्य हुआ, बल्कि गुणवत्ता से भी खिलवाड़ किया गया. शिकायत के ऐसे ही कुछ बिंदुओं के प्रकाश में आने के बाद सुबोध उनियाल ने इन्हें गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए. आरोप यह भी है कि काम पूरा न होने के बावजूद कार्यदाई संस्था को अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया.
नीरगढ़ वाटरफॉल के निर्माण में गंभीर शिकायतें मिलने के बाद तत्काल इस पर एक्शन लेते हुए वन मंत्री ने जांच अधिकारी को दिशा निर्देश जारी किए. इस दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि संबंधित जांच निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाए, ताकि प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.
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