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वन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ही नीरगढ़ वाटरफॉल योजना पर उठे सवाल, सुबोध उनियाल ने बिठाई जांच - Neer garh Waterfall Scheme Scam

Orders for investigation of corruption in Neer garh Waterfall Scheme उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल के विधानसभा क्षेत्र में वाटरफॉल योजना में धांधली के आरोप लगे हैं. किसी शख्स ने इसकी शिकायत सीधे वन मंत्री सुबोध उनियाल को कर दी है. नरेंद्रनगर वन प्रभाग में नीरगढ़ वाटरफॉल योजना को लेकर मिली शिकायत के बाद सुबोध उनियाल ने मामले की जांच कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट गढ़वाल आकाश वर्मा को सौंपकर जल्दी रिपोर्ट मांगी है.

Neer garh Waterfall Scheme
नीरगढ़ वाटरफॉल जांच (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 17, 2024, 10:07 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में विवादों का काला साया वन महकमे से दूर नहीं हो पा रहा है. ताजा मामला वन मंत्री सुबोध उनियाल की विधानसभा सीट से आया है. यहां एक योजना में गड़बड़ी की शिकायत सामने आने के बाद विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने जांच के आदेश दे दिए हैं. हैरानी की बात यह है कि योजना में अनियमितता की सीधी शिकायत मंत्री सुबोध उनियाल को दी गयी. जिस पर नाराजगी जताते हुए मंत्री ने CF गढ़वाल (Conservator of Forests) को प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं.

नरेंद्रनगर वन प्रभाग में नीरगढ़ वाटरफॉल योजना अनियमितता की भेंट चढ़ती नज़र आ रही है. खास बात यह है कि योजना को लेकर विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से सीधी शिकायत की गई है. इस पर वन मंत्री ने गहरी नाराजगी जताते हुए फौरन जांच के आदेश दिए हैं. दरअसल यह पूरा मामला वन मंत्री सुबोध उनियाल के विधानसभा क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ है. अपनी ही विधानसभा सीट में योजना को लेकर गड़बड़ी की शिकायत पर वन मंत्री सुबोध उनियाल सख्त नजर आए. उन्होंने फौरन प्रकरण में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. मामले की जांच कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट गढ़वाल आकाश वर्मा को सौंपी गई है.

नीरगढ़ वाटरफॉल योजना के निर्माण में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है. बताया गया है कि वनों की सुरक्षा और प्रबंधन योजना के अंतर्गत पिछले साल राज्य वित्त सेक्टर के जरिए नरेंद्र नगर वन प्रभाग में वाटरफॉल के निर्माण का काम करवाया गया. इसके लिए एक करोड़ रुपए की धनराशि भी स्वीकृत कर ली गई. आरोप है कि योजना के तहत न केवल अपूर्ण कार्य हुआ, बल्कि गुणवत्ता से भी खिलवाड़ किया गया. शिकायत के ऐसे ही कुछ बिंदुओं के प्रकाश में आने के बाद सुबोध उनियाल ने इन्हें गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए. आरोप यह भी है कि काम पूरा न होने के बावजूद कार्यदाई संस्था को अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया.

नीरगढ़ वाटरफॉल के निर्माण में गंभीर शिकायतें मिलने के बाद तत्काल इस पर एक्शन लेते हुए वन मंत्री ने जांच अधिकारी को दिशा निर्देश जारी किए. इस दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि संबंधित जांच निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाए, ताकि प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.
ये भी पढ़ें: शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त हुआ वन विभाग, जंगलों में आग लगाने पर 196 लोगों पर केस दर्ज

देहरादून: उत्तराखंड में विवादों का काला साया वन महकमे से दूर नहीं हो पा रहा है. ताजा मामला वन मंत्री सुबोध उनियाल की विधानसभा सीट से आया है. यहां एक योजना में गड़बड़ी की शिकायत सामने आने के बाद विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने जांच के आदेश दे दिए हैं. हैरानी की बात यह है कि योजना में अनियमितता की सीधी शिकायत मंत्री सुबोध उनियाल को दी गयी. जिस पर नाराजगी जताते हुए मंत्री ने CF गढ़वाल (Conservator of Forests) को प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं.

नरेंद्रनगर वन प्रभाग में नीरगढ़ वाटरफॉल योजना अनियमितता की भेंट चढ़ती नज़र आ रही है. खास बात यह है कि योजना को लेकर विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से सीधी शिकायत की गई है. इस पर वन मंत्री ने गहरी नाराजगी जताते हुए फौरन जांच के आदेश दिए हैं. दरअसल यह पूरा मामला वन मंत्री सुबोध उनियाल के विधानसभा क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ है. अपनी ही विधानसभा सीट में योजना को लेकर गड़बड़ी की शिकायत पर वन मंत्री सुबोध उनियाल सख्त नजर आए. उन्होंने फौरन प्रकरण में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. मामले की जांच कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट गढ़वाल आकाश वर्मा को सौंपी गई है.

नीरगढ़ वाटरफॉल योजना के निर्माण में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है. बताया गया है कि वनों की सुरक्षा और प्रबंधन योजना के अंतर्गत पिछले साल राज्य वित्त सेक्टर के जरिए नरेंद्र नगर वन प्रभाग में वाटरफॉल के निर्माण का काम करवाया गया. इसके लिए एक करोड़ रुपए की धनराशि भी स्वीकृत कर ली गई. आरोप है कि योजना के तहत न केवल अपूर्ण कार्य हुआ, बल्कि गुणवत्ता से भी खिलवाड़ किया गया. शिकायत के ऐसे ही कुछ बिंदुओं के प्रकाश में आने के बाद सुबोध उनियाल ने इन्हें गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए. आरोप यह भी है कि काम पूरा न होने के बावजूद कार्यदाई संस्था को अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया.

नीरगढ़ वाटरफॉल के निर्माण में गंभीर शिकायतें मिलने के बाद तत्काल इस पर एक्शन लेते हुए वन मंत्री ने जांच अधिकारी को दिशा निर्देश जारी किए. इस दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि संबंधित जांच निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाए, ताकि प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.
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